भारतीय दर्शन में मानव कल्याण एवं जीवन की पूर्णता समाहित — पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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केदारनाथ – शंकर का संस्कृत में अर्थ ‘शं करोति सः शंकरः’ यानि जो कल्याण करे , वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित किया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था , उतना ही वे जन-साधारण के कल्याण के लिये समर्पित थे। आदि शंकराचार्य का जीवन भारत और विश्व कल्याण के लिये था। आज आप श्री आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुन: स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बह़त अलौकिक दृश्य है। भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है , जीवन को पूर्णता के साथ समग्र तरीके में देखता है। आदि शंकराचार्य ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया है। जब भारत गुलाम था तब उस दौर में भी शंकराचार्य ने हिंदू धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था पर खरोंच तक नही आने दी। अपने छोटे से कालखंड में युगों को गढ़ दिया , भारत इन महान विभूतियों की प्रेरणा पर ही चलता है।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज केदारनाथ में आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये कही। उन्होंने “जय बाबा केदार” के जयकारों के साथ अपना संबोधन शुरू करते हुये कहा कि यह भारत की संस्कृति की व्यापकता का आलौकिक दृश्य है। हमारा देश जितना विशाल है , उतनी ही यहां की महान ऋषि परंपरा है। एक से बढ़कर एक तपस्वी आज भी भारत के हर कोने में आध्यात्मिक चेतना को जगाते रहते हैं , उन सबका नाम गिनना संभव नही है। मैं यहां जब भी आता हूं कण-कण से जुड़ जाता हूं , गाेवर्धन पूजा के दिन मुझे केदारनाथ दर्शन का सौभाग्य मिला है। केदारनाथ में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। आज आदि शंकराचार्य की मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करते समय लगा कि उनकी मूर्ति से प्रवाहित हो रहे तेजपुंज से पूरे भारत का विश्वास मजबूत हो रहा है। आज सभी मठों , बारह ज्योतिर्लिंगों , अनेक शिवालयों , शक्ति धाम , अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष , पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुये सभी वरिष्ठ ऋषि , मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। वर्ष 2013 की आपदा के दौरान मैंने यहां की तबाही को अपनी आंखों से देखा था। इस दौरान केदारनाथ आपदा को याद कर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गये। उन्होंने कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था , वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे वे सोचते थे कि क्या ये हमारा केदारधाम फिर से उठ खड़ा होगा ? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा। मैंने जो पुनर्निर्माण का सपना देखा था वो आज पूरा हो रहा है , यह बड़े सौभाग्य की बात है। अपने विश्वास को अपनी आंखों के सामने देखना सुखद होता है। इस आदिभूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल , विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ करते हुये कहा कि मैं इन पुनीत प्रयासों के लिये उत्तराखंड सरकार का , मुख्यमंत्री धामी का , श्रमिकों का और इन कामों की जिम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं। पीएम ने बर्फबारी और कड़ी ठंड के बीच उनके काम की सराहना की और पुजारियों एवं रावल का भी आभार व्यक्त किया। मोदी बोले कहा जाता है कि पहाड़ का पानी , पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आता। अब पानी भी पहाड़ के काम आयेगी और जवानी भी पहाड़ के काम आयेगी। उत्तराखंड से पलायन को रोकना है , अगला दशक उत्तराखंड का है यहां का पर्यटन काफी बढ़ने वाला है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये उत्तराखंड में चार धामों से सड़क संपर्क और हेमकुंड साहिब के पास रोपवे सहित कई बुनियादी ढांचागत कार्यों की योजना है। यह दशक उत्तराखंड का है . अगले दस वर्षों में , राज्य में पिछले सौ वर्षों की तुलना में अधिक पर्यटक आयेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब आध्यात्म को , धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है , जीवन को पूर्णता के साथ होलिस्टिक तरीके से देखता है। आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया। उन्होंने पवित्र मठों की स्थापना की , चार धामों की स्थापना की , द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पुनर्जागरण का काम किया। आदि शंकराचार्य ने सब कुछ त्यागकर देश , समाज और मानवता के लिये जीने वालों के लिये एक सशक्त परंपरा खड़ी की। पीएम ने युवा पीढ़ी को स्वाधीनता संग्राम से जुड़े स्थानों के साथ-साथ केदारनाथ और इस जैसे अन्य पवित्र स्थानों पर भी लेकर जाने की अपील की। अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को छठ समेत अन्य सभी पर्वों की शुभकामनायें देते हुये “जय केदार” के उद्घोष के साथ अपने संबोधन का समापन किया।

