आज रक्षाबंधन विशेष — अरविन्द तिवारी की कलम से

ऑफिस डेस्क — हिन्दू पंचांग के अनुसार आज ही के दिन प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। आज प्रात: 08:28 तक भद्रा तिथि हैं। इसके बाद 08:30 से रात्रि 08:20 तक भाई बहनों अटूट स्नेह पर्व उल्लासपूर्वक पुण्य वातावरण में सम्पन्न होगा आज संस्कृति दिवस भी है शुक्ल यजुर्वेदीय पुराणों के पेणेता महर्षि वेद व्यास जी का सम्मान करते हुए हम सब भारतीय संस्कृति भाषा के विकास का संकल्प लेवे और परंपरा को आगे बढ़ावें। रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार है , जो आदर और सम्मान देता है। आज के दिन भाई बहन दोनों सुख दु:ख में हमेशा साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं। इस बार रक्षाबंधन पर विशेष बात ये है कि पूर्णिमा के साथ-साथ ये सावन का आखिरी सोमवार होगा। इसके अलावा पूरे दिन ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ और आयुष्मान का शुभ संयोग रहेगा जिसके चलते रक्षाबंधन के दिन की शुभता बहुत बढ़ जायेगी। रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का पर्व है। इन दिन बहनें अपने भाई की दायें हाथ की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारते हुये अपने भाइयों की दीर्घायु सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। साथ ही भाई भी अपनी बहनों को सदैव उनकी रक्षा का वचन देते हैं। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहनें भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिये भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। आज के दिन बहनें अपने भाई के दायें हाथ पर राखी बाँधकर उसके माथे पर तिलक करती हैं और उसकी दीर्घ आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई-बहन के प्यार के बन्धन को मज़बूत करते है। भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख-दुख में साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे रक्षाबन्धन का पर्व भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के निवास पर भी मनाया जाता है। जहाँ छोटे छोटे बच्चे जाकर उन्हें राखी बाँधते हैं। रक्षाबंधन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का भी सांस्कृतिक उपाय है। इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान योग बन रहा है। ये दोनों ही योग ज्योतिषिय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। इन योगों में किया गया मांगलिक कार्य, उपाय, दान आादि शुभ फल प्रदान करते हैं। इसके अलावा रक्षाबंधन पर सूर्य शनि के समसप्तक योग, सोमवती पूर्णिमा, मकर का चंद्रमा श्रवण नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और प्रीति योग बन रहा है। इसके पहले यह संयोग साल 1991 में बना था। इस संयोग को कृषि क्षेत्र के लिये विशेष फलदायी माना जा रहा है। बहनों को अपने भाई की कलाई पर काले रंग की राखी कभी नहीं बांधनी चाहिये क्योंकि काले रंग की राखी बांँधने से अशुभ समय शुरू हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार काले रंग का सीधा संबंध शनि देव से है। शनि देव को कार्य में विलंब करने वाला ग्रह माना जाता है। ऐसे में रक्षाबंधन पर काले रंग की राखी भूलकर भी ना बांधे। रक्षाबंधन पर बहनों को भाई की कलाई पर टूटी या खंडित राखी नहीं बांधनी चाहिये। माना जाता है कि ऐसी राखी बांधनी से अशुभ फल मिलता है। भाई की कलाई पर प्लास्टिक की राखियों को भी नहीं बांधना चाहिये। कहा जाता है कि प्लास्टिक अशुद्ध चीजों से बनती है, ऐसे में प्लास्टिक की राखी बांँधने से जीवन में दुर्भाग्य की शुरू हो सकती है। अक्सर लोग राखी खरीदते समय डिजाइन या अशुभ चिन्हों का ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन रक्षाबंधन पर कभी भी भाई के कलाई पर अशुभ चिन्हों वाली राखी नहीं बांँधनी चाहिये , ऐसा करने से अशुभ समय शुरू हो जाता है। भाई की कलाई पर भगवान वाली राखी भी नहीं बांँधनी चाहिये , इसके पीछे का कारण है कि अगर राखी खुलकर जमीन पर गिर जाती है और किसी के पैरों पर पड़ सकती है। जिसके कारण अनजाने में भाई को पाप का भागीदार होना पड़ सकता है , ऐसे में भगवान की प्रतिमा वाली राखी नहीं खरीदनी चाहिये। रक्षाबन्धन आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने का पर्व है। यही कारण है कि इस अवसर पर ना केवल बहन भाई को ही अपितु अन्य सम्बन्धों में भी रक्षा (या राखी) बाँधने का प्रचलन है। गुरु शिष्य को रक्षासूत्र बाँधता है तो शिष्य गुरु को। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है। अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को भी राखी बाँधने की परंपरा प्रारंभ हो चुकी है।
हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुये निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया –
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥
इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)”। आज भी किसी धार्मिक विधि विधान से पूर्व पुरोहित यजमान को रक्षासूत्र बाँधता है और यजमान पुरोहित को। इस प्रकार दोनों एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करने के लिये परस्पर एक दूसरे को अपने बन्धन में बाँधते है।

Ravi sharma

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