इतिहास एवं भविष्य के दृष्टिकोण से कितना महत्वपूर्ण रहा 2019- भागलपुर रेंज DIG विकास वैभव कि कलम से-

वर्ष 2019 के अंतिम दिवस बीत रहे हैं और शीघ्र ही अंतरराष्ट्रीय नव वर्ष 2020 का आगमन निश्चित है.भारतवर्ष के इतिहास एवं भविष्य के दृष्टिकोण से चिंतन करने पर हम यह अवश्य पाएंगे कि 2019 एक अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ष रहा जिसने अनेक ऐतिहासिक विवादों के निराकरण के संदर्भ में सकारात्मक निर्णयों एवं परिवर्तनों को साक्षात होते देखा.कुछ दिवस पूर्व तक मन इस वर्ष हुए अनेक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक निर्णयों के कारण हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों के विषय में चिंतनरत होकर अत्यंत प्रसन्न था चूंकि इनमें कई ऐसे संवेदनशील विषय सम्मिलित थे, जिनके संदर्भ में उत्पन्न दीर्घकालिक विवाद समय-समय पर निरंतर ही राष्ट्रीय विकास की गति को अवरुद्ध करते रहे थे.निर्णायक विषय भले महिलाओं के वैधानिक अधिकारों का रहा हो, कश्मीर से संविधान की धारा 370 के निरस्तीकरण का रहा हो अथवा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐतिहासिक अयोध्या विवाद पर अंतिम न्यायिक निर्णय का रहा हो; यह सभी अपने आप में इतने संवेदनशील थे कि इनका समाधान सर्वथा कठिन प्रतीत होता था; परंतु अंततः जिनके संदर्भ में अभूतपूर्व निर्णय इसी वर्ष लिए गए.इन सभी विषयों में निर्णय के उपरांत असामाजिक तत्वों द्वारा लोकशांति भंग किए जाने तथा राष्ट्रविरोधी शक्तियों द्वारा अशांति के व्यापक प्रसार हेतु प्रयास की प्रबल संभावनाएं एवं आशंकाएं थीं; परंतु यह अत्यंत संतोष का विषय है कि इन निर्णयों के पश्चात किसी प्रकार का कल्पित अनिष्ट घटित नहीं हुआ और सामूहिक वैचारिक परिपक्वता को प्रदर्शित करते हुए सभी आशंकाओं को राष्ट्र रूप में हम सभी ने निर्मूल कर दिया.

महत्वपूर्ण यह भी रहा कि इन निर्णयों के उपरांत जो भी सीमित विरोध प्रदर्शित हुआ,वह संवैधानिक मर्यादाओं के अनुरूप ही रहा, जिसके कारण स्थाई शांति के संकेतक प्रबल प्रतीत होने लगे.वर्षांत निकट आने पर सकारात्मक भावों के मध्य ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे अनेकता में एकता के भावों को हार्दिक रूप से आत्मसात करते हुए एक सुदृढ़ राष्ट्र के रूप में उज्ज्वलतम भविष्य की दिशा में हमारी सामूहिक यात्रा प्रबल संकेतकों सहित गतिमान है.परंतु दुर्भाग्यवश राष्ट्र में व्यापक शांति एवं विकास की गति भंग करने को आतुर कुछ उपद्रवी तत्त्वों को ऐसी धारणा अत्यधिक समय तक रास नहीं आ सकी और उनके षडयंत्रों से ग्रसित होकर अनावश्यक उत्तेजनाओं का सूत्रपात होने लगा,जिनसे प्रभावित होकर बीते कुछ दिनों से अनेक प्रकार के उपद्रव प्रारंभ होने लगे हैं, जिसमें सम्मिलित हो रहे कुछ दिग्भ्रमित तत्वों के कुकृत्यों को देखकर मन अत्यंत द्रवित एवं चिंतनरत हो उठा है । चिंतन करने पर यह स्पष्ट रूप में दर्शित हो रहा है कि जहाँ विवाद के कारण भी दृष्टिगोचर नहीं हो रहे, वहां काल्पनिक विवादों को उत्पन्न कर समाज में वैमनस्यता के प्रसार का सुनियोजित षडयंत्र किया जा रहा है.जिन संवेदनशील विषयों पर हो रही प्रतिक्रियाओं के कतिपय कारणों पर विश्लेषण एवं सकारात्मक मंथन की आवश्यकता थी,वहां कुछ उपद्रवियों ने मिथ्या एवं भ्रामक प्रचार कर परस्पर वैमनस्यता को अनेकानेक कारणों से बढ़ाने का सुनियोजित प्रयास किया है, जिसके कारण अनेक स्थानों पर साम्प्रदायिक तनाव भी उत्पन्न हो रहा है.सबसे चिंताजनक यह प्रतीत हो रहा है कि अधिकांश वैसे प्रदर्शन जो हिंसक रूप लेकर राजकीय एवं अन्य सम्पत्तियों को छतिग्रस्त कर रहे हैं, उनमें सम्मिलित अधिकांश व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों तथा असंतोष के कारकों का पूर्ण ज्ञान तो क्या, क्षणिक बोध भी नहीं है ।

