अपनों कि रार ही डुबा देगी एनडीए कि नांव,बाज़ी मार सकते हैं निर्दलीय-सीतामढ़ी..-

रवि शर्मा की रिपोर्ट-

पटना-मां सीता कि जन्मभूमि सीतामढ़ी में इस बार के लोकसभा चुनाव की कुछ अलग ही स्थिति दिख रही है.एनडीए में सीटों के बंटवारे में सीतामढ़ी लोकसभा सीट जदयू के खाते में चला गया था.जिसके बाद वहां से सुरी जाती के डा० वरुण कुमार को सिंबल दिया गया.हर घंटे बदल रही अटकलों, आरोपों,जातीय समीकरण, आपसी विरोध (संभवतः) इन सारी बातों का बहुत जल्द आकलन कर डा० वरुण कुमार ने अपना सिंबल वापस कर दिया.और खुद को चुनाव मैदान से अलग कर लिया.बहरहाल अंदर कि बात क्या रही वह कुछ स्पष्ट या गले से नीचे उतरने लायक बात सामने नहीं आई.

इस हाईप्रोफाइल ड्रामे के बाद भाजपा से आयात कर आनन-फानन में सुनील कुमार पिंटू को जदयू की सदस्यता ग्रहण कराई गई.और लगे हाथ सीतामढ़ी से लोकसभा का सिंबल भी दे दिया गया.जिसके बाद आला नेताओं ने यह लगभग मान लिया कि सीतामढ़ी कि समस्या खत्म हो गई.मगर अभी तो पुरा खेल बाकी है और चुनावी समीकरण तो पल भर में बदल जाते हैं.जदयू प्रत्याशी के रूप में सुनील कुमार पिंटू को टिकट मिलने के बाद से ही एनडीए के अंदर उनका विरोध शुरू हो गया.

अभी ताजा घटनाक्रम के अनुसार भाजपा से जुड़े सुरी समाज के लोगों ने सुनील कुमार पिंटू का विरोध शुरू कर दिया है.अब इस समाज के लोग न सिर्फ चुनाव में एनडीए प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू को पराजित करने का ऐलान कर रहे हैं बल्कि भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं.यहीं नहीं वो लोग सुशील कुमार मोदी और नीतीश कुमार पर सीधा आरोप लगा रहे हैं कि तेली,साहु जाती के दबाव में डा० वरुण कुमार से टिकट वापस ले कर सुनील कुमार पिंटू को प्रत्याशी बनाया गया.

भाजपा के पुर्व विधान पार्षद और पुर्व विधायक नगीना देवी ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि जब सुरी जाती से जुड़े डा० वरूण कुमार को टिकट दिया गया तो उनके खिलाफ तेली साहु समाज ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार समेत कई दुसरे नेताओं को डा० वरुण कुमार के खिलाफ आवेदन दे कर शिकायत किया था जिस आवेदन में वर्तमान जदयू प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू का भी हस्ताक्षर था.बहरहाल इस आपसी तकरार में स्पष्ट रूप से यह सीट एनडीए के हाथ से निकलती दिखाई दे रही है.उसके बाद है सीतामढ़ी लोकसभा सीट से महागठबंधन के प्रत्याशी अर्जुन राय.यह नाम जिले की राजनीति के धुरंधर नामों में से एक है,पुराने राजनीतिक चेहरों में से एक है.मगर जिस समाज के बहुमत मतों का बिखराव एनडीए में हो रहा है उसका झुकाव महागठबंधन कि ओर नहीं दिख रहा है.और स्थिति ऐसी बन रही है कि महागठबंधन को टक्कर देने में जदयू प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू अगर मजबूत नहीं नजर आए तो यह मत गोलबंद हो कर किसी नये चेहरे, किसी मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी का रुख कर सकती है.

अब जहां तक निर्दलीय उम्मीदवारों की बात है तो उसमें जो जिले में सबसे सशक्त नाम उभर कर आ रहा है वह है अमित चौधरी उर्फ माधव चौधरी का.खुद को जनता के टिकट पर चुनाव लड़ रहे जनदलीय उम्मदीवार बताने वाले निर्दलीय प्रत्याशी अमित चौधरी उर्फ माधव चौधरी कि स्थिति मजबूत बनती दिख रही है.ग्राउंड रिपोर्टिंग से मिल रही खबरों और सुत्रो से मिल रही जानकारी के अनुसार डा० वरूण कुमार के सिंबल वापस करने के बाद से ही उनकी स्थिति मजबूत होती जा रही है.स्थानीय होने के साथ-साथ लोकसभा के नये चेहरे, बेबाक बातचीत,और सिर्फ स्थानीय विकास और युवाओं के मुद्दों को बेबाकी से उठाने का लाभ भी उनको मिलता दिख रहा है.सुत्रो कि मानें तो श्री चौधरी कि पकड़ हर जाति-धर्म के लोगों में है जो उनकी स्थिति को मजबूत बना रही है.सभी धर्म जाती के युवाओं का एक बड़ा वर्ग भी उनके साथ है.कई निजी चैनलों को दिए अपने साक्षात्कार में उन्होंने युवाओं के मुद्दे मसलन युवाओं में बढ़ रही नशे की लत, बेरोजगारी,समय गुजारने के लिए किसी पार्क,क्लब के निर्माण आदि जमीनी मुद्दो को वह जाहिर कर चुके हैं.
हालांकि बनते बिगड़ते समीकरणों के दौर में कुछ स्पष्ट कहना तो मुमकिन नहीं है मगर वर्तमान हालात उनकी स्थिति को मजबूत बता रहे हैं.

Ravi sharma

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