महंत नरेंद्र गिरि को दी गई भू-समाधि

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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प्रयागराज — मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर का आज पांच डाक्टरों की टीम द्वारा स्वरूप रानी मेडिकल कालेज में पोस्टमॉर्टम किया गया। गठित पैनल में दो विशेषज्ञ एमएलएन मेडिकल कॉलेज , दो डॉक्टर जिला अस्पताल और सीएमओ के अधीन तैनात एक डॉक्टर को शामिल किया गया था। पोस्टमार्टम पैनल के सभी चिकित्सकों के नाम गुप्त रखे गये हैं। रिपोर्ट मौके पर ही सील कर दी गई , वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि दम घुटने से उनकी मौत हुई है। पोस्टमार्टम के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को मुख्य मार्ग से पहले संगम ले जाया गया जहां भारी भीड़ और पार्थव शरीर के पोस्टमार्टम होने के चलते ट्रक के अंदर ही विधि पूर्वक संगम स्नान की औपचारिकता पूरी की गई। फूलों से सजे रथ पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को लेकर निकाली गई यात्रा में महंत के अंतिम दर्शन के लिये संगम जाने वाले मार्गों पर भारी भीड़ देखने को मिली , लोग जगह जगह फूल माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। बाद में हनुमान मंदिर होते हुये अंत में महंत की इच्छानुसार बाघंबरी मठ में नींबू पेंड़ के पास वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनके पार्थिव शरीर पर जल , पुष्प , गुलाल का छिड़काव करते हुये संत परंपरा के अनुसार उन्हें पद्ममुद्रा में बैठी हुई अवस्था में भू-समाधि दी गई। महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी बलवीर गिरि ने समाधि की पूरी प्रक्रिया अपने हाथों से संपन्न की। इस दौरान तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों सहित देश भर के अलग-अलग मठों के असंख्य साधु – संत एवं महामंडलेश्वर मौजूद रहे। ब्रह्मलीन महंत नरेंद्र गिरि की भू-समाधि में पार्थिव देह रखे जाने से पहले चीनी-नमक डाला गया। पार्थिव देह चंदन का लेप लगाकर बैठने की मुद्रा में रखी गई। मौजूद महात्मा व आमजन पुष्प, पैसा, मिट्टी आदि अर्पित कर प्रणाम किये।

दोषी को नही बख्शा जायेगा – डिप्टी सीएम
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महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम यात्रा की अगुवाई कर रहे प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि अगर महंत नरेंद्र गिरी की हत्या हुई है तो हत्यारा नहीं बचेगा और आत्महत्या के लिये किसी ने मजबूर किया है तो वह भी किसी दशा में नहीं बचेगा। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने किसी भी सवाल का उत्तर देने से मना कर दिया और कहा कि मामला जांच के दायरे में है और वे कुछ भी नहीं बोल सकते।

आनंद गिरी और आद्या तिवारी न्यायिक रिमांड पर
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महंत नरेंद्र गिरि की मौत मामले में प्रयागराज की सीजेएम कोर्ट ने आनंद गिरि और हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया है। इन दोनो को चिकित्सकीय परीक्षण के बाद जिला अदालत में पेश किया गया था। सूत्रों के मुताबिक सुसाइड नोट दिखाकर आनंद गिरि से पुलिस के अलग-अलग अधिकारियों ने पूछताछ की. आनंद गिरि ने कहा मुझे फंसाया जा रहा है , इसकी जांच होनी चाहिये।

आज होगा धूल रोट
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श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में समाधि के बाद आज गुरुवार को धूल रोट का आयोजन होगा। धूल रोट ब्रह्मलीन होने के तीसरे दिन होता है। धूल रोट में रोटी में चीनी मिलाकर महात्माओं को वितरित किया जाता है। चावल व दाल प्रसाद स्वरूप वितरित होता है। सभी संत इसे ग्रहण कर मृतक के स्वर्ग प्राप्ति की कामना करते हैं।

क्या है समाधि परंपरा ?
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ब्रह्मलीन संतों को समाधि देने की परंपरा बेहद प्राचीन है। तिरोधान के बाद संत की प्रतिष्ठा-परंपरानुसार जल या भू समाधि दी जाती है। समाधि की परंपरा त्रेता और द्वापर युग में नहीं थी। इसकी प्राचीनता का अनुमान भगवत्पाद् जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की समाधि (492 ईसा पूर्व) से लगाया जा सकता है , जो आज भी केदारनाथ धाम में विद्यमान है। ब्रह्मलीन होने के बाद सन्यासियों का दाह संस्कार नहीं होता , बल्कि उन्हें जल व भू-समाधि देने का विधान है। जल समाधि देने के लिये पार्थिव शरीर किसी पवित्र नदी की बीच धारा में विसर्जित किया जाता है। इस दौरान पार्थिव शरीर से कुछ वजनी वस्तु भी बांध देते हैं ताकि पार्थिव शरीर तैर ना सके। भू-समाधि में पार्थिव शरीर को पांच फीट से अधिक जमीन के अंदर दबा दिया जाता है। संतों को भू-समाधि इसलिये दी जाती है ताकि कालांतर में उनके अनुयायी अपने अराध्य का दर्शन और अनुभव उस स्थान पर जाकर कर सकें। दशनाम परंपरा में संतों के ब्रह्मलीन होने पर उनके अंतिम संस्कार करने का विशेष विधान है। सबसे पहले जिस विशेष स्थल पर समाधि दी जानी होती है , वहां पर गंगाजल और अन्य पवित्र पदार्थों से वैदिक मंत्रों के साथ शुद्धिकरण किया जाता है। इसके बाद वहां गहरा गड्ढा बनाया जाता है , उसमें विशेष तरह के आसन बिछाए जाते हैं। विभिन्न पवित्र नदियों और सरोवरों की मिट्टी डाली जाती है। उसमें चीनी , नमक और फल मिष्ठान डाला जाता है। समाधि देने से पहले संत को गंगा स्नान कराकर उनके वस्त्र , जनेऊ आदि बदले जाते हैं। विभिन्न तरह के चंदन , इत्रों और माला फूल से उनका श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद उन्हें बैठी हुई अवस्था में गड्डे के बीच में स्थापित किया जाता है , इसे दशा को पद्म मुद्रा कहते हैं। इस कार्य के बाद उन पर गंगा जल , पुष्प , गुलाल आदि डाला जाता है। इस दौरान सभी संत , महात्मा , शिष्य उनका अंतिम दर्शन करते हुये गड्ढे को पवित्र नदियों की मिट्टी से ढंकते हैं और अंत में उस पर गोबर से लिपाई होती है।

Ravi sharma

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