विश्व प्रसिद्ध हरिहरनाथ मंदिर के अंतिम महंत रहे स्वर्ग: अवधकिशोर गिरी कि पुण्यतिथि मनाई गई–सोनपुर

सोनपुर–विश्व प्रसिद्ध हरिहरनाथ मंदिर के अंतिम महंत रहे अवध किशोर गिरी की 17 वीं पुण्यतिथि मंदिर परिसर मे मनायी गई.इस अवसर पर मंदिर न्यास समिति के सचिव विजय कुमार सिंह लल्ला, कोषाध्यक्ष निर्भय कुमार सिंह भी उपस्थित रहे.

सर्वप्रथम उपस्थित लोगों ने स्व-गिरी की मूर्ति पर फूल माला डालकर नमन किया. फिर स्थल पर परात में रखें फूलों को लेकर हर किसी ने अर्पण कर श्रद्धापूर्वक प्रणाम और नमन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विजय कुमार सिंह लल्ला ने की जबकि संचालन प्रोफेसर चन्द्र भूषण तिवारी ने किया.

वक्ताओं ने कहा कि स्व-गिरी ने दक्षिण भारत से आकर बाबा हरिहर नाथ जी की जीर्ण शिर्ण व्यवस्था में जो सुधार किया वह जगजाहिर है. उनके सपनों को साकार कराने वाले वर्तमान अध्यक्ष गुप्तेश्वर पाण्डेय ने भी मन्दिर के लिए बहुत कुछ किया है.

वरिष्ठ पत्रकार, अधिवक्ता एवं स्व गिरी के लीगल एडवाइजर रहे विश्वनाथ सिंह ने कहा कि महन्त अवध किशोर गिरी का बचपन का नाम अप्पल राजु था. इनका जन्म 13 मार्च 1938 को एटीकोपाका (ETIKOPPAKA) गांव में हुआ था,जो आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिला के नाकापाली थाना क्षेत्र में पड़ता है.इनके पूर्वज सूर्यवंशी राजपूत है.आज भी इनका घर पुराना किला के नाम से प्रसिद्ध है.

इनके पिता के० बी० सूर्य नारायण राजु पुलिस विभाग में डी० एस० पी० के पद से अवकाश प्राप्त करने के कुछ दिनों बाद ही स्वर्गवासी हो गए.
स्वर्गीय बाबा की मां का नाम श्रीमती लक्ष्मीनरसमा देवी था,जो अपने पुत्र अप्पल राजु को देखने के लिए सोनपुर अक्सर आती रहती थी.अप्पल राजु के जन्म के समय ही एक ज्योतिषाचार्य ने इनकी मां को स्पष्ट शब्दों में बोला था कि यह बालक देश मे बहुत बड़ा अधिकारी बनेगा या फिर राष्ट्र स्तर का संन्यासी.उस ज्योतिषाचार्य का कथन सत्य निकला.

