ब्रह्म हत्या के दोष मिटाती है कामिका एकादशी – अरविन्द तिवारी

जगन्नाथपुरी – श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानि आज के तिथि को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये अरविन्द तिवारी ने बताया कि इस दिन तीन शुभ योग द्विपुष्कर योग / वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहा है। एकादशी के विषय में शास्त्र कहते हैं – “न विवेकसमो बन्धुर्नैकादश्या: परं व्रतं” यानि विवेक के सामान कोई बंधु नहीं और एकादशी से बढ़कर कोई व्रत नहीं है। पांच ज्ञानेंद्रियां / पांच कर्म इंद्रियां और एक मन , इन ग्यारह को जो साध ले वो प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है। सभी एकादशी व्रतों में से कामिका एकादशी को भगवान विष्णु का उत्तम व्रत माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव के पावन महीने श्रावण में आता है। इस एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा पीले फल / फूल से की जाती है। यह व्रत भगवन विष्णु को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी में श्रीधर / हरि ) विष्णु / माधव और मधुसूदन आदि नामों से पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखकर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों एवं स्वरूपों का ध्यान करते हुये इनकी पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। आज के दिन पूजा करने से भगवान विष्णु सभी कष्टों को हर लेते हैं और हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। नारद और ब्रह्माजी के संवाद में कामिका एकादशी के बारे में बताया गया है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से पृथ्वी व गोदान के बराबर फल मिलता है तथा समस्त देवताओं की पूजा भी हो जाती है। कामिका एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा तुलसी की मंजरियों से की जानी चाहिये। मान्यता है कि तुलसी की मंजरियों से विष्णु की पूजा जहां जन्मभर के पापों का नाश करती है , वहीं श्रीहरि के चरणों में चढ़ा देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी के दिन श्री हरि को पीले रंग के वस्त्र , पीले फल , पीली मिठाई आदि अर्पित करें। इसके साथ ही किसी विष्णु मंदिर में केसरिया ध्वज चढ़ायें। किसी विद्वान ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन करायें और पीले रंग के कपड़े दें। इन सभी उपायों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं कैरियर में तरक्की पाने के लिये 11 पीपल के पत्ते तोड़कर साफ पानी में धो लें। इसके बाद इन पर हल्दी या केसर से ‘श्रीं’ लिखकर इनकी माला बना लें और ये माला  भगवान विष्णु को अर्पित कर दें। ऐसा करने से आपकी धन / कैरियर/ नौकरी संबंधी सभी मनोकामनायें पूरी हो जायेंगी।कामिका एकादशी व्रत से पितर इस व्रत के प्रभाव से अमृतपान करते हैं। माना जाता है कि कामिका एकादशी व्रत कथा सुनने से पाप और ब्रह्म हत्या के दोष मिटते हैं। इसके व्रत और विष्णु पूजा से बाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। कामिका एकादशी व्रत के पारण का समय कल 25 जुलाई सोमवार को प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से 08 बजकर 22 मिनट तक है।

कामिका एकादशी व्रत कथा
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भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि एक बार नारद मुनि ने अपने परम पिता ब्रह्मा जी ने कामिका एकादशी व्रत की महिमा / विधि और कथा जानने की इच्छा प्रकट की। जब ब्रह्मा जी ने उनको इस व्रत के बारे में विस्तार से बताया था वहीं बातें आज मैं तुम्हें बताने जा रहा हूंं। – एक गांव में बहुत क्रोधी स्वभाव के ठाकुर जी रहते थे। एक दिन उनका एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और क्रोधवश उस ठाकुर ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। अपराध और पाप से मुक्ति के लिये उसने ब्राह्मण की ​अंतिम क्रिया करनी चाही , लेकिन ब्राह्मणों ने उसे आज्ञा ना दी और उस पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया। इसके बाद एक दिन उस ठाकुर ने एक मुनि से ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय पूछा। तब उस मुनि ने कहा कि ब्रह्म हत्या से मुक्ति कामिका एकादशी व्रत रखने से ही मिलेगी , इस व्रत को विधिपूर्वक करने से तुम्हारा पाप दूर हो जायेगा। उस मुनि के बताये अनुसार ठाकुर ने कामिका एकादशी व्रत रखा और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की। रात्रि के समय वह भगवान विष्णु की मूर्ति के पास ही सो गया। स्वप्न में भगवान श्रीहरि ने दर्शन दिये और उसे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति प्रदान की। जो लोग कामिका एकादशी की रात विष्णु मंदिर में दीपक जलाते हैं , उनके पितरों को स्वर्ग में अमृत पान का अवसर मिलता है। जो दीपक जलाते हैं , उनको मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है।

Ravi sharma

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