महामहिम राष्ट्रपति ने किया राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन का उद्घाटन

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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अहमदाबाद – कुछ अड़चनों के कारण न्यायपालिका में मध्यस्थता की अवधारणा को अभी व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है , लेकिन सभी हितधारकों तक इसका लाभ पहुंचाने के लिये इस विषय के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिये।न्याय वितरण प्रणाली के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की तरफ बढ़ने का सर्वोच्च उद्देश्य न्याय तक पहुंच में सुधार होना चाहिये।
उक्त बातें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा नर्मदा जिले के एकता नगर में आयोजित मध्यस्थता एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये कही। इस दौरान राष्ट्रपति ने कई मध्यस्थता केंद्रों में बुनियादी सुविधायें ना होने का जिक्र करते हुये कहा “सच कहा जाये तो मध्यस्थता में हर कोई विजेता होता है। ऐसा कहने के बाद यह भी स्वीकार करना होगा कि इस अवधारणा को अभी तक देश भर में व्यापक स्वीकृति नहीं मिली है। कुछ स्थानों पर पर्याप्त प्रशिक्षित मध्यस्थ उपलब्ध नहीं है , इन मध्यस्थता केंद्रों में सुविधाओं को उन्नत करने की जरूरत है। इन समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिये ताकि व्यापक आबादी को न्याय मिलने में इस प्रभावी उपकरण से लाभ मिल सके। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने इस संबंध में प्रशिक्षण के महत्व पर भी जोर देते हुये कहा कि अगर हमें इस क्षेत्र में वांछित परिणाम प्राप्त करने हैं तो सभी हितधारकों को मध्यस्थता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिये। उन्होंने कहा कि इसके लिये प्रारंभिक स्तर पर प्रारंभिक पाठ्यक्रम से लेकर मध्य-कैरियर पेशेवरों के लिये पुनश्चर्या पाठ्यक्रम तक विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है। महामहिम ने कहा कि मध्यस्थता के बारे में वकीलों के बीच ‘‘उनके पेशे के लिये खतरा’’ होने की गलतफहमी को पिछले दो दशकों में दूर किया गया है। साथ ही इस अवधि के दौरान सभी हितधारकों ने मध्यस्थता को ‘‘विवाद समाधान के लिये एक प्रभावी उपकरण’’ के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुये कहा कि उन्होंने एक वकील के रूप में अत्यधिक सफल करियर होने के बावजूद सबसे ऊपर मध्यस्थता के तरीके को प्राथमिकता दी। राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 महामारी संकट डिजिटल क्रांति के लिये एक अवसर साबित हुआ है, जो आवश्यक गतिविधियों को बनाये रखने और अर्थव्यवस्था के पहियों को गतिमान रखने में सबसे अधिक मददगार साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि महामारी से पहले भी , न्याय वितरण प्रणाली को वादियों और सभी हितधारकों को दी जाने वाली सेवाओं की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करने के लिये आईसीटी से लाभ हुआ था।इस दौरान राष्ट्रपति ने राज्यों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके बहुत अच्छा काम करने के लिये उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति की प्रशंसा भी की। अपने संबोधन में महामहिम ने मुकदमों से पहले और बाद में भी मध्यस्थता की व्यापक स्वीकृति के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण और अन्य कदम उठाने का आह्वान किया है। वहीं उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना ने मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को हल करने पर जोर देते हुये कि शांतिपूर्ण और तटस्थ वातावरण में संघर्षों को सुलझाने के लिये हमें दूरदर्शिता अपनानी चाहिये। उन्होंने कहा कि नये वकीलों और कानून के छात्रों के लिये बातचीत और मध्यस्थता में विशेषज्ञता विकसित करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास के परिणामस्वरूप देश के कानूनी और नियामक परिदृश्य में जटिलता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि बड़े से बड़े विवाद को भी आपसी समझ से सुलझाया जा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन में विचार-विमर्श से चुनौतियों का कुछ समाधान खोजने में मदद मिलेगी। इसी कड़ी में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने जल्दी न्याय के लिये न्यायपालिका में बेहतर सुधारों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बेहतर समन्वय के लिए न्यायपालिका और विधायिका को एक दिशा में मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत सरकार न्यायपालिका की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमें न्याय वितरण प्रणाली में आईटी के उपयोग के बारे में गहराई से जानना चाहिये और उसका भरपूर प्रयोग भी करना चाहिये। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर शुरू करने के लिये सूचना और प्रौद्योगिकी की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने भी राज्य में अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण सहित कई कदम उठाये हैं। वहीं इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि वर्तमान वैश्विक स्थिति में आत्मानिर्भर और अखंड भारत समय की मांग है।गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने तीन दिवसीय यात्रा पर गुजरात पहुंचे हैं।अहमदाबाद हवाई अड्डा पहुंचने पर राष्‍ट्रपति का भव्‍य स्‍वागत किया गया। इस अवसर पर राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत , मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति उपस्थित थे।

कल करेंगे माधवपुर मेले का उद्घाटन
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अपने गुजरात यात्रा के दूसरे दिन महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कल 10 अप्रैल को गुजरात के पोरबंदर जिले के माधवपुर घेड गांव में पंच दिवसीय मेले का उद्घाटन करेंगे। यह मेला एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माधवपुर घेड में भगवान कृष्ण और देवी रुक्मणी के विवाह का उत्सव मनाने के लिये आयोजित किया जाता है। प्रसिद्ध माधवराय मंदिर मूल रूप से 13वीं शताब्दी में गांव में बनाया गया था। यहां हर साल रामनवमी से पंच दिवसीय मेला लगता है , इस वार्षिक आयोजन में लाखों लोगों आते हैं।

Ravi sharma

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