ऑफिस डेस्क-अखिल भारतीय विधार्थी परिषद, पटना विश्वविद्यालय के युवा छात्र नेता जयंत कुमार ने “वैश्विक महामारी कोरोना से जीत कैसे संभव है” इस विषय पर बेबाकी से अपने विचार रखे.श्री कुमार ने कहा कि आज कोरोना आपदा वैश्विक आधार ले चुकी हैं.दुनिया भर में मौतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.सभी शक्तिशाली देश इस वायरस के आगे लाचार दिखते हैं.कोरोना ने मानव के विकास की पांच मौलिक आवश्यकताओं-स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, सम्पोषण एवं संप्रेषण को पूर्णतः ठप कर दिया है.ऐसे में, अपने देश के इस राष्ट्रीय संकट के सार्थक समाधान हेतु आपातकालीन स्थिति को स्वीकार करना ही चाहिए.इस आपातकालीन परिस्थिति से उबरने हेतु प्रत्येक नागरिक को कुछ विशेष दायित्व निभाना ही होगा.हम सभी को स्वतः संकल्प लेकर सजग रहना चाहिए। इतना ही नहीं, सभी नागरिक को अपना राष्ट्र धर्म निर्वहन करना होगा. देखा जाए तों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे विकसित प्रौद्योगिकी एवं सुदृढ अधिसंरचना के बावजूद सबसे अधिक संकट में है, देखा जाए तो वहां बड़ी संख्या में लोगों की जान भी गई है.भारत की जनसंख्या को देखते हुए यहां की परिस्थितियां भी संतोषजनक है.केंद्र और राज्यों की सरकार इस आपदा से निपटने का प्रयास कर रही हैं. लेकिन हमारी सफलता इसी पर निर्भर करेगी कि आने वाले दिनों में हम कितनी सजगता और जिम्मेदारी का परिचय देते हैं.अभी हमारा राष्ट्र धर्म सर्वोपरि होना चाहिए.अप्रियता, अप्रमाणित आरोप, तथ्यहीन निंदा, असंतोष तथा अवसाद फैलाने वाले कोरोना से भी अधिक घातक हैं,तो प्रत्येक भारतीय का यह कर्त्तव्य बनता है कि वह एकजुटता, दानशीलता, अनुशासन, सहयोग, भाईचारा, का अनुपालन करे.यह एक अवसर है, जब हम अपनी राष्ट्रीय श्रेष्ठता का बोध दुनिया को करा सकते हैं. हमारा दायित्व है की मानवता के सामने आया यह अभूतपूर्व संकट हमसे जिम्मेदार नागरिक बनने की मांग करता है साथ में आवश्यकता हैं कि सरकार के आदेशों का पालन करें. इन आदेशों के उल्टा किसी अफवाह, भ्रम और टिप्पणी का पूर्णतः विरोध करें.
अंततः विज्ञान की योग्यता को ध्यान मे रखते हुए दिनचर्या का पालन कर ही कोरोना के संकट से लड़ा जा सकता हैं.