बिहार के अधिवक्ताओं ने जाना मानसिक स्वास्थ्य के गुर।

“राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में न्याय की आस में लोगों में होनेवाले मानसिक परेशानियों से निपटने के लिए वकीलों ने सीखी काउंसलिंग कि तकनीक”

पटना-आज बिहार लीगल नेटवर्क के तत्वावधान में आयोजित अधिवक्ताओं का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न हुआ. दो दिवसीय इस प्रशिक्षण में बिहार के सभी जिले से कार्यरत अधिवक्ताओं ने भाग लिया.कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आज सभी अधिवक्ताओं को विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों को न्याय की लंबी प्रकिया में होनेवाले तनाव और इससे उत्पन्न समस्या के निराकरण कौशल पर डॉ॰ मनोज कुमार,मनोवैज्ञानिक चिकित्सक द्वारा प्रशिक्षित किया गया.


इस अवसर पर प्रशिक्षक की भूमिका निभा रहे डॉ॰ मनोज कुमार ने सूबे के वकीलों से उनके प्रोफेशनल जीवन के साथ सामाजिक जिम्मेदारी के बीच तालमेल रखने की बात की.आज के इस कार्यशाला में डॉ॰ मनोज ने संवाददाता सम्मेलन में बताया की लोगों की नजर में अधिवक्ता न्याय दिलाने वाले ऐसे मसीहा है जो समाज में अपने बौद्धिक संपदा के लिए जाने जाते हैं.

संविधान के प्रहरी रहते हुए वकील समाज के हर वर्ग के लिए कार्य करते हैं.ऐसे में न्याय की आस लिए लोगों में अनेकों प्रकार के स्ट्रैश आधारित समस्या हो जाते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए डॉ॰ मनोज कुमार द्वारा बिहार भर के सिविल कोर्ट में कार्यरत 75 से अधिक अधिवक्ताओं को प्रशिक्षित किया गया.

इस अवसर पर उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की चर्चा के अलावा वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर रखा जाये ताकी उनका प्रोफेशनल जीवन समाज के हर वर्ग के लिए उपयोगी साबित हो सके इस पर भी प्रकाश डाला.अपने संबोधन में डॉ॰ मनोज ने बताया की न्याय के लिए केस लङने वाले लोगों के पास ज्यादातर नकारात्मक महौल उनमें उदासीनता पैदा करता है.

वकील भी इसी नकारात्मक प्रभाव से ग्रसित होते रहते हैं.अगर अधिवक्ता अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख करें तो वह अपने क्लायंट को बेहतर मदद कर सकते हैं. एक अच्छा अधिवक्ता एक बढिया काउंसलर भी हो सकता है, जिससे रेप ,मर्डर ,अन्य जघन्य अपराधों से ग्रसित लोगों के परिजनों को उनकी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर बचाया जा सकता है. राज्य भर के वकीलों को इसके लिए काउंसलिंग तकनीक का प्रशिक्षण डॉ॰ मनोज कुमार द्वारा दिया गया.अधिवक्ताओं के लिए आयोजित दो दिवसीय इस कार्यशाला में पहले दिन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से जुड़े, कानून, मुआवजा और मैला ढोने की कुप्रथा को लेकर कानूनी चर्चा की गयी.


वहीं दूसरे दिन मेंटल हेल्थ और जेंडर भेदभाव, और कोरोना में महिलाओं पर घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी से संबन्धित चर्चा एवं प्रशिक्षण कार्य संपन्न हुआ.राज्य स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर में सीतामढ़ी, पटना, गया और औरंगाबाद समेत राज्य भर के अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी भागीदारी सुनिश्चित की.प्रशिक्षण में सभी अधिवक्ताओं ने फ्री लीगल ऐड देकर पीड़ित की मदद करने का संकल्प भी लिया.
इस अवसर पर बिहार की सबसे बड़ी अधिवक्ताओं की संस्था बिहार लीगल नेटवर्क का सभी ने मेज थपथपाकर स्वागत किया. दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर, ” स्टेट लेवल कैपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग ऑफ एडवोकेट्स ” कार्यक्रम 29-30 दिसंबर तक का यह कार्यक्रम राजधानी पटना के संपतचक स्थित प्रशिक्षण केंद्र “ईगल व्यू” के सभागार में आयोजित हुआ था.आज के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार लीगल नेटवर्क की प्रोजेक्ट डायरेक्टर एवं पटना हाई कोर्ट की अधिवक्ता सविता अली ने की.उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन के बाद विषय प्रवेश कराते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की और बताया की बिहार में बिहार लीगल नेटवर्क जैसी संस्था और फ्री लीगल ऐड की जरूरत क्यों पड़ी.


प्रोजेक्ट डायरेक्टर सविता अली ने बिहार लीगल नेटवर्क के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि बिहार लीगल नेटवर्क वकीलों और सामाजिक कानूनी पेशेवरों का एक नेटवर्क है, जो समाज के कमज़ोर वर्गो को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है.समुदायों विशेष रूप से अल्पसंख्यक और दलितों के अधिकारों के निरंतर उल्लंघन के मद्देनजर 1 फरवरी 2021 को पटना में बिहार लीगल नेटवर्क की शुरुआत हुई,जिसका उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है,जहाँ हर पीड़ित व्यक्ति को सुविधाजनक कानूनी सेवाएं और निष्पक्ष न्याय मिल सके. उन्होंने बिहार लीगल नेटवर्क के मिशन, दृष्टिकोण, कार्य क्षेत्र और मुख्य गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया.


बिहार लीगल नेटवर्क के प्रोग्राम को ऑर्डिनेटर आमिर सुबहानी ने बताया कि यह नेटवर्क कैसे जिलों में काम करता है और इसके बारे में बताया. जबकि दलित अधिकार कार्यकर्ता राजेश्वर पासवान ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से जुड़े कानून और मुआवजा को लेकर अपने अनुभव बताए.जबकि पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता नंद कुमार सागर ने मॉब लिंचिंग, मैला ढोने की कुप्रथा से जुड़े कानून और मुआवजा के बारे में बताया. इसके अलावा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों और अपराध संशोधन अधिनियम 2013 के बारे में भी जानकारी दी गयी. वहीं महाराष्ट्र से आए वरिष्ठ अधिवक्ता राव मोहन ने धर्म और जाति के परिप्रेक्ष्य में कोर्ट के फैसले और संवैधानिक मूल्यों की जानकारी दी.


लखनऊ से आई अधिवक्ता आलिमा जैदी और रांची से आई अधिवक्ता बबली ने महिलाओं और बच्चों से जुड़े पोक्सो कानूनों के बारे में बताया. पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सैयद निगरिश ने न्यायिक प्रक्रिया में आने वाली चुनौतिया और सुप्रीम कोर्ट के रूलिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

Ravi sharma

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