आयुर्वेद सुखी एवं दीर्घायु जीवन का सहज उपाय – महामहिम राष्ट्रपति

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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उज्जैन – आयुर्वेद का अर्थ है आयु का विज्ञान। इसमें स्वास्थ्य रक्षा के साथ ही रोग निवारण पर भी बल दिया जाता है। आयुर्वेद ना केवल रोग का उपचार करता है बल्कि उसे जड़ से समाप्त करता है। आज सर्वहितकारी आयुर्वेद के परम्परागत ज्ञान को वैज्ञानिक कसौटी पर खरा उतरने और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप उसे तकनीकी मापदण्डों पर परिमार्जित कर विश्व को देने का है। पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को स्वीकार करने के लिये विश्व भी तैयार है।


उक्त बातें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59 वें अधिवेशन का शुभारंभ करते हुये कही। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद सुखी एवं दीर्घायु जीवन प्राप्त करने का सरल और सहज उपाय है। आयुर्वेद बताता है कि किस प्रकार आहार-विहार , ऋतुचर्या के माध्यम से लोग सुखी और निरोगी रह सकते हैं। चरक संहिता में बताया गया है कि भोजन से पहले हाथ-पैर और मुंह धोना बीमारियों से बचने का तरीका है। कोविड काल में यह शिक्षा अत्यंत कारगर सिद्ध हुई। आयुर्वेद में कहा गया है कि ‘भोजनम् एव भेषजम’ अर्थात भोजन ही दवा है यदि आप उपयुक्त भोजन लेते हैं तो वह आपको स्वस्थ रखता है। राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद के सर्वांगीण विकास के लिये उसके संरक्षण एवं विस्तार , जन-सामान्य को जागरूक करने , गुणवत्तापूर्ण शिक्षा , योग्य चिकित्सक तैयार करने , उपचार को व्यापक एवं किफायती बनाने और आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध , दस्तावेजीकरण एवं प्रमाणीकरण की आवश्यकता है।


उन्‍होंने आगे कहा कि उज्जैन से मेरी पुरानी स्मृतियां जुड़ी हैं। मैं यहाँ की गलियों से परिचित हूं। उज्जैन योग-वेदांत , पर्व-उत्सव , धर्म-दर्शन , कला-साहित्य , आयुर्वेद-ज्योतिष की नगरी है। यह महार्षि संदीपनि , कृष्ण-सुदामा , भगवान महाकाल , मंगलनाथ , सम्राट विक्रमादित्य , महाकवि कालिदास , भास , भवभूति एवं पंडित सूर्यनारायण व्यास की भूमि है। मैं इस पुण्य एवं पावन भूमि को बारम्बार नमन करता हूँ। महामहिम ने कहा कि गोदावरी किनारे नासिक में वर्ष 1907 में अखिल भारतीय आयुर्वेदिक महासम्मेलन की स्थापना हुई। आज क्षिप्रा किनारे इसका 59वां अधिवेशन आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह , प्रणव मुखर्जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी शामिल हो चुके हैं। आज मुझे इसमें शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। आशा है महासम्मेलन के परिणाम देश एवं दुनियां के लिये कल्याणकारी होंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य हो रहा है। मुख्यमंत्री की योग एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष रूचि है। उन्होंने प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा से संबंधित एक वृहद अनुसंधान केन्द्र प्रारंभ करने की इच्छा जताई है। इस महासम्मेलन में इस विषय में विचार-विमर्श कर उसका स्वरूप तय किया जाये। मुझे विश्वास है कि राज्यपाल के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मध्यप्रदेश आयुर्वेद चिकित्सा का पसंदीदा गंतव्य बनेगा।महामहिम कोविन्‍द ने कहा कि भारत गांवों में बसता है। आज भी गांव की परम्परागत चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ही है। उसका कोई विकल्प नहीं है। मध्यप्रदेश भारत में आयुर्वेद चिकित्सा का प्रमुख केन्द्र बनेगा।

