सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक की याचिका खारिज-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने आज खारिज कर दिया है। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिये निर्माण कार्य जारी रखने का आदेश देते हुये संयुक्‍त याचिकाकर्ता अन्या मल्होत्रा ​​और इतिहासकार और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी को कड़ी फटकार लगाते हुये इन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी० एन० पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल खड़ा करते हुये कहा ऐसा लग रहा है कि इस प्रोजेक्ट को जबरन रोकने के लिये याचिका लगायी गयी है , यह एक जनहित याचिका नही थी बल्कि किसी मकसद से प्रेरित थी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट बेहद ही अहम और आवश्यक राष्ट्रीय परियोजना है , कोर्ट इस पर रोक नहीं लगा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुये दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायलय ने पहले ही परियोजना को वैध करार दिया है , ऐसे में सवाल उठाना सही नहीं है।हाईकोर्ट ने कहा है कि निर्माण कार्य में शामिल मजदूर उसी जगह पर रह रहे थे , लिहाजा निर्माण को रोकने का कोई औचित्य नहीं बनता। ना ही डीडीएमए के 19 अप्रैल के आदेश में इस तरह की कोई बात कही गई थी।दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा दिल्ली सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी इस प्रोजेक्ट को जारी रखने की अनुमति दी है। अदालत ने कहा कि लोगों की रुचि इस प्रोजेक्ट में है और इस पर नवंबर में काम पूरा होने का कॉन्ट्रैक्ट है। अदालत ने कहा कि ये महत्वपूर्ण पब्लिक प्रोजेक्ट है और इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि इस प्रोजैक्ट की वैधानिकता साबित की जा चुकी है और सरकार को नवंबर 2021 तक इस काम को पूरा करना है। कोरोना संक्रमण के सवाल पर अदालत ने कहा कि चूंकि अभी सभी वर्कर निर्माण स्थल पर हैं और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. इसलिये इस कोर्ट के पास कोई कारण नहीं है कि वो आर्टिकल 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुये इस प्रोजेक्ट को रोक दे। बताते चलें दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि कोरोना काल में चल रहे सेंट्रल विस्टा कि निर्माण कार्य की वजह से वहां काम करने वाले लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा है। लिहाजा वहां काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा को देखते हुये सेंट्रल विस्टा का निर्माण कार्य फिलहाल कुछ वक्त के लिये रोक दिया जाये। लेकिन आज जब हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया तब पहले ही दिल्ली सरकार कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर लगी रोक को हटा चुकी है। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुये विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। विपक्षियों ने सरकार से कोरोना काल के दौरान निर्माण कार्य बंद करने की मांग की थी पर निर्माण कार्य बंद नहीं किया गया। उसके बाद याचिककर्ताओं ने देश की सुप्रीम अदालत में रोक लगाने की याचिका डाली लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कोरोना महामारी को आधार बनाकर रोक लगाने के लिये याचिका दायर की थी।

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट ?
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सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत 22 लाख वर्गफीट भूभाग पर लगभग 20 हजार करोड़ रूपये की लागत से एक नये संसद भवन और नये आवासीय परिसर का निर्माण किया जायेगा। इसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास के साथ कई नये कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिये केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है। सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी और 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी। इस पुनर्विकास परियोजना में एक नये संसद भवन का निर्माण प्रस्तावित है।इसके अलावा एक केंद्रीय सचिवालय का भी निर्माण किया जायेगा। इसके साथ ही इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक तीन किलोमीटर लंबे ‘राजपथ’ में भी परिवर्तन प्रस्तावित है। सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को संग्रहालय में बदल दिया जायेगा और इनके स्थान पर नये भवनों का निर्माण किया जायेगा। इसके अलावा इस क्षेत्र में स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ को भी स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। इस क्षेत्र में विभिन्न मंत्रालयों व उनके विभागों के लिये कार्यालयों का निर्माण किया जायेगा।

Ravi sharma

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