आज अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस विशेष–नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – विधवाओं की आवाज पर ध्यान दिलाने और उनकी समस्याओं को उजागर करने और उनकी स्थिति को विशेष मान्यता देने के लिये हर साल 23 जून को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 की अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की थीम – “विधवाओं की वित्तीय स्वतंत्रता के लिये सतत समाधान” है। दुनियां भर में कई महिलायें अपने जीवन साथी को खोने के बाद चुनौतियों का सामना करती हैं और मूल आवश्यकताओं , उनके मानवाधिकार और सम्मान के लिये दीर्घकालिक संघर्ष करती हैं।विधवाओं का जीवन हमेशा से काफी मुश्किल रहा है. कई विकासशील और अल्पविकसित देशों में विधवाओं को बहिष्कृत माना जाता है। भारत में करीब चार करोड़ विधवायें हैं यानि महिलाओं की कुल आबादी का करीब दस फीसदी हिस्सा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों में कहा गया है कि इन विधवाओं में हर दस में से लगभग एक व्यक्ति अत्यधिक गरीबी में रहती है। राज्य सरकारें पेंशन देकर इनकी आर्थिक दशा सुधारने की कोशिश कर रहीं हैं। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य ये है कि पूरी दुनियां में विधवा महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके , ताकि वे भी बाकी लोगों की तरह सामान्य जीवन जी सके और बराबरी का अधिकार प्राप्त कर सके। ऐसा इसलिये क्योंकि भले ही हम कितनी भी तरक्की कर चुके हों , लेकिन विधवा को आज भी बराबरी की नजर से नहीं देखा जाता है।

इस दिवस की शुरुआत
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महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले यूनाइटेड किंगडम में स्थित एक गैर सरकारी संगठन भारतीय मूल के ग्रुप लूंबा फाउंडेशन ने विधवाओं के विषय में जागरुकता बढ़ाने के लिये वर्ष 2005 में पहले अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का आयोजन किया। लुंबा फाउन्डेशन के संस्थापक लॉर्ड राजिंदर पॉल लूंबा के पिता की इसी तारीख को मृत्यु हो गई थी , उनकी माँ इसी दिन विधवा हुई थीं। इसलिये 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की तारीख के रूप में चुना गया। बाद में दिसंबर 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के रूप में घोषित कर दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2011 में 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस घोषित करते हुये एक प्रस्ताव पारित किया।‌ इसका उद्देश्य विधवाओं के लिये आवश्यक विशिष्ट सहायता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के कारण इस दिन के बारे में लोग अधिक जागरुक हुये हैं और दुनियां भर में इस दिन को व्यापक रूप से मनाया जाने लगा है। बताते चले कि ब्रिटेन की लूंबा फाउंडेशन पूरे विश्व की विधवा महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर विगत सात सालों से संयुक्त राष्ट्र संघ में अभियान चला रही है.

इस दिवस का महत्व
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यह दिवस विधवाओं के लिए पूर्ण अधिकार और मान्यता प्राप्त करने के लिये कार्रवाई का अवसर प्रदान करता है। यह विधवाओं को उनकी विरासत / भूमि / उत्पादक संसाधनों / सामाजिक सुरक्षा/ समान वेतन और पेंशन के उचित हिस्से तक पहुंच के बारे में जानकारी प्रदान करने पर बल देता है।

इस दिन का उद्देश्य
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इस दिवस के पीछे का उद्देश्य है कि पूरी दुनियां में विधवा महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके। ताकि वे भी बाकी लोगों की तरह समान्य जीवन जी सकें और उन्हें बराबरी का हक भी मिल सके। ऐसा इसलिए क्योंकि कहीं न कहीं विधवा महिलाओं वो बराबरी और हक नहीं मिलता जिसकी वे हकदार होती हैं।

सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनायें
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दुनियां भर के कई में विधवाओं की स्थिति भयावह है , ऐसे में भारत सरकार ने महिलाओं के लिये कई तरह की स्कीम चला रखी है। जिसकी मदद से महिलायें आसानी से अपना जीवन यापन कर सकती हैें।

विधवाओं के लिये घर – उत्तर प्रदेश के वृंदावन में विधवाओं के लिये एक हजार महिलाओं की क्षमता वाला एक घर बनाया गया है। ये उनके लिये एक सुरक्षित स्थान है जहां उन्हें स्वास्थ्य सेवायें / पौष्टिक भोजन / कानूनी और परामर्श सेवायें मिलेंगी।

स्वाधार गृह योजना – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्वाधार गृह योजना को लागू किया है। ये उन महिलाओं के लिये स्थापित किया गया है , जिन महिलाओं ने अपने जीवन में काफी विषम परिस्थितियों का सामना किया है। इस योजना का उद्देश्य ऐसी महिलाओं को सम्मान देना है , जिससे वो दृढ़ विश्वास के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

महिला शक्ति केंद्र योजना – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की महिला शक्ति केंद्र योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाना और एक ऐसा वातावरण बनाना है जिसमें वे अपनी पूरी क्षमता का एहसास करें।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना –  ग्रामीण विकास मंत्रालय की इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के तहत विधवाओं के लिये पेंशन योजना के साथ-साथ गरीबी रेखा से नीचे के बुजुर्गों के लिये पेंशन योजना संचालित की जाती है।

राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना – ग्रामीण विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना के तहत अगर परिवार में कमाने वाले की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उसके परिवार को बीस हजार रुपये की सहायता दी जाती है।

अन्नपूर्णा योजना: ग्रामीण विकास मंत्रालय की अन्नपूर्णा योजना के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत छूटे हुये पात्र वृद्ध व्यक्तियों और विधवाओं को दस किलो अनाज दिया जाता है।

नारी आर्थिक सशक्तिकरण योजना – सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय आय सृजन गतिविधियों को शुरू करने के लिये अनुसूचित जातियों / एकल महिलाओं / विधवाओं का समर्थन करने के लिए नारी आर्थिक सशक्तिकरण योजना लागू करता है। इसके अलावा पूर्व सैनिकों की विधवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये सहायता: रक्षा मंत्रालय पूर्व सैनिकों की विधवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण / गैर-पेंशनभोगी भूतपूर्व सैनिकों/विधवाओं की गंभीर बीमारियों के उपचार और बेटी की शादी /विधवा पुनर्विवाह के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

Ravi sharma

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