परंपरागत पूजन पश्चात बंद हुआ बद्रीनाथ मंदिर का कपाट

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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बद्रीनाथ – उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड एक्ट विरोध के मुद्दे के बीच जारी रही चार धामों की यात्रा संपन्न हो चुकी है। केदारनाथ , गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के बाद तय कार्यक्रम के अनुसार 20 नवंबर शनिवार को
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 06:45 बजे बंद कर दिये गये। आईटीबीपी के बैंड धुन के साथ कपाट बंद होने की रस्में हुईं। इस बार कपाट बंद होने के दौरान धाम में कोई भी वीआईपी नहीं पहुंचा था। इसके पहले केदारनाथ , गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पहले ही पांच और छह नवंबर को बंद हो चुके हैं। पिछले चार दिनों से चल रहे कपाट बंद होने का क्रम शनिवार की देर शाम तक समाप्त हुआ। बताते चलें चारों धामों में बद्रीनाथ ही इकलौता धाम है , जहां कपाट बंद होने का कार्यक्रम चार दिन पहले से ही शुरू हो जाता है। कपाट बंद होने से पूर्व पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से बद्री विशाल के मंदिर का चारो तरफ से श्रृंगार बीस क्विंटल गेंदा , गुलाब और कमल फूलो से किया गया था। कड़ाके की ठंड होने के बावजूद भी कपाट बंद होने की साक्षी बनने के लिये चार धाम यात्रा के अंतिम दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुये थे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतिम दिन शनिवार की तड़के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने भगवान बद्रीनाथ का महाभिषेक कर फूलों से श्रृंगार किया। सुबह छह बजे भगवान बद्रीनाथ की अभिषेक पूजा हुई , इसके बाद सुबह आठ बजे बाल भोग और दोपहर में साढ़े बारह बजे भोग लगाया गया। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शाम चार बजे से शुरू हुई। शाम चार बजे माता लक्ष्मी को बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह) में स्थापित किया गया और गर्भगृह से गरुड़ जी , उद्घव जी और कुबेर जी को बदरीश पंचायत से बाहर लाया गया। सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद देर शाम बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिये गये। आज रविवार को बद्रीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में आदि गुरु शंकराचार्य की डोली , कुबेर जी और उद्घव जी की उत्सव डोली पांडुकेश्वर के लिये रवाना होगी। अब शीतकाल में कुबेर और उद्धव जी की पूजा पांडुकेश्वर में और आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी की पूजा नृसिंह मंदिर जोशी मठ में की जायेगी।


गौरतलब है कि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार प्रसिद्ध हिमालयी मंदिरों को ‘चारधाम’ के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष सर्दियों में इन चारों धामों पर भारी बर्फबारी के कारण मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं , इसके साथ ही उत्तराखंड की वार्षिक चारधाम यात्रा समाप्त हो जाती है। कोरोना महामारी की लहर को लेकर चार धाम यात्रा इस बार भी देरी से शुरू हुई। हाईकोर्ट ने सितंबर माह में चार धाम यात्रा पर लगी रोक हटायी थी। हाईकोर्ट ने कुछ नियमों के साथ चार धाम यात्रा की मंजूरी दे दी थी। पिछले दो साल से बंद चार धाम यात्रा की वजह से कारोबारियों और पर्यटन क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। इसे लेकर व्यापारी सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं बद्रीनाथ धाम में साधु संत भी सरकार के खिलाफ मैदान में उतर आये थे , तब कहीं जाकर चार धाम यात्रा को हाईकोर्ट से मंजूरी मिली लेकिन अब शीतकाल को देखते हुये फिर से कपाट बंद हो गया है।

Ravi sharma

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