आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस विशेष

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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ऑफिस डेस्क – आज यानि एक मई को भारत समेत 80 मुल्कों में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को लेबर डे , श्रमिक दिवस और मई दिवस , कामगार दिन जैसे नामों से भी लोग जानते हैं। किसी भी समाज , देश , संस्था और उद्योग में मज़दूरों , कामगारों और मेहनतकशों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिये हाथों , अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिये मालिक , सरमाया , कामगार और सरकारी अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता। अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत 01 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय आठ घंटे से ज़्यादा ना रखे जाने के लिये हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था । इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चला दी और सात मज़दूर मार दिये। इन घटनाओं का अमेरिका पर एकदम कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन कुछ समय के बाद अमेरिका में आठ घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। इसी तरह 21 अप्रैल 1856 को मेलबर्न में श्रमिक आंदोलन द्वारा आठ घंटे के लिये इस दिन मेलबोर्न के आस-पास के निर्माण स्थलों पर पत्थरबाज़ों और निर्माण श्रमिकों ने आठ घंटे का दिन हासिल करने के लिये मेलबर्न विश्वविद्यालय से संसद भवन तक काम रोक दिया और मार्च किया। उनकी प्रत्यक्ष कार्रवाई का विरोध सफल रहा और उन्हें वेतन के नुकसान के साथ आठ घंटे के दिन को प्राप्त करने के लिये दुनियां के पहले संगठित श्रमिकों में से एक के रूप में जाना जाता है। मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के आठ घंटे काम करने से संबंधित क़ानून लागू है। इस दिवस का चुनाव हेमार्केट घटनाक्रम की स्मृति में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय के दौरान किया गया जो कि 04 मई 1886 को घटित हुआ था। भारत में सबसे पहले चेन्नई में 01 मई1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनायी गयी कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है। अन्य देशों के लिये मजदूर दिवस एक अलग तारीख को मनाया जाता है, अक्सर उस देश में श्रमिक आंदोलन के लिये विशेष महत्व होता है। कई देशों में मजदूर दिवस एक सार्वजनिक अवकाश है। ऑस्ट्रेलिया में मजदूर दिवस एक सार्वजनिक अवकाश है जो राज्यों और क्षेत्रों के बीच भिन्न होता है। यह ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र, न्यू साउथ वेल्स और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर में पहला सोमवार है। विक्टोरिया और तस्मानिया में यह मार्च में दूसरा सोमवार है (हालांकि बाद वाले इसे आठ घंटे का दिन कहते हैं)। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में मजदूर दिवस मार्च में पहला सोमवार होता है। क्वींसलैंड और उत्तरी क्षेत्र में, मजदूर दिवस मई में पहले सोमवार को होता है (हालांकि बाद वाले इसे मई दिवस कहते हैं)। यह क्रिसमस द्वीप के क्षेत्र में मार्च के चौथे सोमवार को है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी भी देश की तरक्की उस देश के मजदूरों और किसानों पर निर्भर करती है। इस दिन मजदूरों के बारे में उनके हितों के बारे में जागरूकता फैलायी जाती है। ये दिन उन लोगों के नाम समर्पित है , जिन्होंने देश और दुनियां के निर्माण में कड़ी मेहनत कर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। कहा जाता है कि देश , समाज , संस्था और उद्योग में सबसे ज्यादा योगदान कामगारों, मजदूरों और मेहनतकशों का योगदान होता है।

Ravi sharma

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