सनातन सिद्धांत को अपनाये बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं – पुरी शंकराचार्य

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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रायपुर (भाटापारा) – भगवान की शक्ति का नाम प्रकृति है। आकाश , पवन , तेज , जल और पृथ्वी प्रकृति के परिकर हैं। प्रकृति के परिकर के उद्भाषित होकर अग्रेसर हुये बिना स्वस्थ क्रांति सम्भव नहीं हो सकती। इसलिये स्वस्थ क्रांति के लिये प्रकृति के परिकर आकाश , पवन , तेज , जल एवं पृथ्वी को अनुकूल करना आवश्यक है।
उक्त बातें ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य एवं हिन्दू राष्ट्र के प्रणेता स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी ने भाटापारा के गुरूकुल स्कूल मैदान में आयोजित प्राकट्योत्सव समारोह को संबोधित करते हुये कही। उन्होंने आगे उद्घृत किया कि किसी व्यक्ति के जीवन में यदि साधक बाधक भाव का ज्ञान हो , वस्तु के रूपांतरण का ज्ञान हो और अभिव्यञ्जक संस्थान के क्षमता का ज्ञान हो तब वह परमार्थ व व्यवहार में निपुण होकर लौकिक पारलौकिक उत्कर्ष की ओर अग्रसर हो सकता है। वर्तमान में स्वस्थ क्रांति हेतु अंतर्निहित शक्ति कार्य कर रही है जो कि सामान्य जन को दृष्टिगोचर नहीं हो रहा , यह अदृश्य शक्ति त्रिवेणी संगम में स्थित अदृश्य सरस्वती नदी की उपस्थिति की तरह है। दार्शनिक , वैज्ञानिक और व्यवहारिक धरातल पर यह वस्तुस्थिति तथ्य सिद्ध है कि प्रत्येक जीव स्वभावतः सत्य का ही पक्षधर होता है। सनातन वैदिक आर्य हिन्दुओं का यह वेदादि शास्त्र सिद्धांत विश्व स्तर पर ख्यापित करने की आवश्यकता है। हमारे वैदिक वाङ्मय में सूत्रात्मक रूप में सन्निहित उन्नत ज्ञान विज्ञान वर्तमान युग में भी वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। सच्चिदानन्द स्वरूप सर्वेश्वर भी जिस सिद्धांत का अनुपालन कर सृष्टि की संरचना करते हैं उसी का नाम सनातन वैदिक आर्य सिद्धांत है। इस तथ्य को पूरे विश्व को स्वीकार करना होगा कि सभी के पूर्वज वैदिक आर्य हिन्दू ही थे। महायन्त्रों के प्रचुर आविष्कार और प्रयोग से सभी स्थावर जङ्गम प्राणियों में विकृति उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। यह भी सिद्ध है कि इस महायन्त्रों के युग में हर व्यक्ति की प्रज्ञाशक्ति , प्राणशक्ति का ह्रास हो रहा है। इस कल्प में पृथ्वी की आयु एक अरब सन्तानबे करोड़ उन्तीस लाख उन्चास हजार एक सौ बाइस वर्ष है और इतनी ही पुरानी हमारी सनातन सिद्धांत है , इसको कोई फूंक मार कर उड़ा दे यह सम्भव नहीं है। अत: सनातन सिद्धांत को अपनाये बिना विश्व का कल्याण सम्भव नहीं , यह आज भी प्रासंगिक एवं सर्वोत्कृष्ट है। पुरी शंकराचार्य जी ने राजनेताओं पर तीखी टिप्पणी करते हुये कहा कि देश में राजनेताओं की कमी नहीं है , लेकिन इन राजनेताओं को विकास एवं राजनीति की परिभाषा का ज्ञान ही नहीं इसलिये विकास के स्थान पर प्रत्येक जगह पर विनाश ही परिलक्षित हो रहा है। इन राजनेताओं से हम क्या आशा रख सकते हैं कि वे देश को प्रतिष्ठित , सुरक्षित , संपन्न , सीमा परायण समाज की संरचना करेंगे।राजनीति का अर्थ होता है नीतियों में सर्वोत्कृष्ट जिसके द्वारा व्यक्ति और समाज को सुबुद्ध , स्वावलंबी व सुसंस्कृत बनाया जा सके। वेदादि शास्त्र सम्मत विकास एवं राजनीति की परिभाषा सुसंस्कृत , सुशिक्षित , सुरक्षित , सम्पन्न , सेवापरायण , स्वस्थ , सर्वहितप्रद व्यक्ति और समाज की संरचना को विश्व स्तर पर ख्यापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर देते हुये कहा कि मान्य आचार्यों की आज भी उपयोगिता है। जिस प्रकार रामजी को वशिष्ठ , सुधन्वा को आदि शंकराचार्य , चंद्रगुप्त को चाणक्य एवं शिवाजी को रामदास का मार्गदर्शन उपलब्ध था , ठीक इसी प्रकार हमारे मार्गदर्शन के बिना वर्तमान शासक भी आदर्श व्यवस्था स्थापित नहीं कर सकते। महाराज श्री ने