पीएम के नेतृत्व में बढ़ा है भारत का मान – सीएम धामी
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प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा मैं देवभूमि उत्तराखण्ड की सवा करोड़ देवतुल्य जनता की ओर से भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम में पधारने पर हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय प्रधानमंत्री का हार्दिक स्वागत करता हूं। पीएम का हिमालय और उत्तराखंड से विशेष लगाव है , उनके नेतृत्व में पूरी दुनियां में भारतीय संस्कृति का संचार हो रहा है। सीएम ने कहा कि यह पुनर्निर्माण कार्य सिर्फ ईंट , बालू , पत्थर एवं इस्पात की सरंचनायें नही है बल्कि एक स्वप्नदृष्टा और दूरदर्शी नेता के विजन का साकार प्रतिरूप है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत एवं भारतीय संस्कृति का मान , सम्मान एवं स्वाभिमान सम्पूर्ण विश्व में बढ़ रहा है। आज भारत विश्व गुरू के पद पर पुनः आरूढ़ होने के लिए तैयार हो रहा है।वर्ष 2013 की आपदा में आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधि पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी। आज उनकी समाधि का पुनर्निर्माण और उनकी दिव्य प्रतिमा की स्थापना सम्पूर्ण देश की ओर से आदि गुरू शंकराचार्य जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। आज का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा। सीएम ने आगे कहा कि श्री केदार धाम के पुनर्निर्माण और आदिगुरू शंकराचार्य जी की समाधि की पुर्नस्थापना के लिये आदिगुरू जैसी ही जीजीविषा , संकल्प और धैर्य की आवश्यकता थी , जो माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा कि आदि गुरु श्री शंकराचार्य हिन्दू धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ जगन्नाथपुरी , द्वारिकापुरी , रामेश्वरम एवं बद्रीनाथ के रूप में चार मठों की स्थापना कर भारतवर्ष को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के जवानों के साथ दीपावली मनाने की अपनी परंपरा को कायम रखते हुये दीपोंत्सव के मौके पर जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जवानों के बीच पहुंचे थे। जहां जवानों की वीरता और उनके साहस की सराहना करते हुये प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे ‘मां भारती’ के ‘सुरक्षा कवच’ हैं। इन्‍हीं जवानों की मुस्‍तैदी की वजह से ही देशवासी चैन की नींद सो पाते हैं और त्योहारों के दौरान खुशि‍यां मनाते हैं। इसके बाद दूसरे दिन पीएम मोदी विशेष विमान से देहरादून एयरपोर्ट पर पहुंचे , जहां उत्तराखंड के राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया। यहां से पीएम मोदी हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिये रवाना हुये , केदारनाथ धाम पहुंचकर उन्होंने बाबा केदार को बाघम्बर वस्त्र भेंटकर मंदिर के गर्भगृह में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बाबा की विशेष पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक कर मंदिर की परिक्रमा कर विश्व कल्याण की कामना की।पीएम मोदी ने अपनी पूजा-पाठ के बाद तीर्थ पुरोहितों से भी मुलाकात की। पुरोहितों ने पीएम मोदी को तिलक लगाया इसके बाद उन्हें रुद्राक्ष की माला , पीत वस्त्र और शॉल ओढ़ाकर उनका अभिनंदन किया।प्रधानमंत्री बनने के बाद बारह ज्योतिर्लिंगों और उत्तराखंड में स्थित चार धामोँ में से एक केदारनाथ धाम की यह उनकी पांचवीं यात्रा है। प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर मंदिर को ऋषिकेश से मंगाये गये पंद्रह क्विंटल फूल-मालाओं के अलावा रंग – बिरंगी लाइटों से सजाया गया था। फिर उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की समाधि स्थल पहुंचकर बारह फीट ऊंची और लगभग पैंतीस टन वजनी शंकराचार्य मूर्ति के अनावरण समेत करीब चार सौ करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। जिनमें आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के साथ ही सरस्वती और मंदाकिनी नदी के तट पर प्रोटक्शन वाल , मंदाकिनी पर पुल का शुभांरभ , तीर्थ पुरोहितों के पांच ब्लाकों का शुभारंभ के साथ ही अन्य पुनर्निर्माण कार्य शामिल हैं। यहां उन्होंने 130 करोड़ रूपये की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। यहां आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमा के सामने पीएम ने ध्यान लगाया , इसके अलावा उन्होंने यहां के विकास कार्यों की समीक्षा भी की। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में उत्तराखंड आयी भीषण बाढ़ के दौरान आदि शंकराचार्य की समाधि क्षतिग्रस्त हो गई थी और अब इसका पुनर्निर्माण किया गया है। इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिये भाजपा ने एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनायी थी , जिसके तहत चार धामों , बारह ज्योतिर्लिंगों और प्रमुख मंदिरों पर साधुओं , भक्तों और आम लोगों को आमंत्रित किया गया था। ये सभी मंदिर श्री आदि शंकराचार्य द्वारा अपनी यात्रा के दौरान लिये गये मार्ग पर पूरे देश में स्थापित हैं। श्री आदि शंकराचार्य के केदारनाथ पहुंचने के मार्ग में सभी मंदिरों में प्रमुख बीजेपी नेता मौजूद रहे।

