अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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रायपुर – छ्त्तीसगढ़ विधानसभा का पांच दिनों तक चलने वाले शीतकालीन सत्र महज तीन दिनों में ही खत्म हो गया। सत्र के तीसरे दिन लगातार भारी शोरगुल और हो-हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने निर्धारित समय से दो दिन पहले अनिश्चित काल के लिये सत्र को स्थगित कर दिया है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पाँचवीं छत्तीसगढ़ विधानसभा चल रही है। अब तक के ज्ञात इतिहास में यह भी पहली बार ही हुआ है कि प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी विधानसभा में निलंबित ही रही और सत्र समाप्ति की घोषणा कर दी गई , जिससे भाजपाइयों में नाराजगी है। अब भाजपा विधायकों ने विधानसभा के किसी भी आयोजनों में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 02 से 06 जनवरी तक होनी थी। बुधवार को कार्यवाही के तीसरे दिन प्रश्नकाल से ही भाजपा आक्रामक नजर आई। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के चांवल वितरण में घोटाले का आरोप लगाते हुये भाजपा ने हंगामा किया। सरकार के जवाब से नाराज भाजपा विधायक गर्भगृह में उतर गये और निलंबित कर दिये गये , जिससे विधानसभा की कार्यवाही भी रोकनी पड़ी। दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो भी हंगामा जारी रहा , ऐसे में दूसरी बार भी सभा की कार्यवाही रोकनी पड़ी। तब तक भाजपा विधायक गर्भगृह में धरना देकर बैठे रहे। तीसरी बार कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कार्यसूची में बदलाव कर दिया। एक दिन बाद प्रस्तावित विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन को भी सूची में शामिल कर लिया गया। तीसरी बार कार्यवाही इस कार्यसूची से शुरू हुई , यह देखकर भाजपा ने विरोध शुरू कर दिया। विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इसे विपक्ष का अपमान बताया। इसी हंगामे के बीच सरकार ने दो विधेयक पेश किये और उनको चर्चा के बिना पारित करा लिया गया। उसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन की घोषणा हुई और सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल तक के लिये स्थगित कर दिया गया।
नेता प्रतिपक्ष ने स्पीकर को लिखा पत्र
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सत्रावसान के बाद नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को एक पत्र लिखा , जिसमें उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर सीधे आरोप लगाये हैं। नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा है कि आज आपने विपक्ष को सदन में निलंबित स्थिति में रखकर और सदन को बार-बार स्थगित कर हमारे कार्य करने के अधिकार से वंचित रखा है। बाद में आपकी ओर से पूरक कार्यसूची जारी कर 06 जनवरी तक चलने वाले सत्र को 04 जनवरी को ही समाप्त कर दिया। आपकी इस कार्यप्रणाली से विपक्ष अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है। आज के बाद विधानसभा के किसी भी आयोजन में हमारी भागीदारी की अपेक्षा ना रखें।