जब भ्रामक टिप्पणियां कर राष्ट्रीय शांति को अवरुद्ध करने का सुनियोजित षडयंत्र चल रहा हो, तब प्रतिक्रियाओं के पूर्व अत्यंत सचेत रहने की आवश्यकता है.यह सभी को समझना चाहिए कि निश्चित ही हमारे प्रजातंत्र में सभी को संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता है और सस्वर विरोध भी स्वागत के योग्य ही है; परंतु महत्वपूर्ण यह है कि इनके माध्यम सदैव विधि सम्मत रहे. प्रदर्शन करने के अधिकार के साथ नियमों की बाध्यताओं का ज्ञान होना भी अत्यंत आवश्यक है अन्यथा किसी व्यक्ति या समूह विशेष के कृत्यों से आम जनजीवन प्रभावित होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं और राष्ट्र के विकास की गति अवरुद्ध हो जाती है.यदि हम एक सशक्त एवं सुदृढ़ राष्ट्र के रूप में भारत के भविष्य को गढ़ना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करना होगा कि असंतोष की अवस्था में संवैधानिक विधियों से वैचारिक विरोध ऐसा अवश्य हो जिसका उद्घोष संबंधित तक प्रबल रूप धारण कर पहुँचे, परंतु किसी भी परिस्थिति में विरोध का परिवर्तन उपद्रव के स्वरूप में नहीं हो जाना चाहिए.हिंसक उपद्रव होने से सभी का ध्यान मूल विषयों से हटकर उपद्रव नियंत्रण तक ही सीमित रह जाता है और समस्या के स्वरूप के संदर्भ में किसी प्रकार का इच्छित अथवा लक्षित सकारात्मक निर्णय नहीं हो पाता.

महाभारत के संदेश (महाभारत, वनपर्व, अध्याय 314, श्लोक 128) को स्मरण रखना सभी के हित में है तथा राष्ट्रहित में अत्यंत महत्वपूर्ण है –

“धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मानो धर्मो हतोवाधीत् ॥”

अर्थात “धर्म उसका नाश करता है जो उसका (धर्म का ) नाश करता है | धर्म उसका रक्षण करता है जो उसके रक्षणार्थ प्रयास करता है.अतः धर्म का नाश नहीं करना चाहिए.ध्यान रहे धर्म का नाश करने वाले का नाश अवश्यंभावी है।”, जिसे वर्तमान संदर्भ में विधि एवं संवैधानिक प्रक्रियाओं के सम्मान के रूप में समझने की आवश्यकता है।

पुलिस लोकहित में विधि व्यवस्था संधारण हेतु पूर्णतः संकल्पित है तथा सभी से यह भी अपेक्षा रखती है कि राष्ट्रहित में भ्रामक दुष्प्रचार नहीं करें तथा अहिंसक एवं संवैधानिक प्रक्रियाओं से अभिव्यक्तियों का प्रसार करें । स्थाई शांति एवं विकास की कामना के साथ इस महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक वर्ष के अंतिम दिवसों की सभी को शुभकामनाएं देना चाहता हूँ

जय हिंद

विकास वैभव

पुलिस उप महानिरीक्षक
भागलपुर रेंज

Ravi sharma

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