ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति नहीं मिलने पर अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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वाराणसी – ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग हमारे आदि विश्वेश्वर का पुराना ज्योतिर्लिंग है। देवता की पूजा इसलिये की जाती है , क्योंकि उसमें प्राण होते हैं। भगवान को भूखा-प्यासा नहीं रखा जा सकता है। उनका स्नान / श्रृंगार / पूजा / भोग-राग नियमित होना चाहिये। जब तक वे ज्ञानवापी में प्रकट हुये आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग की पूजा नहीं करेंगे , तब तक अन्न-जल भी नहीं लेंगे।
उक्त बातें ज्ञानवापी में पूजा करने से रोके जाने पर श्रीविद्यामठ के गेट पर अनशन में बैठे ज्योतिष और द्वारिका शारदा पीठ के श्रीमज्जजगद्गूरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कही। उन्होंने आगे कहा – हमारी छोटी सी मांग है कि हमें हमारे आराध्य की दिन में एक बार पूजा करने दें। पुलिस के लोग हमारा रास्ता रोक कर खड़े हो गये हैं। पुलिस अपना काम करेगी , हम अपना काम करेंगे। पूजा का अधिकार प्रत्येक सनातन धर्मी का मौलिक अधिकार है। ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिये स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पुलिस से इजाजत मांगी थी जिसको खारिज कर दिया गया था। आज सुबह अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने उनके मठ से बाहर निकलने से रोक दिया।डीसीपी काशी जोन आर० एस० गौतम ने कहा कि ज्ञानवापी जाने के लिये उनका प्रार्थना पत्र मिला था . चूंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है इसलिये अनुमति नहीं दी जा सकती।अनशन के बीच दोपहर बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद श्रीविद्या मठ से निकल कर पैदल ही सोनारपुरा पहुंचे। हालांकि काफी नोकझोंक के बाद पुलिस ने उन्हें वापस मठ भेज दिया।स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि एक बार कोई पूजा के लिये निकल जाता है तो बिना पूजा किये भोजन नहीं करता है। हम भी पूजा के लिये निकल चुके थे ,अब जब तक पूजा नहीं कर लेते भोजन नहीं कर सकते हैं। इसलिये पूजा की इजाजत मिलने तक गेट पर ही बैठेंगे।स्वामी ने पूजा की अनुमति नहीं दिये जाने पर प्रशासन पर सवाल उठाते हुये कहा पुलिस हमसे पूजा की सामग्री ले जाये और हमारे आराध्य देव की विधि-विधान से पूजा कराये। भगवान की पूजा ना करके हम पाप के भागी नहीं बनेंगे। यह भला कैसे हो सकता है कि हम नहायें / खायें / पानी पियें और हमारे भगवान ऐसे ही पड़े रहें।मीडिया से बात करते हुये स्वामीजी ने कहा कि या तो ज्ञानवापी के शिवलिंग की उन्हें पूजा करने दी जाये , या फिर प्रशासन पूजा-पाठ कर उन्हें अवगत कराये। अगर मामला कोर्ट में लंबित है तो क्या हमारे भगवान तब तक भूखे रहेंगे। उन्होंने आगे कहा ज्ञानवापी में प्रकट हुये शिव को अधिकार है कि उसे नहाने के लिये पानी मिले और भोजन मिले। मुझे पूजा से मतलब है , पूजा के अधिकार मिलने से मतलब नहीं है। जो न्यायालय में दूसरे पक्षकार जा रहे हैं , वो पूजा का अधिकार मांग रहे हैं। न्यायालय में दो महीने बाद उनको अधिकार मिलेगा। हम कोई अधिकार नहीं मांग रहे हैं। हम भगवान की पूजा की मांग कर रहे हैं। हमारी इस भावना को क्यों नहीं सुना और समझा जा रहा है। बताते चलें गत दिवस ही उन्होंने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शनिवार को पूजा-पाठ करने का ऐलान किया था। यहां यह भी उल्लेखनीय करना लाजिमी होगा कि तीन दिन पहले गोवर्धनपीठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने काशी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप देना चाहिये। इसके एक दिन बाद ज्योतिष एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीई स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में मिलेई शिवलिंग की पूजा करने का एलान कर दिया। फिर शुक्रवार को काशी धर्म परिषद की बैठक में संतों ने शिवलिंग की पूजा की मांग की। काशी के संतों ने कानूनी तौर पर पूजा के अधिकार को मांगने का फैसला किया।

Ravi sharma

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