स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन , हुआ एक युग का अंत

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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मुम्बई – मुंबई के ब्रीच क्रैंडी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रही स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में आज सुबह 08:12 बजे अपनी अंतिम सांस ली। अस्पताल के अनुसार लता दीदी का निधन मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की वजह से हुआ। लता के निधन पर भारत के प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति समेत दुनियां भर के राजनीतिक हस्तियों से लेकर बालीवुड इंडस्ट्री से जुड़े दिग्‍गजों सहित संगीतकारों ने गहरा शोक जताया है। देश की सबसे लोकप्रिय संगीकार लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है।

केंद्र सरकार ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुये दो दिन (06 फरवरी से 07 फरवरी) का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। राजकीय शोक की अवधि में राज्य स्थित समस्त शासकीय भवनों और जंहा पर नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं , वंहा पर राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे तथा शासकीय स्तर पर कोई मनोरंजन /सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं किये जायेंगे। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने लता मंगेशकर के निधन पर उनको श्रद्धांजलि देने के लिये खास प्लान बनाया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में अगले 15 दिन तक हर सार्वजनिक स्थान , सरकारी ऑफिसों और ट्रैफिक सिग्नल पर लता मंगेशकर के गाने बजाने की घोषणा की है। इसके साथ-साथ बंगाल सरकार ने घोषणा की है कि सोमवार सात फरवरी को आधे दिन के अवकाश का ऐलान किया है। लता दीदी को कोरोना के साथ निमोनिया भी हुआ था , उनकी उम्र को देखते हुये डॉक्टर्स ने उन्हें आईसीयू में एडमिट किया था। आठ जनवरी से वो लगातार जीवन और मौत के बीच संघर्ष ही कर रही थीं। डाक्टरों की अथक प्रयास और सोशल मीडिया पर चले अफवाहों के बीच उन्होंने अंततः आज दुनियां को अलविदा कह ही दिया। इसके बाद लता मंगेशकर का पार्थिव शरीर उनके पेडर रोड स्थित निवास ‘प्रभुकुंज’ लाया गया ,

जहां उनके अंतिम दर्शन करने के लिये सदी के महानायक अमिताभ बच्चन , सचिन तेंदुलकर , अभिनेता अनुपम खेर और लेखक जावेद अख्तर सहित कई सेलिब्रिटीज पहुंचे थे। इसके बाद तिरंगे से लिपटी पार्थिव शरीर मिलिट्री वाहन में अंतिम यात्रा के लिये निकली , रास्ते भर सभी ने अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की और देर शाम शिवाजी पार्क में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसके पहले अंतिम विदाई में गीता पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया गया। लता मंगेशकर को पुलिस पलटन और आर्मी पलटन की तरफ से 12- 12 राइफल्स की सलामी “गार्ड ऑफ ऑनर” दी गई। लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर से तिरंगा हटाकर तिरंगे को परिवार को सौंप दिया गया। आठ पंडितों के द्वारा उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी करने के बाद लता जी को उनके भतीजे आदित्य ने मुखाग्नि दी। उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी , मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे , अभिनेता शाहरुख ख़ान और  क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर , गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सहित कई राजनेताओं एवं सेलिब्रिटीज ने भी शिवाजी पार्क पहुंचकर भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी। बताते चलें स्वर कोकिला के निधन की खबर मिलने के बाद पीएम मोदी ने गोवा में अपनी वर्चुअल रैली निरस्त कर दी। लता जी के सम्मान में भाजपा ने उत्तरप्रदेश चुनाव के लिये घोषणा पत्र जारी करने का कार्यक्रम टाल दिया। वहीं भारत बनाम वेस्ट इंडीज के पहले ओडीआई में लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिये रोहित की अगुवाई वाली टीम काले रंग की पट्टी बांधकर मैदान में उतरी। लता मंगेशकर क्रिकेट की बहुत बड़ी फैन थीं , अक्सर वह अपनी रिकॉर्डिंग्स के बाद ब्रेक में टेस्ट मैच देखना पसंद करती थीं।