योगीराज शिल्पी ने तैयार की है प्रतिमा
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श्री केदारनाथ धाम में मंदिर के ठीक पीछे समाधि के मध्य पीएम मोदी के दिशा-निर्देश में आदिगुरु शंकराचार्य की बारह फीट ऊंची कृष्णशिला पत्थर से बनायी गयी है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने 120 टन के पत्थर पर शंकराचार्य की प्रतिमा को तराशा है। वर्ष 2013 में आयी आपदा में शंकराचार्य की समाधि बह गई थी। इस प्रतिमा की चमक के लिये इसमें नारियल पानी का खूब इस्तेमाल किया गया है , जिससे आदि शंकराचार्य की मूर्ति से “तेज” का आभास हो सके। आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा निर्माण के लिये देश भर के मूर्तिकारों की ओर से अपना मॉडल पेश किया गया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से योगीराज शिल्पी को प्रतिमा तैयार करने के लिये अनुबंध किया गया था।
इस मूर्ति को तैयार करने का काम वर्ष 2020 के सितंबर माह में शुरू हो गया था। करीब नौ कारीगरों ने लगातार मेहनत कर आदि गुरु शंकराचार्य का यह रूप तैयार किया।
इस मूर्ति के निर्माण के लिये लगभग 130 टन एक ही शिला का चयन किया गया था , मूर्ति को तराशने के बाद इसका वजन लगभग 35 टन रह गया है।

पांचवीं बार केदारनाथ पहुंचे पीएम मोदी
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प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की केदारनाथ की यह पांचवीं यात्रा रही। पीएम के रूप में वे सबसे पहले तीन मई 2017 को केदारनाथ के दर्शन के लिये पहुंचे थे। इसके बाद वे 20 अक्तूबर 2017 , सात नवंबर 2018 , 18मई 2019 को धाम में आकर पुनर्निर्माण कार्यों का कार्यों का जायजा ले चुके हैं। 18 मई 2019 में केदारनाथ में एक गुफा में वे ध्यान भी कर चुके हैं और रात भी इसी गुफा में रहे। आज उनकी केदारनाथ की यह पांचवी यात्रा थी।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
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प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर रद्रप्रयाग जिला समेत पूरे उत्तराखंड में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किये गये थे। एक तरफ जहां पीएम मोदी का दौरा था वहीं दूसरी तरफ देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का विरोध लंबे समय से जारी है , जिसके चलते भी काफी बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। जब पीएम मोदी बाबा केदार की पूजा-अर्चना और दर्शन किये उस समय अन्य श्रद्धालुओं को केदारधाम मंदिर परिसर में जाने की अनुमति नहीं थी।रुद्रा प्वाइंट से केदारनाथ मंदिर और ध्यान गुफा समेत गरुड़चट्टी तक पुलिस , पीएससी समेत अन्य सुरक्षा फोर्स के जवान मुस्तैद रहे , चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी की नजर थी।

Ravi sharma

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