आयुर्वेद का परिणाम विश्व के सामने है – राज्यपाल पटेल
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इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि उज्जैन प्राचीन काल से ही गौरवशाली सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गतिविधियों की साक्षी रही है। उज्जैयिनी में राष्ट्रपति कोविंद का आगमन , प्रसन्नता और गौरव का विषय है। भगवान धनवन्तरि ने तपस्या और अनुसंधान से मानव को आयुर्वेद द्वारा स्वस्थ रखने की जो व्यवस्था प्रदान की, वह अद्भुत है। कोरोना काल में भारत ने अपनी इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति के आधार पर वैश्विक महामारी से अपने संघर्ष को अधिक प्रभावी बनाया। आयुर्वेद के सकारात्मक परिणाम संपूर्ण विश्व के सामने हैं।

आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने का होगा प्रयास – सीएम चौहान
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महाराज महाकाल की पावन धरती उज्जैन ज्ञान-भक्ति और कर्म की भूमि है। यहाँ से लोक सेवा के लिये कर्मों की प्रेरणा निरंतर प्राप्त होती है। उन्होंने भारतीय संस्कृति और परिवेश में सदियों से रची- बसी आयुर्वेदिक परंपरा का उल्लेख करते हुये कहा कि चारों वेदों के साथ आयुर्वेद का भारतीय ज्ञान , परंपरा और जीवन-शैली में सदा से ही महत्व रहा है। सीएम ने कहा कि आयुर्वेद बिना साइड इफेक्ट के इलाज की संपूर्ण पद्धति है। आहार , योग , प्राणायाम , नाड़ी परीक्षण , वात-पित्त-कफ के संतुलन पर आधारित यह व्यवस्था मित-भुक , हित-भुक और ऋत-भुक के सूत्र पर आधारित है। जिसका अर्थ है – जितनी भूख है उससे कम खाओ , जो शरीर के लिये हितकारी हो वह खाओ और ऋतुओं में जो पैदा होता है वह खाओ। इस सूत्र का पालन मानव को स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कठिन काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये काढ़ा वितरण और योग से निरोग कार्यक्रम प्रभावी रहा। यह सिद्ध हुआ कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से बेहतर कोई चिकित्सा पद्धति नहीं है। आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान को बढ़ाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्तर पर शोध और अनुसंधान की दिशा में वैज्ञानिक आधार पर महत्वपूर्ण और तत्थपरक कार्य जारी है। सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश में आयुर्वेद , योग , प्राणायाम के विस्तार और शोध एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की दिशा में हरसंभव प्रयास किया जायेगा। अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन द्वारा दिखाई गई दिशा और मार्गदर्शन के अनुरूप प्रदेश में गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी और प्रदेश में आयुष के बजट में वृद्धि की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में रोगी कल्याण समितियों का गठन किया जायेगा। इससे आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में संचालित गतिविधियों के विस्तार में मदद मिलेगी। प्रदेश के जिला चिकित्सालयों में जो आयुष विंग बने हैं, उन्हें अधिक समृद्ध किया जायेगा। इनमें पंचकर्म की विधियों को भी सम्मिलित किया जायेगा। आयुर्वेदिक चिकित्सकों को क्लीनिक खोलने के लिये अब आयुष अधिकारी ही अनुमति प्रदान करेंगे। गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज सुबह हेलीकॉप्टर से उज्जैन पहुंचे। हेलीपैड पर मप्र के राज्यपाल मंगूभाई पटेल , सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। यहां से उन्होंने कालिदास अकादमी पहुंचकर पंडित सूर्यनारायण व्यास संकुल में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें अधिवेशन का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। समारोह में आयुष मंत्री का संदेश भी प्रसारित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के नये भवन का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में महासम्मेलन की स्मारिका “अमृत कुंभ” का विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री ने पांच आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञों वैद्य बनवारीलाल , वैद्य मनोज , वैद्य राकेश शर्मा , वैद्य जयप्रकाश एवं वैद्य गोपालदास मेहता को ‘आयुर्वेद महर्षि’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा को आयुर्वेद के क्षेत्र में ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ अवार्ड दिया। यहां के कार्यक्रम की समाप्ति पश्चात महामहिम राष्ट्रपति महाकाल मंदिर पहुंचकर गर्भगृह में सपत्नीक महाकाल के दर्शन -पूजन किये। सुरक्षा के मद्देनजर महाकाल मंदिर में भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित रहा।

Ravi sharma

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