पुरस्कार वितरण के साथ हुआ आदिवासी नृत्य महोत्सव का समापन

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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रायपुर — छत्तीसगढ़ देश और दुनियां में अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं मानव संसाधन की बदौलत महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ के विकास और यहां के लोगों की खुशहाली के लिये असंभव कार्यों को भी इस सरकार ने संभव कर दिखाया है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
उक्त बातें पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्तचरण दास ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने छत्तीसगढ़ की कला , संस्कृति और आदिवासी जनजीवन को सहेजने और संवारने के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।

आदिवासी संस्कृति के बिना अस्तित्व अधूरा -सीएम
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समापन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा आदिवासी संस्कृति आदि दर्शन है , इसको आत्मसात करना होगा और इसको ही साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। इसके बिना हमारा अस्तित्व पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा यहां गीत-संगीत , नृत्य और वादन के जरिये एक नया समाज आकार लेता दिखाई दे रहा है। यह वह समाज है जो लंबे समय तक हाशिये पर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, इस आयोजन के जरिये हम सबने जनजातीय समाज की विविधता के दर्शन किये। यह भी देखा और महसूस किया कि इनकी विविधता में भी कितनी समानता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इनकी कलाओं में एकरूपता है , क्योंकि यह प्रकृति से प्रेरणा लेते हैं।
गौरतलब है कि राजधानी के साइंस कालेज मैदान पर 28 अक्टूबर से तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजित था। इस समारोह में 07 देशों , 27 राज्यों और 06 केन्द्र शासित प्रदेशों के 59 आदिवासी नर्तक दल शामिल हुये। इसमें 63 विदेशी कलाकारों सहित करीब एक हजार नर्तकों ने अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया। समापन अवसर पर गीत , संगीत , नृत्य के सम्मोहन में दर्शकों के साथ-साथ अतिथिगण भी देर रात तक बंधे रहे और वाद्ययंत्र बजाते नजर आये।झारखंड के नर्तक दलों ने दूसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का पहला पुरस्कार जीता है। समापन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विजेता नर्तक दलों को पांच-पांच लाख रुपये की पुरस्कार राशि , प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया। झारखंड के करसा नृत्य को विवाह के अवसर पर किये जाने वाले नृत्य श्रेणी में पहला स्थान मिला। इस श्रेणी में दूसरा पुरस्कार ओड़िशा के धप नृत्य को मिला। तीसरा पुरस्कार आसाम के कारबी तिवा नर्तक दल को मिला। पारंपरिक त्योहारों में किये जाने वाले नृत्य की श्रेणी में झारखंड के छाऊ नृत्य दल ने पहला स्थान पाया। ओड़िशा के बाजसल नर्तकों को दूसरा और छत्तीसगढ़ के गौरसिंग नर्तक दल को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। पुरस्कार के तौर पर पहले स्थान पर आयी टीमों को पांच-पांच लाख रुपये , दूसरे स्थान पर रहीं टीमों को तीन-तीन लाख रुपये और तीसरे स्थान पर रहीं टीमों को दो-दो लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया। वहीं छत्तीसगढ़ की गौरसिंग नृत्य मंडली को पारंपरिक नृत्य वर्ग में तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। पुरस्कार समारोह के बाद पहले स्थान पर रहीं झारखंड की दोनों टीमों ने अपनी विशेष प्रस्तुति दी। इसमें कलाकारों ने छाऊ शैली में महिषासुर मर्दिनी प्रसंग प्रस्तुत कर पूरे पांडाल को भक्ति और रोमांच से भर दिया। नृत्य में युद्ध कला का प्रदर्शन ऐसा था कि लोग एक-एक दृश्य पर तालियां बजाते रहे। ओड़िशा के नर्तक दलों को दोनों वर्गों में दूसरा पुरस्कार मिला है। समापन समारोह के मंच पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत , गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू , कृषिमंत्री रविन्द्र चौबे , वनमंत्री मोहम्मद अकबर , आदिमजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम , नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया , उद्योग मंत्री कवासी लखमा , लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार , महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया , राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल , खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल , सांसद दीपक बैज , फूलो देवी नेताम , छाया वर्मा , युगाण्डा की हेड ऑफ मिशन ग्रेस अकेलो और नाईजीरिया के इकॉनामिक ट्रेड एवं इंवेस्टमेंट मिनिस्टर युसुफ सदाउके कबीरो आदि मौजूद रहे।

Ravi sharma

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