मुठभेड़ के बाद नक्सलियों द्वारा प्रेस नोट जारी,कौन है मास्टर माइंड हिडमा,जाने पुरी रिपोर्ट-रायपुर

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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रायपुर — गत दिवस छत्तीसगढ़ बीजापुर के तर्रेम में हुये नक्सली हमले को लेकर दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस नोट जारी किया है। जिसमें उन्होंने हमले में चार नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की है , साथ ही शहीद जवानों के परिवारों के प्रति नक्सलियों ने खेद प्रकट किया है। नक्सलियों ने हमले में 14 हथियार और 2000 से ज्यादा कारतूस सहित अन्य साजो सामान भी जब्त किया है। राज्य के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले से नक्सलियों के खिलाफ अभियान में कोबरा बटालियन , डीआरजी और एसटीएफ के दल को रवाना किया गया था। इस नक्सल विरोधी अभियान में बीजापुर जिले को तर्रेम , उसूर , सुकमा जिले के मिनपा और नरसापुरमं से दो हजार जवान शामिल थे। टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव के जंगल में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच चार घंटे तक मुठभेड़ चली थी। इस घटना में 22 जवान शहीद हो गये तथा 31 अन्य जवान घायल हुये हैं जिनमें 13 जवानों का इलाज रायपुर में और 18 जवानों का इलाज बीजापुर में चल रहा है। वहीं मुठभेड़ के बाद से कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मनहार (जम्मू-कश्मीर निवासी) को नक्सलियों ने अपने कब्जे में सुरक्षित होने की बात कही है। नक्सलियों ने कहा है कि सरकार मध्यस्थों का ऐलान करे तो हम जवान को छोंड़ देंगे पर पुलिस इस मामले में कोई षड्यंत्र ना रचे। नक्सलियों ने इस मुठभेड़ में चार माओवादियों कामरेड ओड़ी सन्नी , कामरेड पदाम लखमा , कामरेड कोवासी वदरू और कामरेड नूपा सुरेश के मारे जाने की बात स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि इनमेँ कामरेड ओड़ी सन्नी का शव नही ले जा सके बाकी तीन कामरेडों को क्रांतिकारी जनता के बीच में क्रांतिकारी रीति-रिवाज के तहत विदा दे दिये हैं।

हमले का मास्टरमाइंड हिड़मा

इस हमले का मास्टरमाइंड नक्सल कमांडर माड़वी हिड़मा है जिस पर पुलिस ने 40 लाख रुपये का ईनाम घोषित किया है। हिड़मा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। माना जाता है कि 45 वर्षीय हिडमा जोनागुड़ा से लगभग 06 किलोमीटर दूर पूवर्ती गांव का निवासी है , पुलिस के पास उनकी पुरानी तस्वीरें ही है। यह छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस के लिये मोस्टवांटेड नक्सली है।

नक्सलवादी नेता हिड़मा सात लेयर की सुरक्षा के साथ जंगल में रहता है। उसके बटालियन का नाम मिलिट्री बटालियन आफ हिड़मा है जो अत्याधुनिक सेवाओं से लैस है। हिड़मा के पास पीएलजीए यानि पीपुल लिबरेशन ग्रुप आर्मी की कंपनी नंबर 2 के अलावा आंध्रदलम की अन्य टुकड़ी भी साथ रहती है। इसके अलावा स्थानीय लोग और गांव वाले भी इसके सुरक्षा में रहते हैं। बड़ी संख्या में नक्सलियों को इकट्ठा कर योजनाबद्ध तरीके से उसने इस घटना को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की घटना हिडमा के गांव में ही घटी है। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला हिड़मा का गढ़ है , जहां पर होने वाली सभी नक्सली गतिविधियों को हिड़मा संचालित करता है। कद काठी में दुबले पतले हिडमा का नक्सली संगठनों में कद काफी बड़ा है। हिड़मा नक्सली गतिविधी और संगठन पर अच्छी पकड़ के कारण ही सबसे कम उम्र में माओवादियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बन गया है

योजनाबद्ध हुआ हमला

बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 75 किमी दूर तर्रेंम थाना क्षेत्र सिलगेर गांव के पास के जंगल में नक्सलियों की बटालियन नंबर एक के कमांडर दुर्दांत नक्सली हिड़मा की मौजूदगी की सूचना मिल रही थी। इस आधार पर डीआरजी , सीआरपीएफ , एसटीएफ व कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम सर्च आपरेशन पर रवाना की गई थी , जिसमे कुल 2059 जवान शामिल थे। नक्सलियों ने जवानो को सर्चिंग से वापसी के दौरान बीजापुर के तर्रेम व सुकमा के सिलगेर के बीच जोनागुड़ा के जंगल में फोर्स की एक टुकड़ी को नक्सलियों ने एंबुश में फंसा लिया। नक्सलियों ने चारो तरफ से एक किलोमीटर के दायरे में तीन एंबुश लगा रखा था। चारो तरफ से घरकर नक्ससलियों ने जवानो पर फायरिंग करने लगे। अचानक हुये इस फायरिंग से जवानो ने हौसला कायम रखते हुये अदम्य साहस का परिचय देकर मुकाबला किया लेकिन गांव में छिपे नक्सलियों ने जवानो के ऊपर नज़दीक से गोलीबारी करना भारी पड़ गया। नक्सलियों ने लैंडमाइंस और केचर्स भी लगा रखे थे। केचर्स में फंस कर जवानो का पैर फंसकर लहुलुहान हो जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि नक्सली पहाड़ पर थे जबकि फोर्स खुले मैदान मेंं इस मुठभेड़ में हमारे जवानो ने अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय देते हुये जहाँ आज तक पुलिस नहीं पहुंच पायी थी उस जगह पर नक्सलियों से लोहा लिया नक्सलियों को मुहतोड़ जवाब दिया। बीते एक दशक में यह सबसे बड़ा नक्सली हमला है। विगत 25 मई 2013 को सुकमा के झीरम घाटी  में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। इस हमले में कांग्रेस के तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल , विद्याचरण शुक्ल , महेंद्र कर्मा समेत सुरक्षा में तैनात 29 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद घटी इस घटना ने एक बार फिर उस हमले की याद ताजा कर दी।

हम वार्ता को तैयार – नक्सली

नक्सलियों ने फिर वार्ता की बात पर कहा है कि हम कभी भी वार्ता के लिये तैयार हैं , लेकिन सरकार ईमानदार नहीं है। अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है। पुलिस बल को एकत्र करने , कैंप बंद करने , हमला रोकने से ही वार्ता हो सकती है। कोंडागांव , बीजापुर , नारायणपुर में सैनिक अभियान चलाने से वार्ता नहीं होगी।

अब तक हुये बड़े नक्सली हमले

06 अप्रैल 2010 को ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुये , 25 मई 2013 झीरम घाटी हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी व जवान शहीद , 11 मार्च 2014 को टहकवाड़ा हमले में 15 जवान शहीद , 12 अप्रैल 2015 को दरभा में एम्बुलेंस पर हमला 05 जवानों सहित ड्राइवर व एएमटी शहीद , मार्च 2017 में भेज्जी हमले में 11 सीआरपीएफ जवान शहीद , 06 मई 2017 को सुकमा के कसालपाड़ में किया गया हमला जिसमें 14 जवान शहीद , 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुरकापाल बेस केम्प हमले में 32 सीआरपीएफ जवान शहीद , 21 मार्च 2020 को सुकमा के मिनपा हमले में 17 जवान शहीद हुये थे।

Ravi sharma

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