जगदीप धनखड़ ने ली चौदहवें उपराष्ट्रपति की शपथ

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीद्वार जगदीप धनखड़ ने आज भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। भैरों सिंह शेखावत के बाद भारत के उपराष्ट्रपति चुने जाने वाले जगदीप धनखड़ राजस्थान के दूसरे नेता हैं। झुंझुनू जिले से ताल्लुक रखने वाले जाट नेता धनखड़ कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पहले भैरोंसिंह शेखावत 12 अगस्त 2002 को भारत के ग्यारहवें उपराष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल 19 अगस्त 2002 से 21 जुलाई, 2007 तक रहा था। बताते चलें छह अगस्त को हुये उपराष्ट्रपति चुनाव में धनखड की शानदार जीत हुई थी। उनको उपराष्ट्रपति चुनाव में 528 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंदी  विपक्षी उम्मीद्वार मार्ग्रेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। शपथ लेने से पहले नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उन्होंने कहा कि पूज्य बापू को श्रद्धांजलि देते हुये राजघाट के शांत वातावरण में भारत की सेवा में हमेशा तत्पर रहने के लिये खुद को प्रेरित किया।
गौरतलब है कि किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनु जिले के किठाना में हुआ था। इनके पिता का नाम गोकुल चंद और माता का नाम केसरी देवी है। जगदीप अपने चार भाई – बहनों में दूसरे नंबर के हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी विद्यालय में हुई। गांव में पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की। बारहवीं के बाद इन्होंने भौतिकी में स्नातक किया , हालांकि इनका चयन आईंआईटी और फिर एनडीए के लिये भी हुआ था लेकिन नहीं गये। स्नातक के बाद इन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी , लेकिन आईएएस बनने के बजाए इन्होंने वकालत का पेशा चुना। फिजिक्स में ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली थी। वर्ष 1988 तक जगदीप धनखड़ देश के मशहूर वकीलों में शामिल हो गये थे। वर्ष 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट में धनखड़ सीनियर वकील बने , ये राजस्थान बार कौंसिल के चैयरमेन भी रहे। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के कई राज्यों के हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अपने 33 साल के राजनीतिक करियर में धनखड़ देश के उपराष्ट्रपति पद तक का सफर तय कर लिया है। वर्ष 1989 में वे सक्रिय राजनीति में आये थे। वर्ष 1989 में ही अपने गृह क्षेत्र झुझुनूं से जनता दल के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था। वर्ष 1989 से वर्ष 1991तक बीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें। केन्द्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि जब वर्ष 1991 में हुये लोकसभा चुनाव में जनता दल ने धनखड़ का टिकट काट दिया तो वे पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये थे। इसके अलावा धनखड़ ने राजस्थान की राजनीति में हाथ आजमाया है। वे वर्ष 1993 से 1998 तक अजमेर जिले के किशनगढ़ से विधायक भी रहे हैं। धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ तथा राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे 30 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल के 28वें राज्यपाल बने थे। बंगाल के राज्यपाल के तौर पर धनखड़ का रूख ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ रहा।

Ravi sharma

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