राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद के नाम-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सर्वोच्च खेल अवार्ड राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखे जाने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुये लिखा है कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने भारत के लिये सम्मान और गौरव लाया। यह सही है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जायेगा। उन्होंने आगे कहा देशवासियों का ये आग्रह सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाये। लोगों की भावनाओं को देखते हुये , इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। बताते चलें यह भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है , विभिन्न खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को यह पुरस्कार दिया जाता है। इस अवार्ड को वर्ष 1991-92 में शुरू किया गया था , तब इसका नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र , अवॉर्ड और 25 लाख रुपये की राशि दी जाती है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार पहले शतरंज के दिग्गज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद को दिया गया था। अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। इस पुरस्कार से सम्मानित अन्य खिलाड़ियों में लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्ले, पुलेला गोपीचंद, अभिनव बिंद्रा, अंजू बॉबी जॉर्ज, मैरी कॉम , रानी रामपाल , रोहित शर्मा , पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु , टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा , रेसलर विनेश फोगाट का नाम शामिल है। इस अवार्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य खेल के क्षेत्र में सराहना और जागरूकता फैलाने के साथ -साथ खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाना है , ताकि वे समाज में और ज्यादा सम्मान प्राप्त कर सकें।
हॉकी में अब तक तीन खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले (वर्ष 1999/2000) , सरदार सिंह (वर्ष 2017) और रानी रामपाल (वर्ष 2020) शामिल है।गौरतलब है कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने वर्ष 1928 , 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। वर्ष 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किये थे।

Ravi sharma

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