निजी अस्पताल में डॉक्टर की गलती से पेट मे छूटा तौलिया,2 महीने बाद दुबारा सर्जरी मे हुआ खुलासा-पटना

पटना-डॉक्टर को धरती का दुसरा भगवान कहा जाता है.एक भगवान जो जिवन देता है और दुसरा डॉक्टर जो समय समय पर उसकी रक्षा करता है.लेकिन पैसा कमाने की इस अंधी दौड़ मे धरती के भगवान अपना कर्म भुलते जा रहे है.इंसानियत का वह पाठ जिसने उसे भगवान का दर्जा दिलाया.और जब ऐसे भगवान पैसे के लालच मे सृजन कि संहार करने लगे तो उन्हे शैतान कहना अतिश्योक्ती नही होगी.यूं तो चिकित्सको की लापरवाही से मरीजों के मरने की खबरें लगभग रोज ही अखबार का हिस्सा बनती है.ऐसा ही एक मामला जहानाबाद से जुड़ा है.जहां पेट दर्द कि शिकायत होने पर एक महिला को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया था.जांच के दौरान पता चला कि पेट में कुछ ऑब्जेक्ट है.इसलिए ऑपरेशन करना जरूरी है.जब ऑपरेशन हुआ तो पिड़ित महिला के पेट से एक तौलिया निकला.जब मामला खुला तो पता चला कि दरसअल बीते दो महिना पहले पटना जिला के पालीगंज थाना के दहिया गाँव की रहने वाली महिला रिंकी देवी को पटना के माउन्ट हाइटेक इमरजेंसी अस्पताल जो रामनगरी में है,वहां प्रसव दर्द के बाद भर्ती कराया गया था.जहां उस महिला ने सिजेरियन से एक बच्चे को जन्म दिया.जैसा कि आमतौर पर निजी अस्पतालों मे देखने को मिलता है वैसे हि पीड़ित महिला के पति ने बताया कि अस्पताल के द्वारा ऑपरेशन के लिये मोटी रकम ली गई. ऑपरेशन के बाद पंद्रह दिनों तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन उसके बाद महिला को फिर से पेट मे दर्द के साथ साथ ऑपरेशन वाली जगह से घाव कि तरह पस चलने की शिकायत होने लगी.परेशान परिजनों ने फिर महिला को उसी अस्पताल में जाकर डॉक्टर से दिखया,तो डॉक्टर ने जांच कर दोबारा ऑपरेशन करने कि बात कही और फिर से ऑपरेशन के लिए मोटी रकम की मांग की. परिजनों ने असमर्थता के कारण इंकार करते हुए मरीज को जहानाबाद के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया.जहां डाक्टरों ने उस महिला का चेकअप कर ऑपरेशन किया तो महिला के पेट से ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाने वाला डेढ़ फीट का तौलिया निकाला गया. परिजनों का कहना है कि उस डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसके मरीज की जान पर बन आई थी. इस संबंध में सिजेरियन कर तौलिया निकालने वाले जहानाबाद के डॉ० राकेश ने बताया कि यह एक बड़ी लापरवाही है. मरीज डॉक्टरों पर पूरे भरोसे के साथ अपना इलाज कराने आते है. लेकिन इस तरह कि चिकित्सकों द्वारा की गई लापरवाही से मरीज को अपनी जान तक गवांनी पड़ती है.बहरहाल मामले मे अस्पताल पर केश दर्ज हो या कुछ ले देकर मामले का निपटारा.यह तो पिड़ित के परिजनो पर निर्भर करता है.मगर बड़ा सवाल यह है कि जो इस तरह कि गलतियों को नही जान पाते और अपनी जान गंवा देते है.उनका क्या….?

Ravi sharma

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