शराब पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर-बिलासपुर

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

बिलासपुर : संपूर्ण देश करोना कोविड-19 महामारी से ग्रसित है। जिसके नियंत्रण के लिये सरकार के द्वारा कड़ा से कड़ा कदम उठाते हुये महामारी अधिनियम 188 के साथ लाँकडाउन सोशल डिस्टेंसिंग, धारा 144 पूरे देश में लागू किया गया है।
सामान्य जनता द्वारा विभिन्न कठनाई से जूझते हुये भी कानून का पालन किया जा रहा है। इन विषम स्थितियों में जनता द्वारा परिजनों के दाह संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाना सरकारी नियम पालन के सर्वोपरि साक्ष्य हैं। स्वराज भारत अभियान के कार्यकर्ता तथा भारतीय जन जागरण मंच के संंयोजक व सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुये बताया कि प्रदेश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते इस पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूंँ कि इस भयावह स्थिति में राज्य सरकार द्वारा दिनांक 04 मई से पूरे प्रदेश में शराब जैसे घातक मादक पदार्थ की बिक्री प्रारंभ किया गया है। जिसके चलते पूरे राज्य में धारा 144 लाकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग, महामारी अधिनियम का उल्लंघन हुआ है। जिसके संबंधित समाचार सभी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिखाया व प्रकाशित किया गया है। शराब की दुकान में सैकड़ों हजारों की संख्या में उपस्थित जन समुदाय ने कानून का उल्लंघन किया है, जिसका संपूर्ण जिम्मेदार राज्य सरकार का शराब बेचने का गलत निर्णय है।
शराब जैसे घातक पदार्थ की बिक्री से राज्य में करोना महामारी के संक्रमण की गुंजाइश प्रबल हो गयी है व जनजीवन खतरे में है। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 47 का उल्लंघन भी राज्य सरकार द्वारा शराब बिक्री कर किया जा रहा है। यह कि विधानसभा चुनाव के पूर्व वर्तमान सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने लिखित घोषणापत्र में जनता से पार्टी की सरकार बनने पर पूर्ण शराबबंदी करने का वचन पत्र (घोषणा पत्र के रुप में) जारी कर जनता से वोट देने का अपील की गई थी। जिसके परिणाम स्वरूप काँग्रेस ने पूर्ण बहुमत से जीत हासिल कर सरकार बनाने में सफल रही। प्रदेश में कांग्रेस के सत्तारुढ़ होने के पस्चात राज्य सरकार द्वारा विगत 16 माह के उपरांत भी अपने लिखित घोषणापत्र का परिपालन नहीं किया गया जो प्रदेश की जनता के साथ सामूहिक रूप से धोखाधड़ी है। सरकार का उक्त कृत्य जनता के साथ सामुहिक धोखाधड़ी -चार सौ बीसी के अपराध की श्रेणी में है। यह की करोना महामारी के संक्रमण काल के लाकडाउन अवधि में प्रदेश में 43 दिनों तक शराब की बिक्री बंद रही जिससे पूरे प्रदेश में घरेलू हिंसा, दुर्घटनाओं व कई प्रकार के अपराध में कमी आई। इस दौरान पुराने आदतन शराब का सेवन करने वाले किसी भी व्यक्ति की शराब नहीं पीने से जनहानि होने की घटना प्रकाश में नहीं आया। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में शराब बिक्री प्रारंभ करने की प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व ही मेरे द्वारा व प्रदेश के अन्य जिम्मेदार नागरिकों द्वारा 01.05.2020 को मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ को व्यवहार प्रक्रिया संहिता 80 के अंतर्गत कानूनी नोटिस प्रेषित की गई थी तथा पूर्णरूप से घोषणा पत्र का पालन करते हुये व संविधान के अनुच्छेद 47 के परिपालन कर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करने का अपेक्षा किया गया था। 04 मई से राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में शराब बिक्री प्रारंभ करने के बाद से हिंसा का ग्राफ प्रदेश में बढ़ा है, तथा नशे के कारण घरेलू हिंसा सड़क दुर्घटना में कई जानें भी गई हैं, व घरेलू हिंसा में हत्या की घटना घटी है जो कि आरोपीयों के द्वारा शराब के नशे में ये अपराध कारित किया गया है। यह कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा करोना महामारी से निपटने के लिये विश्व के सभी रोग से प्रभावित देशों के सरकार को वहां के नागरिकों के प्रतिरोधक क्षमता को बरकार व बढ़ाने हेतु समुचित उपाय करने के निर्देश दिये गये हैं। इन परिस्थितियों में राज्य में शराब सेवन करने से मनुष्य शरीर के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा व करोना महामारी को निमंत्रण देने के समान ही होगा।  सरकार के इस मूर्खतापूर्ण निर्णय से जनजीवन संकट में है। वैश्विकरण स्तर पर इस लाइलाज बीमारी की चपेट में बड़ी संख्या में जनहाननी हुई है और यह क्रम बहुत तेज गति से जारी है। न्यायाधीश से करबद्ध निवेदन है कि इस पत्र को प्रदेश की जनता के जीवन रक्षार्थ पत्र याचिका के रूप में स्वीकार करने की कृपा करें। इस आवेदन पर शीघ्र सुनवाई करते हुये सरकार के असंवैधानिक शराब बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाने हेतु आदेश जारी करने की कृपा करें। जिससे प्रदेश के नागरिकों की जीवन की रक्षा हो सके और कानून का भी परिपालन सुनिश्चित हो। साथ ही, राज्य सरकार के मुख्यमंत्री व शीर्ष मंत्रिमंडल के सदस्य जिन्होंने शराब बेचने के निर्णय को सदन में पारित में किया है उनके विरुद्ध महामारी अधिनियम188 का उल्लंघन, लाकडाउन सोशल डिस्टेंसिंग व धारा 144 का उल्लंघन के लिए जनता को प्रेरित करने व संविधान के अनुच्छेद 47 के विपरीत आचरण करने तथा चुनाव पूर्व लिखित घोषणापत्र में शराबबंदी के परिपालन ना करने पर जनता से धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध करने हेतु पुलिस प्रशासन को निर्देशित करें। इसी तारतम्य में यह भी निवेदन है कि राज्य सरकार द्वारा इस महामारी संक्रमण के दौर में महामारी अधिनियम 188 का उल्लंघन कर जनता को लाँकडाउन तोड़ने के लिए प्रेरित किया गया जिसे सभी समाचार पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित व प्रसारित किया है। अत्यंत दुख का विषय है कि न्यायपालिका को सरकार द्वारा इस व्यापक स्तर पर कानून उलंघन करने पर स्वस्फुर्त संज्ञान लिया जाना चाहिये था, परन्तु इतने संवेदनशील मामले में अब तक संज्ञान नहीं लिया जाना न्यायपालिका के गरिमा के विपरीत है, इससे जनता का विश्वास न्यायपालिका से कम होता जा रहा है, जो कि लोकतंत्र के लिये घातक है। इस प्रकरण में सुनवाई के दौरान आवेदक को समक्ष सुनवाई का अवसर प्रदान किया जावे।

Ravi sharma

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