शंकराचार्यजी को वैदिक रीति से दी गई भू-समाधि

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नरसिंहपुर – ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी को आज उनके आश्रम परमहंसी गंगा आश्रम झौतेश्वर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरे राजकीय सम्मान के साथ समाधि दी गई। काशी से पहुंचे साधु-संतों ने रीति-रिवाज और धार्मिक कर्मकांड से उनकी अंतिम यात्रा और समाधि संपन्न कराई। इससे पहले भजन कीर्तन के साथ उन्हें पालकी में बैठाकर समाधि स्थल तक लाया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में उनके शिष्य, अनुयायी और श्रद्धालु मौजूद रहे। जिन्होंने नम आंखों से जय गुरुदेव के नारा लगाते हुये अपने गुरुदेव को अंतिम विदाई दी। उनके अंतिम दर्शन करने के लिये मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी वहां पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी के साथ उनके उत्तराधिकारियों की भी घोषणा की गई। अब स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका शारदापीठ का और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्‍पीठ बद्रीनाथ का प्रमुख घोषित किया गया है। दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य स्वरूपानंद की पार्थिव देह के सामने की गई। ज्योतिष एवं द्वारका पीठ के पीठ पंडित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री ने बताया कि कर्नाटक से गौरी शंकर सचिव ने अभिषेक एवं पट्टा वस्त्र उढ़ाकर शंकराचार्य की घोषणा की। घोषणा के बाद 108 कलश जल से ब्रह्मलीन स्वामी जी को स्नान कराया गया , फिर उनका दुग्ध अभिषेक किया गया और उनके मस्तक पर शालिग्राम जी को स्थापित किया गया। फिर पालकी में शंकराचार्य की पार्थिव देह को परिक्रमा कराते हुये समाधि स्‍थल लाया गया और समाधि की प्रक्रिया शुरू की गई। बनारस के आचार्य पंडित अवध राम पांडे के आचार्यत्‍व में भू समाधि कार्यक्रम हुआ। इस दौरान विशेष रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, विधायक जयवर्धन सिंह, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्‍खा, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्‍नू, मैथिली तिवारी, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, शेखर चौधरी, सुरेश पचौरी, विधायक अजय विश्नोई, विधायक लखन घनघोरिया मौजूद रहे। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित विभिन्न राजनेताओं और साधु संतों ने शंकराचार्य जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्वामीजी सनातन धर्म के ध्वजवाहक और हमारी संस्कृति एवं जीवन मूल्यों के पोषक, योद्धा और संन्यासी थे। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई भी लड़ी। उन्होंने लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और गरीबों, जनजातियों, दलितों की सेवाओं के लिए प्रयास किये। वे विद्वान एवं अद्भुत सन्त थे। शिवराज सिंह चौहान ने ब्रम्हलीन स्वामी जी के चरणों में प्रणाम करते हुये कहा कि वे सनातन धर्म के सूर्य थे. उनके जाने से प्रदेश सूना हो गया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने हमें जो राह दिखाई है , हम सभी उस पर चलने का विनम्र प्रयास करेंगे। बताते चलें कि हिन्दुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी रविवार को नरसिंहपुर में परमहंसी आश्रम में ब्रह्मलीन हो गये थे। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार समाधि स्थल पर कुछ दिनों बाद एक मंदिर बनाया जायेगा और उसमें शिवलिंग की स्थापना की जायेगी।

Ravi sharma

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