गौरतलब है कि सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर (मध्यप्रदेश) में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी और कोंकणी संगीतकार थे , इसलिये लता का जन्म ही संगीत के साथ हुआ था। लता मंगेशकर दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी पत्नी शेवंती की संतान थीं। दीनानाथ मंगेशकर की पहली पत्नी का नाम नर्मदा था लेकिन उनकी मृत्यु के कारण दीनानाथ मंगेशकर ने उनकी छोटी बहन शेवंती से शादी कर ली थी। दीनानाथ ने अपने सरनेम में मंगेशकर खुद जोड़ा था , उन्होंने अपने पैतृक गांव गोवा में मंगेशी को अपना सरनेम बना लिया।‌ लता दीनानाथ की सबसे बड़ी संतान थी। लता दीदी का जन्म का नाम हेमा था , लेकिन बाद में उनके पिता ने अपने एक नाटक की महिला पात्र लतिका पर उनका नाम लता रख दिया। लता मंगेशकर ने सिर्फ एक ही दिन स्कूल में बिताया है , पहले ही दिन क्लास बच्चों को गाना सीखा रही थी तभी टोकने पर वह हैडमास्टर से नाराज हुई फिर स्कूल की तरफ मुंह उठाकर भी नहीं देखा। पहले ही दिन जाकर लता मंगेशकर साथी बच्चों को गाना सिखा रही थीं , उसी वक्त हैडमास्टर ने उन्हें चुप होने को कहा जिससे वो इतनी नाराज हो गईं और कभी स्कूल में कदम ना रखने का फैसला लिया। पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी। भले ही लता ने एक ही दिन स्कूल में बिताया लेकिन उनको दुनियां के छह विश्वविद्यालयों से डाक्टरेट की डिग्री मिली है। इनके जन्म के कुछ दिनों बाद ही परिवार महाराष्ट्र चला गया। वर्ष 1942 में इनके पिता की मौत हो गई। इस दौरान ये केवल 13 वर्ष की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को सम्हाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की। लता ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाये हैं जो किसी भी गायक के लिये एक रिकॉर्ड है। करीब एक हजार से भी ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी है। उन्होंने अपने भाई-बहनों के बेहतर भविष्य के लिये शादी नहीं की थी। स्वर कोकिला , दीदी और ताई जैसे नामों से लोकप्रिय लता जी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। लता मंगेशकर चाहे ये दुनियां छोड़कर चली गई हैं , लेकिन अपने सदाबहार गानों की विरासत फैंस के लिये छोड़ गई हैं। लता दीदी के गानों ने उन्हें इस दुनियां में अमर कर दिया है।

कई पुरस्कारों से सम्मानित
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लता मंगेशकर को वर्ष 1958 , 1962 , 1965 , 1969 , 1993 और 1994 में फिल्मफेयर पुरस्कार , वर्ष 1972, 1975 और 1990 में राष्ट्रीय पुरस्कार ) , वर्ष 1966 और 1967 में महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार ,
वर्ष 1969 में पद्म भूषण सम्मान , वर्ष 1989 मेंं फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ , वर्ष 1993 में फिल्मफेयर के ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ , वर्ष 1996 में स्क्रीन के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ , वर्ष 1997 में ‘राजीव गांधी पुरस्कार’ , वर्ष 1999 में पद्मविभूषण , एनटीआर. और ज़ी सिने के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार , वर्ष 2000 में आईआईएएफ (आइफ़ा) के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ , वर्ष 2001 में स्टारडस्ट के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’, नूरजहां पुरस्कार , महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार , वर्ष 2001 में भारत सरकार ने आपकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुये देश के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” से आपको विभूषित किया।

छग से भी गहरा नाता
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मुम्बई के स्टूडियो में लता दीदी ने 22 फरवरी 2005 को छत्तीसगढ़ी गीत छूट जाही अंगना अटारी…. छूटही बाबू के पिठइया की रिकॉर्डिंग की थी। छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘भखला’ के लिये गाये इस गीत को लता ने छत्तीसगढ़ी बोली में ही गाया था। वहीं छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने लता मंगेशकर को 09 फरवरी 1980 को डी-लिट की उपाधि से नवाजा था।

Ravi sharma

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