वे वर्ष 1964 में बी०ए० की परीक्षा पास कर 1965 में हैदराबाद में एल ० एल ० बी० के लिए नामांकन कराया. पढ़ते-पढ़ते इनका ध्यान सांई बाबा की ओर आकृष्ट हुआ. सांई बाबा ने महंत गिरी के पिता के माध्यम से ही अपने आश्रम में इन्हें बुलाया और आशीर्वाद दिया. सांई बाबा से महन्त गिरी ने अपना कुछ प्रस्ताव रखा इस पर उन्होंने कहा कि यहां 10 दिन रहो और पढ़ो.फिर बोलें तुम अपने राज्य में संन्यासी नहीं बनना,चलें जाओ उत्तर भारत.यह कहते हुए सांई बाबा ने अपना हाथ हवा में उठाया और तुरंत एक हजार रुपया दिखाई दिया जो श्री गिरी को देकर उत्तर भारत अविलंब जाने का आदेश दिया.यह घटना वर्ष 1966 की है.सांई बाबा के आदेशानुसार महन्त गिरी ट्रेन के रास्ते बोध गया पहुंचे.वहां के महाराज श्री सतानन्द गिरी जो गुजरात के थे उनसे इनका मुलाकात हुई.वे अवध किशोर गिरी को ओम् नमः शिवाय एक सप्ताह तक जपने को कहा. यहीं पर इनका पैंट-शर्ट उतरवाकर लंगोटी, धोती,गमछा,पगड़ी एवं रुद्राक्ष माला आदि दिया गया. श्री अवध किशोर गिरी के साथ 14 साधु को एक साथ ब्रह्मचारी बनाया गया था. ब्रह्मचारी बनने के 6 माह बाद श्री अवध किशोर गिरी को सन्यासी का भीक्षा ग्रहण कराया गया.बोधगया के महंत ने श्री गिरी को जो भी उत्तरदायित्व, कार्य सौंपा वे कर्मठता के साथ करते गये. परिणामस्वरूप वे सभी संन्यासियों में अव्वल प्रमाणित होने लगें.इनपर गया के महंत जी का काफी विश्वास जम गया. वक्ताओं ने यह भी कहा कि हरिहर नाथ मंदिर का देख रेख प्रारंभ से ही बोध गया मठ के द्वारा होता था. महन्त अवध किशोर गिरी के यहां आने से पूर्व बाबा हरिहर नाथ मंदिर कि आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. जर्जर प्रांगण देख कर हर कोई आने वाला भक्त कुपित हो जाता था. यहां आमदनी का श्रोत मात्र चढ़ावा था.बोधगया मठ के व्यवस्थापक के मनमर्जी से यहां अनाज-पानी आते रहता था. जिसका उपयोग यहां रहने वाले पुजारी प्रसाद एवं राजभोग में करते थे. मौके पर पहुंचे लोगों ने श्रद्धापूर्वक पुन्यतिथि में भाग लेते हुए यह भी कहा कि हरिहर नाथ मंदिर में सर्वप्रथम श्री अवध किशोर गिरी वर्ष 1968 में मेला अवधि में आये थे.तब मंदिर प्रांगण में जगह-जगह गढ्ढे थे. मंदिर की छत भी जीर्ण शिर्ण अवस्था में थीं.इस स्थिति को देखकर श्री गिरी का दिल द्रवित हो गया था और वे बोधगया जाकर इन सारी बातों से वहां के व्यवस्थापक को अवगत कराये थे.तब बोधगया मठ के महंत सदानंद गिरी थे. इन्होंने वर्ष 1970 में महंत अवध किशोर गिरी को स्थायी रूप से बाबा हरिहर नाथ मंदिर को देखभाल करने के लिए अधिकृत कर भेजा था. मंदिर प्रांगण में हरिहरनाथ ओ० पी०, डाक घर की स्थापना अवध किशोर गिरी के प्रयास से ही संभव हुआ था जो आज भी चल रहा है.मंदिर की ऊंचाई 108 फ़ीट हो इसके लिए वे प्रयास कर ही रहे थे कि अचानक उनकी तबियत ख़राब हुई. पटना स्थित राजेश्वरी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 9 अप्रैल 2006 की रात उन्होंने सदा सर्वदा के लिए अपनी आंखें बंद कर ली.अन्त में धन्यवाद ज्ञापन न्यास समिति के कोषाध्यक्ष निर्भय कुमार सिंह ने किया.शुक्रवार के दिन आयोजित पुण्यतिथि के अवसर पर मुख्य अर्चक शुशील चन्द्र शास्त्री,सचिव विजय कुमार सिंह लल्ला,समाजसेवी श्री लालबाबू पटेल ,गनीनाथ राय,चन्द्र भूषण तिवारी,बम बम पाण्डेय,सदानंद पाण्डेय,शैलेन्द्र पाण्डेय,गजेन्द्र पाण्डेय,विनय झा,राहुल द्विवेदी, मनीष कुमार सिंह बब्लू,दिनेश सहनी, रामप्रसाद सहनी,शंकर साह,कृष्णा सहित अन्य पंडा पुजारी उपस्थित रहे. अंत में दो मिनट का मौन रखकर स्व महंत अवध किशोर गिरी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

Ravi sharma

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