आगे कहा कि पृथ्वी , जल , तेज , वायु और आकाश में अव्यक्त सिद्धांत का नाम मंत्र है। प्रकृति में पांच ही तत्व हैं तथा हमारे कर्मेन्द्रियों एवं ज्ञानेन्द्रियों की संख्या भी पांच है। कारण शरीर मंत्रात्मक , सूक्ष्म शरीर तंत्रात्मक एवं स्थूल शरीर यंत्रात्मक स्वरूप हैं। आकाश , वायु , तेज , जल एवं पृथ्वी के गुण शब्द , स्पर्श , रूप , रस और गंध को हम ज्ञानेन्द्रियों के ग्रहण तथा कर्मेन्द्रियों के माध्यम से विसर्जित करते हैं। पुरी शंकराचार्य जी ने इस बात पर पुनः विशेष जोर देते हुये कहा कि भारत अगले साढ़े तीन वर्षों में हिंदू राष्ट्र बन जायेगा। विभाजन के बाद का भारत मानवाधिकार की सीमा में , हिन्दू राष्ट्र के रूप में घोषित ना करना शासन व राजनीतिक दलों की दिशाहीनता है।गौरतलब है कि पुरी शंकराचार्य जी का प्राकट्य महोत्सव के अन्तर्गत 24 से 28 जून तक भाटापारा प्रवास यात्रा पर हैं। जहां शंकराचार्य महाभाग का 80 वाॅं प्राकट्य महोत्सव भव्य रूप से आयोजित हुआ। प्राकट्य महोत्सव के पहले सर्व सिद्धि प्रदायक ललिता सहस्त्रनाम त्रिपुर सुंदरी आराधना द्वारा सहस्त्रार्चन का दिव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें एक हजार वस्त्र , फल , मेवा , मिठाई , कमल , पुष्प आदि विभिन्न सामग्री द्वारा श्री यंत्र की विशेष पूजा आराधना की गई। वहीं प्रतिदिन प्रातः:सत्र में दर्शन , दीक्षा , संगोष्ठी , पादुका पूजन में श्रद्धालु शामिल हुये और सायं सत्र मे धर्म , अध्यात्म , राष्ट्र से संबद्ध जिज्ञासाओं का समाधान महाराज श्री द्वारा किया गया। प्राकट्योत्सव दिवस प्रात: सत्र में जनकल्याणार्थ सामूहिक रुद्राभिषेक , शिव आराधना तथा हिंदू राष्ट्र निर्माण हेतु हनुमान चालीसा पाठ गुरुकुल स्कूल मैदान में संपन्न हुआ। प्राकट्य महोत्सव में विशाल धर्मसभा स्वागत अभिनंदन कार्यक्रम में प्रदेश एवं देश के विभिन्न प्रांतों से भक्त वृंद तथा धर्म संघ , पीठ परिषद , आदित्यवाहिनी ,आनंदवाहिनी , राष्ट्रोत्कर्ष अभियान , हिंदू राष्ट्र संघ , सनातन समिति के पदाधिकारी एवं सदस्यवृंद के अलावा सामाजिक , धार्मिक , सांस्कृतिक , राजनीतिक संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित संत , महात्मा , विद्वानों ने महाराज श्री का दर्शन एवं आशीर्वाद लिया। इस प्राकट्योत्सव में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अनुपस्थिति में उनका संदेश पढ़कर बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने महाराज श्री के चरणों में प्रणाम निवेदित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ गो सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुंदर दास , भाटापारा के क्षेत्रीय विधायक शिवरतन शर्मा भी उपस्थित रहे।कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था भजन चैनल पर किया गया , जिसका दूर दराज के श्रद्धालुओं ने भी आनंद लिया। इसके अलावा गुरुदेव भगवान का प्राकट्य महोत्सव देश के विभिन्न प्रांतों तथा पुरी शंकराचार्य द्वारा संस्थापित पंजाब के होशियारपुर श्री विम्लाम्बा शक्ति संस्थान , दक्षिणामूर्ति मठ वाराणसी , श्री हरिहर आश्रम वृंदावन , दिव्य शिव गंगा आश्रम प्रयागराज , श्री सुदर्शन संस्थान रायपुर में भी रुद्राभिषेक , सुंदरकांड पाठ , हनुमान चालीसा , वृक्षारोपण , ध्वजारोहण ,दीप प्रज्ज्वलन , सहस्त्रार्चन , सत्संग , संगोष्ठी , सेवा प्रकल्प का कार्यक्रम सनातन “संस्कृति संरक्षणार्थ ” तथा गुरुदेव भगवान के दीर्घायु की कामना के लिये पीठ परिषद ,आदित्यवाहिनी , आनंदवाहिनी के तत्वावधान में सर्व समाज की ओर से उल्लासपूर्ण विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। पुरी शंकराचार्य जी 29 जून को भाटापारा से श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी ओड़िशा प्रस्थान करेंगे जहाँ पर वे चातुर्मास तक निवासरत होंगे।

Ravi sharma

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