दबदबे के दम पर चलता कबड्डी का खेल,खतरे मे खिलाड़ीयों का भविष्य–

पटना-बिहार राज्य कबड्डी संघ द्वारा 43 वां महिला कबड्डी चैम्पिंयनशिप का आयोजन करवाया गया,जिसमे संपुर्ण बिहार से महज आठ महिला कबड्डी टीमों ने भाग लिया जो बहुत ही आश्चर्यजनक है.बिहार राज्य कबड्डी संघ के सचिव कुमार विजय है.इस संघ का निबंधन 20-11-2014 को बिहार खेल-कुद(खेल-कुद संगमों का रजिस्ट्रीकरण,मान्यता एवं विनीयमन) विधेयक 2013 के अंतर्गत हुआ था.जिसके बाद 05 जनवरी 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के द्वारा संपन्न एक बैठक में बिहार खेलकूद एक्ट 2013 को वापस लिए जाने की घोषणा की गई. जिस पर तत्कालीन कला संस्कृति एवं युवा विभाग मंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त था.इस एक्ट 2013 को वापस लेने के साथ ही इसके अंतर्गत निबंधित हुए संस्थाओं का निबंधन स्वत: खत्म हो गया.इसके बाद भी बिहार राज्य कबड्डी संघ सक्रिय है,लगातार मन मुताबिक तरीके से कबड्डी खेलों का आयोजन करा रही है.गौरतलब है की बिहार राज्य कबड्डी संघ पर पूर्व मे भी बहुत सारे आरोप लगे है.बिहार राज्य कबड्डी संघ की मनमानी के खिंलाफ एशियन गोल्ड मेडलिस्ट स्मिता कुमारी ने भी एक याचिका दायर की थी.याचिका के आलोक मे अदालत ने मामले का निपटारा करने हेतु एम्चयोर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया को मामले से अवगत कराया.एम्चयोर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस मामले मे बिहार राज्य कबड्डी संघ को यह स्पष्ट निर्देश दिया की संघ अपने बाईलॉज मे परिवर्तन करे और संबंधीत पदों का एक महिने के अंदर चुनाव कराया जाए,इस आदेश के आलोक मे आज तक कुछ नही हुआ.मामला यथावत है और जो पद पर बने थे वो अवैध रूप से जबरदस्ती पद पर बने हुए है.नियमानुसार खेल-कुद एक्ट 2013 से निबंधीत संस्था को सरकार की ओर से किसी प्रकार की फंडिग मिलने की बात नही है.इस एक्ट को सरकार के द्वारा वापस ले लिए जाने के बाद संस्था का कोई अस्तित्व ही नही रह जाता है.उसके बावजुद बिहार राज्य कबड्डी संघ को हर प्रकार की सरकारी मदद फंडिग जारी है और मन मुताबिक उसमे लुट का खेल भी बदस्तुर जारी है.इन्ही सब खामिंयो और प्रतिभावान कबड्डी खिलाड़ीयों के हो रहे शोषण और खतरे मे पड़े भविष्य को देखते हुए कबड्डी एशोसिएशन बिहार इस लड़ाई को लड़ने आगे आई.कबड्डी एशोसिएशन बिहार के अध्यक्ष शैलेश कुमार है,सचिव मुकेश कुमार है जो पूर्व मे बिहार राज्य कबड्डी संघ के कोच थे मगर बिहार राज्य कबड्डी संघ के सचिव कुमार विजय की मनमानी के कारण उन्होने संघ छोड़ दिया.कबड्डी एसोशिएसन बिहार की संरक्षक एशियन गोल्ड मेडलिस्ट स्मिता कुमारी है.कबड्डी एसोशिएसन बिहार 1860 सोसाईटी एक्ट के अंतर्गत निबंधीत है.जिससे जुड़कर सैकड़़ो प्रतिभावान खिलाड़ी अपना भविष्य संवार रहे है और संवारना चाहते है.नियमानुसार 1860 सोसाईटी एक्ट के अंतर्गत निबंधीत संस्था को उनके कार्यो के अनुरूप सरकारी आर्थिक सहायता मिलने का प्रावधान है.

मगर अनिबंधीत हो चुके बिहार राज्य कबड्डी संघ के सचिव कुमार विजय के राजनितीक रूतबे और दबदबे के कारण निबंधीत संस्था कबड्डी एसोशिएसन बिहार को कोई मदद नही मिल पा रही है,जिससे सैकड़ो प्रतिभावान खिलाड़ीयों का भविष्य खतरे मे नजर आ रहा है.ताजा मामले मे बिहार राज्य कबड्डी संघ के द्वारा 66 वां महिला नेशनल कबड्डी चैम्पिंयनशिप का आयोजन पाटलीपुत्रा ग्राउंड मे 11 से 14 जुलाई 2019 को आयोजित किया जा रहा है.इस आयोजन के खिलाफ एम्चयोर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के 21 जनवरी 2019 को दिए गये आदेश के आलोक मे स्टे ऑर्डर के लिए कबड्डी एसोशिएसन बिहार, अदालत जाने की तैयारी मे है.हालाकीं कबड्डी एसोशिएसन बिहार की संरक्षक स्मिता कुमारी और अध्यक्ष शैलेश कुमार इस संबंध मे कई बार सम्बंधित अधिकारीयों और नेताओं से मिल चुके है.मगर कोई भी बिहार राज्य कबड्डी संघ के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नही जुटा पाता है.बहरहाल चंद लोगों के दबदबे और रूतबे का आलम ये है की सैकड़ो प्रतिभावान खिलाड़ी उनकी अनावश्यक मांगो को पुरा नही कर पाने की स्थिती मे मजबूरन कबड्डी से दुर हो रहे है.जरूरत है की अदालत इस मामले पर त्वरित कारवाई करे और कबड्डी खिलाड़ीयों का भविष्य एक सुलझे हुए राजनिती से दुर रहने वाले किसी व्यक्ति के हाथ मे सौंपे.

रिपोर्ट-रवि शर्मा

Ravi sharma

Learn More →