दिव्यांगों को दे भावनात्मक सहयोग के साथ आगे बढ़ने के अवसर-डा० मनोज कुमार

ऑफिस डेस्क-दिव्यांगता कोई भी हो उस पर समाज के लोगों को सामान्य नजरिया प्रस्तुत करना चाहिए.शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को उनके मानसिक सक्षमता को दरकिनार नही करनी चाहिए.इसी प्रकार मानसिक दिव्यांग लोगों में अनेकों प्रतिभाएं हो सकती हैं.उनकी भावनाएँ जरूर कुंद हो सकती है पर उनके विचारो को सुसज्जित करने पर समाज और परिवार में उनका महत्व बढाया जा सकता है.असमायिक दुर्घटना से उत्पन्न होने वाले दिव्यांगता विगत कुछ वर्षों से बढ रहें हैं.हम समाज के लोगों को इनसे भेदभाद नहीं करने और सोसाइटी की अगली पंक्ति में दिव्यांगजनों को लाने की कोशिश करनी चाहिए.

मीडीया और जनप्रतिनिधियों को समाज में उन लोगों का बहिष्कार करना है जो दिव्यांग जनों को उनकी क्षमता से न जान उनके शारीरिक-मानसिक स्थितियों के लिए अपना दृष्टिकोण नीचा रखता है.असल में समाज का असली विकलांग व्यक्ति वह है जो दिव्यांग लोगों के गुणों से नहीं वरन उनके ऊपर पूर्वाग्रह रख कर भेदभाव करता है. यह सत्य है की जब हम किसी के भावनाएँ, बौद्धिक क्षमता और उनके नजरिए को ठीक-ठीक नही समझ सकते तो फिर समाज में मौजूद किसी दिव्यांग को छोटा या कमजोर समझने का हक कैसे सभ्य समाज दे सकता है.अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस हमें यह सनद कराता है की दिव्यांग व्यक्ति समाज के विकास के लिए उतना ही सक्षम है जितना की अन्य लोग.लोगों को शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग लोगों को उचित रूप से समझने की दरकार है.वह भी हमारे और आपके तरह एक आम इंसान हैं.उनको सम्मान और उनकी आवश्यकता के अनुसार सुविधाएँ मिलनी चाहिए। जिससे वह अपनी काबिलयत को परख सकें.अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगता दिवस ,2021 पर आइये यह शपथ लें की अपने आसपास के किसी भी दिव्यांग व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव, नकारात्मक पूर्वाग्रह न रख उनको भावनात्मक सहयोग के साथ क्षमता के अनुरूप उन्हें आगे बढने का अवसर दें.-डॉ॰ मनोज कुमार

Ravi sharma

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