पटना साहिब में सीएम नीतीश कुमार ने टेका मत्था,शौर्य,साहस के प्रतीक श्री गुरु गोविंद सिंह जी कि 353वीं जयंती-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

पटना — आज देश भर में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की 353 वीं जयंती बड़े धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनायी जा रही है। उनका जन्म 1666 में पटना साहिब (बिहार) में हुआ था।। इनके पिता गुरू तेग बहादुर और माता गुजरी कौर थी। इनका जन्म देश भर में प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पटना में स्थित तख्त श्री पटना साहिब या श्री हरमंदिर जी पटना साहिब सिखों की आस्था से जुड़ा एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है।आज भी यहाँ गुरू गोविंद सिंह से जुड़ी खास चीजें सम्हालकर रखी हुई हैं जिनका दर्शन करने अनुयायी हजारों की संख्या में पहुँचते हैं। सिख धर्म की अनुयायियों के लिये स्वर्ण मंदिर श्री हरिमंदिर साहिब के बाद तख्त श्री पटना साहिब का स्थान सबसे पवित्र स्थलों में दूसरे नंबर पर है। इस गुरूद्वारा का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था जिन्होंने भारत और पाकिस्तान में कई ऐतिहासिक गुरूद्वारे बनवाये हैं।

गुरू गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की। गुरू गोविंद सिंह ने गुरू ग्रंथ साहिब को ही सिखों का अंतिम गुरु घोषित किया। इन्होंने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा करने के साथ ही गोबिंद सिंह जी ने खालसा वाणी – “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह” भी दी। खालसा पंथ की की रक्षा के लिये गुरु गोबिंग सिंह जी मुगलों और उनके सहयोगियों से लगभग 14 बार लड़े। उन्होंने जीवन जीने के लिये पांँच सिद्धांत भी दिये जिन्‍हें ‘पांच ककार’ कहा जाता है। पांच ककार का मतलब ‘क’ शब्द से शुरू होने वाली उन 5 चीजों से है, जिन्हें गुरु गोबिंद सिंह के सिद्धांतों के अनुसार सभी खालसा सिखों को धारण करना होता है. गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के लिये पांच चीजें अनिवार्य की थीं- ‘केश’, ‘कड़ा’, ‘कृपाण’, ‘कंघा’ और ‘कच्छा’। आज भी इनके बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं माना जाता। 07 अक्टूबर 1708 को गुरू गोविंद सिंह ज्योति ज्योत में समा गये। आज सुबह से ही तख्त साहिब पटना में अनुयायियों द्वारा अबाध रूप से गुरूवाणी प्रवाहित हो रही है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित सरकार के कई मंत्री भी वहाँ दर्शन करने पहुँचे हुये थे। रात में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मोत्सव भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जायेगा।

कैसे मनाते हैं इनकी जयंती

गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के दिन गुरुद्वारों में कीर्तन होता है। सुबह प्रभातफेरी निकाली जाती है औरलंगर का आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारों में सेवा के साथ साथ गुरुद्वारों के आस-पास खालसा पंथ की झांकियांँ भी निकाली जाती हैं। कई लोग घरों में कीर्तन भी करवाते हैं।

Ravi sharma

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