मशहूर संतूर वादक,संगीतकार पं. शिवकुमार शर्मा नहीं रहे

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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मुम्बई – मशहूर भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा (84वर्षीय) का आज मुंबई में कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। वे पिछले छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। मिली जानकारी के अनुसार पंडित शिव कुमार शर्मा का 15 मई को कॉन्सर्ट होने वाला था। सुरों के सरताज को सुनने के लिये कई लोग बेताब थे। लेकिन अफसोस इवेंट से कुछ दिन पहले ही शिव कुमार शर्मा ने इस दुनियां को हमेशा के लिये अलविदा कह दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संगीत को पहचान दिलाई। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में पंडित शिवकुमार शर्मा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। माना जाता है कि वे पहलै संगीतकार थे जिन्होंने संतूर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुर बिखेरे। उनके निधन से शास्त्रीय संगीत की दुनियां का एक युग समाप्त हो गया है। इनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी , लोकसभा स्‍पीकर ओम बिरला और मशहूर सरोद वादक अमजद अली खान सहित कई शख्सियतों ने शोक व्यक्त किया है।बताते चलें पंडित शिव कुमार शर्मा का सिनेमा जगत में अहम योगदान रहा। शिवकुमार शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया ने मिलकर कुल आठ फिल्मों के लिये साथ काम किया। इनमें से सात फिल्में यश चोपड़ा ने निर्देशित कीं। वर्ष 1993 में आई ‘साहिबां’ इकलौती ऐसी फिल्म थी, जिसे यश चोपड़ा ने नहीं बनाया था।  इन दोनों ने एक साथ कई फिल्मों में संगीत दिया है और अनेक एलबम भी बनाये हैं। शिवहरि की जोड़ी यश चोपड़ा की फिल्मों के संगीतकार के रूप में भी विख्यात रही है। बॉलीवुड में ‘शिव-हरी’ नाम से मशहूर शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने कई सुपरहिट गानों में संगीत दिया था। इसमें से सबसे प्रसिद्ध गाना फिल्म ‘चांदनी’ का ‘मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां’ रहा, जो दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी पर फिल्माया गया था। यह गाना काफी हिट हुआ और आज भी काफी पसंद किया जाता है।
गौरतलब है कि पंडित शिव कुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में एक संगीत से जुड़े परिवार में हुआ था।उन्होंने संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने पिता से ली। इन्होंने तेरह साल की उम्र में संतूर सीखना शुरू किया था , इनको संतूर में महारत हासिल थी। संगीत से जुड़े रहने के साथ-साथ पंद्रह साल की उम्र में उन्होंने जम्मू रेडियो के साथ एक प्रसारक की नौकरी भी की। इनको इंडस्ट्री में पहचान उस वक्त मिली , जब वर्ष 1955 में उन्हें मुम्बई के एक प्रोग्राम में संतूर बजाने के लिये आमंत्रित किया गया था। उन्हें हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में संतूर को एक पहचान देने का श्रेय दिया जाता है। इसे अलग-अलग ऊंचाइयों पर ले जाने के बाद उन्होंने बॉलीवुड के लिये संगीत भी तैयार किया , जिसकी शुरुआत शांताराम की ‘झनक झनक बाजे पायल’ के बैकग्राउंड स्कोर से हुई। पंडित शिव शर्मा ने वर्ष 1960 में अपना पहला सोलो सॉन्ग रिकॉर्ड किया और बांसुरीवादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया और गिटारवादक बृज भूषण काबरा के साथ शानदार संगीत तैयार किया। पंडित शिव कुमार शर्मा को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें 1985 में संयुक्त राज्य बाल्टीमोर की मानद नागरिकता भी प्रदान की गई थी। इसके अलावा उन्हें वर्ष 1986 में प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार , वर्ष 1991 में पद्म श्री पुरस्कार और वर्ष 2001 में पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
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पंडित शिवकुमार शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनियां को बड़ा नुक़सान हुआ है। उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों को ईश्वर यह दुख सहने की शक्ति दे। ऊं शांति।

Ravi sharma

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