पुरी शंकराचार्यजी के सानिध्य में छठवें हिन्दू राष्ट्र महाधिवेशन का आयोजन आज

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

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नई दिल्ली – भगवत्पाद शिवावतार आदि शंकराचार्य महाभाग के द्वारा संस्थापित चार आम्नाय पीठों में से एक पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में हिन्दू राष्ट्र का छठवाँ अधिवेशन आज बैशाख शुक्ल पञ्चमी को आदि शंकराचार्य महाभाग के 2530 वीं प्राकट्य दिवस के पावन अवसर पर सायं दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित है जिसमें देश विदेश के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे। गौरतलब है कि कोरोना काल में चातुर्मास्य के समय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी ओडिशा में शंकराचार्यजी ने लगभग 20 माह पूर्व भारत के हिन्दू राष्ट्र के रूप में उद्भाषित होने की घोषणा की थी तभी से सम्पूर्ण भारत तथा नेपाल में अपने राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा के अंतर्गत जहाँ प्रात:कालीन सत्र में संगोष्ठी के माध्यम से उपस्थित भक्तजनों के धर्म, राष्ट्र, ईश्वर से संबंधित विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान तथा प्रेस वार्ता के द्वारा राष्ट्र के ज्वलंत समस्याओं का वेदशास्त्र सम्मत समाधान प्रदान करते हैं जबकि सायंकालीन हिन्दू राष्ट्र धर्मसभा में वैदिक शास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर जो कि वर्तमान राकेट, कम्प्यूटर और मोबाइल के युग में भी सर्वोत्कृष्ट तथा सर्वहितप्रद है विकास को परिभाषित करते हैं तथा सनातन संस्कृति के आधार पर सनातनियों की जो जीवन पद्धति है जिसके अनुसार शिक्षा, रक्षा, उत्सव, त्योहार, आवास, यातायात, लघु एवं कुटीर उद्योग की पद्धति अनुकरणीय है I हिन्दू राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक सनातनी आपस में संगठित होकर, समीप के मठ मंदिरों को शिक्षा, रक्षा , शुचिता का केन्द्र बनाकर सनातन मान बिन्दुओं की रक्षा करे तथा उपरोक्त प्रकल्पों को पूर्ण करने में प्रत्येक हिन्दू परिवार से प्रतिदिन एक रूपया तथा एक घंटा सेवा प्रकल्पों के लिए उपलब्ध हो तो सभी की हिन्दू राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित हो सकती है। सनातन सिद्धांत एवं रामराज्य समन्वित हिन्दू राष्ट्र के द्वारा ही भव्य भारत की संरचना सम्भव होगी जो कि सम्पूर्ण विश्व की मानवता की रक्षा में सक्षम होगी I सभी सनातनियों को इस हिन्दू राष्ट्र निर्माण में सक्रिय रहकर अपने अपने क्षेत्रों को समृद्ध, सुबुद्ध, स्वालम्बी बनाने में तत्पर रहना चाहिये।

Ravi sharma

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