नायक नहीं खलनायक चरित्र लुभा रहें युवाओं को। — डॉ॰ मनोज कुमार –

“साब!दो सौ अस्सी रूपये की एक गोली से धमाका करो तो समाज का कोई धन्ना सेठ लाखों उगलता है और कॉलेज की हजारों रूपये फीस देकर और सालों की पढाई से ‌महज एक कागज का टुकड़ा नसीब होता है।।”मुँह से पान की पीक उगलते हुए चून्नू गोप ने कहा ।फिर आंखों में शरारत दिखाते हुए बोला की “आप मेरे मम्मी-पापा के चक्कर में मत पड़िए ,मुझे जब पटना पुलिस नही सुधार सकी तो आप क्या कर पायेगें।हम सब की जिंदगी रोड और गली हैं डॉ॰ साहब!”
“नायक नहीं खलनायक हूं मैं,”रिगटोन बजते ही चून्नू ने फोन रीसीव किया ।फिर वही खड़ा झुंगा लाल ने अकड़ते हुए कहा ” हमलोग का काम हैं छेड़खानी,सूद-ब्याज का पैसा दिलवाना,बमबाजी और दहशत पैदा कराना और इलाके में ठाठ से जीना फितरत हैं हमारी ।”इतना कहकर सभी ने ठहाके लगाने शुरू कर दिये।ब्राडेंड कपड़े और जूते से ये लोग अच्छे घरों के लग रहें थे।आधी सड़क पर इनका ही कब्जा था।हर आने जाने वाले की इनपर नजर बरबस जा रही थी जरूर लेकिन शर्म से झुक भी जा रही थी। मजबूर होकर लोग सड़क किनारे कीचड़ वाले रास्ते से गुजर रहे थे। नीले रंग की साड़ी में सिंचाई विभाग में कार्यरत अलका जी अपनी किशोरी बेटी के साथ आ रही थी। उन्होंने हटने को बोला तभी इनके ग्रुप के एक लड़के ने बच्ची के एक्सीडेन्टल जींस पहनावे को लेकर छींटाकशी कर दी।मामले ने तूल लिया और देखते ही देखते लोगों की भीड़ और पुलिस पेट्रोलिंग जिप्सी आ गयी ।
इन दिनों युवाओं में किसी न किसी तरह की नकारात्मक चरित्र को अपनाते देखा जा रहा है। किसी बात को लेकर गुस्सा,समाज के नियमों को तोड़ना और आदत अनुसार सड़को पर आवारगर्दी करना इनके आदत में शुमार हो रहा है।

माता-पिता भी हलकान।

स्कूल के इम्तिहान पास कर कॉलेज में दाखिले के बजाए ये युवा अपनों के लिए भी परेशानी का सबब बन रहें है।घरों में पैसे चोरी करना,झूठ बोलकर रूपये-पैसे उधार लेना,दुकानदारों,ठेला-रेहङी वाले से कुछ खाकर खाते में डालने की बात कहना यू तो पुराना हो गया हैं अब ये पापा के खाते में उधार डाल रहें है।इनकी हरकतें भी अजीब हो रही है।ये युवा अपने खाने-पीने,गर्लफ्रेंड जबरदस्ती बनाने का मादा रख रहें है तो वही समाज में अपनी साख बनाने के लिए जमकर खर्च भी कर रहे है।

महंगे शौक के लिए कर रहे अपराध ।

अपनी शर्तों पर जीने के लिए वह झूठ बोलकर और भाड़े के गुंडे भी बन रहें है।मैने पटना के दानापुर से पटनासिटी तक इन युवाओं पर शोध किया।
ज्यादातर युवा यह बताते हैं की ऐसा वह अपनी पहचान व अपने अंदर की ताकत दिखाने के लिए कर रहें है।

स्कूल-कालेज में शिक्षक भी हलकान।

निगेटिव किरदार को तव्वज्जो दे रहे युवाओं में अपने शिक्षक के प्रति कोई खास नैतिकता नही होती।ज्यादतर ऐसे युवा अपने टीचर्स की खिल्ली उड़ाते है। प्रिसिपल को,हेड को अलग-अलग कोडिंग्स नाम से बुलाते हैं। अपनी मनमानी के लिए जाने-जानेवाले इन युवाओं द्वारा महाविद्यालय में वरिय शिक्षकों के प्रति अपमान जनक अफवाह भी फैलाया जाता है। इनके हरकतों से खुद्दार शिक्षाविद् शिक्षण संस्थान को छोड़कर चले जाते हैं या कोर्स को बीच में छोड़ देते हैं। नतीजतन मेधावी विद्यार्थीयों को पिछड़ना पड़ता है।

पुलिस के लिए चैलेंज।

खलनायक चरित्र से लुभने वाले युथ्स गुरिल्ला स्टाइल में क्राइम को अंजाम देते हैं। अपराध करते हैं और छुप जाते हैं। ज्यादातर मामलों में शातिर तरीके से घटना को अंजाम देनेवाले ये युवा अपने साथ हुए घटना को भी दबा देते हैं। इन सबका बदला वह अपने गैंग और अपने स्टाईल में कभी भी कही भी ले लेते हैं। अचानक शांत दिखना और बीच में घातक वार करना इनका खास अंदाज होता है।

समाजविरोधी व्यक्तित्व की छाया।

बहुत सारे मामले में ऐसे युवाओं द्वारा अपने अंदर की बात कहने की साहस होती है लेकिन माता-पिता के डांट-डपट की वजह से वह चुप रहना मुनासिब समझते हैं और जब समाज में कोई पावरफुल व्यक्तित्व दिखता हैं तो उसकी ओर खींचते चले जाते हैं। शरण में आने वाले युवाओं को यहाँ सब तरह की ट्रेनिंग मिलती हैं और यह भरोसा दिलाया जाता हैं की वह यहाँ सुरक्षित है। समाजविरोधी ताकतों के बीच रहने वाले युवा जल्द ही अपना एक मुकाम बनाते हैं और वह सबकुछ करने लगते हैं जिससे उनके इमेज को फायदा पहुँच सके।

संभव हैं समाधान ।

जरूरत इस बात की हैं की कही आपका लाडला एन्टी सोशल लोगो के छत्र-छाया में तो नही है।यह मूल्यांकन करना की उसकी आदते गैरजिम्मेदराना तो नही है।अब समय आ गया हैं की स्कूल-कालेज में ही युवाओं की काउंसलिग हो ।वास्तविकता से जोड़ने के लिए पुलिस द्वारा भी जागरूकता भरा कार्यक्रम हो।माता-पिता द्वारा बातचीत व रिस्पोनेशबिलिटी तय कराना एक आदर्श युवा समाज को दिया जा सकता है।

—-लेखक डॉ॰ मनोज कुमार बिहार के जाने-माने मनोवैज्ञानिक हैं।
इनका संपर्क न‌ं _9835498113 है।

Ravi sharma

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