नारायण गुरुजी ने धर्म को किया शोधित – पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – तीर्थदानम् की 90 सालों की यात्रा और ब्रह्म विद्यालयम् की गोल्डेन जुबली ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये भारत के उस विचार की भी अमर यात्रा है , जो अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग माध्यमों के जरिये आगे बढ़ता रहता है। वाराणसी में शिव की नगरी हो या वरकला में शिवगिरी , भारत की ऊर्जा का हर केंद्र , हम सभी भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखता है। ये स्थान केवल तीर्थ भर नहीं हैं , ये आस्था के केंद्र भर नहीं हैं बल्कि ये ‘एक भारत , श्रेष्ठ भारत’ की भावना के जाग्रत प्रतिष्ठान हैं।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शिवगिरी तीर्थ यात्रा की 90वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती के वर्ष भर चलने वाले संयुक्त समारोह के उद्घाटन समारोह में उपस्थित लोगों को बीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुये कही। इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुआ , इस दौरान उन्होंने साल भर चलने वाले संयुक्त समारोहों का लोगो भी लान्च किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये पीएम मोदी ने कहा तीर्थदानम् और ब्रह्म विद्यालयम् की स्वर्णिम यात्रा में इस आयोजन में लाखों करोड़ों अनुयायियों की अनंत आस्था और अथक परिश्रम शामिल है , मैं सभी अनुयायियों और श्रद्धालुओं को शुभकामनायें देता हूं। पीएम ने आगे कहा दुनियां के कई देश , कई सभ्यतायें जब अपने धर्म से भटकीं , तो वहां आध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली। लेकिन भारत के ऋषियों , संतों , गुरुओं ने हमेशा विचारों और व्यवहारों का शोधन किया , संवर्धन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने आध्यात्म की बल पर जोर देकर नारायण गुरुजी को याद करते हुये कहा कि नारायण गुरुजी ने धर्म को शोधित किया , परिमार्जित किया , समयानुकूल परिवर्तन किया। उन्होंने रूढ़ियों और बुराईयों के खिलाफ अभियान चलाया और भारत को उसके यथार्थ से परिचित कराया। नारायण गुरुजी ने जातिवाद के नाम पर चल रहे , भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। नारायण गुरुजी के योगदान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नारायण गुरुजी ने जातिवाद के नाम पर चल रहे, भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी. जैसे ही हम किसी को समझना शुरू कर देते हैं, सामने वाला व्यक्ति भी हमें समझना शुरू कर देता है. नारायण गुरु जी ने भी इसी मर्यादा का हमेशा पालन किया. वो दूसरों की भावनाओं को समझते थे फिर अपनी बात समझाते थे। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ हादसे का जिक्र करते हुये कहा मैं नहीं जानता हूं कि आप लोगों के साथ मेरा नाता किस प्रकार है, लेकिन कभी-कभी मैं अनुभव करता हूं जिसे मैं भूल नहीं सकता हूं। जब केदारनाथ में बहुत बड़ा हादसा हुआ , यात्री जीवन व मृत्यु के बीच जूझ रहे थे। उत्तराखंड में और केंद्र में तब कांग्रेस की सरकार थी और मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था। उस समय शिवगिरी मठ से मुझे फोन कॉल आया कि हमारे संत वहां फंस गये हैं , उनका पता नहीं लग रहा है और ये काम आपको करना है। बड़ी-बड़ी सरकारें होने के बाद भी शिवगिरि मठ ने ये काम मुझे दिया। मुझे उसे सेवा कार्य का मौका मिला और सभी संतों को मैं सही सलामत वापस ला पाया। मैं आज भी सोच नहीं पाता हूं कि इतनी बड़ी-बड़ी सरकार होने के बावजूद मठ को इस काम के लिये मुझे आदेश देना पड़ा। पीएम ने कहा कि हम सभी की एक ही जाति है – भारतीयता और हम सभी का एक ही धर्म है – सेवा धर्म , अपने कर्तव्यों का पालन। हमें ये भी याद रखना चाहिये कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था। ये गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की लड़ाई तो थी ही, लेकिन साथ ही एक आजाद देश के रूप में हम होंगे , कैसे होंगे ? इसका विचार भी था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के विभिन्न देशों में उपजे हालात की ओर इशारा करते हुये मंगलवार को कहा कि आज विश्व के सामने अनेक साझे संकट और चुनौतियां हैं और मानवता के समक्ष खड़े प्रश्नों का समाधान भारत के अनुभवों और उसके सांस्कृतिक सामर्थ्य से ही निकल सकता है। पीएम मोदी ने कहा – आज हम जो भारत देख रहे हैं और आजादी के 75 सालों की जिस यात्रा को हमने देखा है , यह उन्हीं महापुरुषों के चिंतन और मंथन का परिणाम है। आजादी के हमारे मनीषियों ने जो मार्ग दिखाया था आज भारत उन लक्ष्यों के करीब पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने अनेक साझी चुनौतियां हैं और साझे संकट भी हैं तथा कोरोना महामारी के समय दुनियां ने इसकी एक झलक भी देखी है। उन्होंने कहा कि मानवता के सामने खड़े भविष्य के प्रश्नों का उत्तर भारत के अनुभवों और भारत के सांस्कृतिक सार्म्थय से ही निकल सकता है।” उन्होंने संतों और आध्यात्मिक गुरुओं से महान परंपरा को आगे बढ़ाने का आग्रह करते हुये कहा कि वे इसमें ‘‘बहुत बड़ी भूमिका” निभा सकते हैं। भविष्य के दो बड़े उत्सवों का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 25 साल बाद देश अपनी आजादी के 100 साल मनायेगा और 10 साल बाद हम तीर्थदानम् के 100 सालों की यात्रा का भी उत्सव मनायेंगे। इन 100 सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिये और इसके लिये हमारा विजन भी वैश्विक होना चाहिये।


गौरतलब है कि शिवगिरि केरल में स्थित एक तीर्थस्थान है। शिवगिरी में ही श्री नारायण गुरु को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी , यहीं उन्हें मोक्ष मिला। यहां उनकी समाधि भी बनायी गई है। शिवगिरि तीर्थयात्रा और ब्रह्म विद्यालय दोनों महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु के संरक्षण और मार्गदर्शन के साथ शुरू हुये थे। शिवगिरी तीर्थ यात्रा हर साल तीन दिनों के लिये 30 दिसंबर से 01 जनवरी तक तिरुवनंतपुरम के शिवगिरी में आयोजित की जाती है। यह तीर्थयात्रा शिक्षा , स्वच्छता , धर्मपरायणता , हस्तशिल्प , व्यापार और वाणिज्य , कृषि , विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा संगठित प्रयास जैसे आठ विषयों पर केंद्रित है। वर्ष 1933 में कुछ भक्तों द्वारा यह तीर्थयात्रा शुरू की गई थी लेकिन दक्षिण भारत में अब यह प्रमुख आयोजनों में से एक बन गई है। अब हर साल दुनियां भर से लाखों भक्त जाति , पंथ , धर्म और भाषा से ऊपर उठकर तीर्थयात्रा में भाग लेने के लिये शिवगिरी आते हैं।

Ravi sharma

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