अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली — सात साल पहले पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ दुष्कर्म कर चार आरोपियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इसके अलावा पीड़िता को चलती बस से भी फेंक दिया था जिसकी सिंगापुर में ईलाज के दौरान मौत हो गयी थी। पटियाला कोर्ट ने निर्भया रेप-मर्डर कांड के चारों गुनहगारों मुकेश , पवन , अक्षय और विनय को फांँसी देने के लिये 22 जनवरी को डेथ वारंट जारी कर दिया है। उन सभी को फाँसी देने के लिये मेरठ निवासी पवन जल्लाद (56 वर्षीय) को बुलाया जा रहा है जो उत्तरप्रदेश सरकार की मेरठ जेल से जुड़ा एक अधिकृत जल्लाद है। उसे हर महीने तीन हजार रुपये बेतन के रूप में भी मिलती है। जल्लाद का काम उसे विरासत में मिला हुआ है जिसकी चार पीढियांँ जल्लाद का काम करती रही हैं। उसके पिता कालू जल्लाद देश के जाने माने जल्लाद थे जिन्होंने इंदिरा गांधी के हत्यारों को सूली पर फंदे से लटकाने का काम किया था। इस काम से जुड़े हुये उसे चार दशक से कहीं ज्यादा हो चुके हैं। सबसे पहले वह अपने दादा कालू जल्लाद के साथ फांँसी के काम में उन्हें मदद करता था। कालू जल्लाद ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद 1989 में ये काम संभाला था। कालू ने अपने करियर में 60 से ज्यादा लोगों को फांँसी दी थी। जिसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को मिली फांँसी भी शामिल है। उन्हें भी फांसी देने के लिये कालू को विशेष तौर पर मेरठ से बुलाया गया था। इससे पहले रंगा और बिल्ला को भी फांसी देने का काम उसी ने किया था। पवन ने पहले अपने दादा और फिर पिता से फांँसी लगाने का तरीका जैसे रस्सी में गाँठ लगाना , उसे गर्दन पर सरकाना , रस्सी में लूप लगाना इत्यादि सीखा। फांँसी देने के पहले कई दिन ड्राई रन होता है, जिसमें फांसी देने की प्रक्रिया को रेत भरे बैग के साथ पूरा करते हैं। फांँसी देने की ट्रेनिंग के तौर पर एक बैग में रेत भरते हैं और उसका वजन मानव के वजन के बराबर होता है। इसी को रस्सी के फंदे में कसकर वो ट्रेनिंग को अंजाम देते हैं ताकि जिस दिन फांसी देनी हो तब कोई चूक ना हो। पवन ने अपने दादा और पिता के साथ मदद देने के दौरान करीब 80 फांँसी देखीं है। पवन का कहना है कि उसके बाबा लक्ष्मण सिंह ने अंग्रेजों के जमाने में लाहौर जेल में जाकर भगत सिंह और उनके साथियों को फांँसी दी थी। पवन का कहना है कि उनका बेटा जल्लाद नहीं बनेगा क्योंकि वो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।