अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आज बर्खास्त संयुक्त कलेक्टर संतोष देवांगन को अवैध प्लाटिंग के जुर्माना मामले में बरी कर दिया। इस मामले के कारण ही देवांगन को न केवल दो बार जेल जाना पड़ा बल्कि नौकरी भी गंवानी पड़ी थी। साथ ही वे आईएएस अवार्ड होने से भी चूक गये। अवैध प्लाटिंग का यह मामला उनके बिलासपुर में पोस्टिंग के दौरान प्रकाश में आया था। बिलासपुर में जब वे एसडीएम थे, उस समय अवैध प्लाटिंग के एक केस में उन्होंने डेढ़ लाख रुपये जुर्माना किया था। बाद में नोटशीट बदलकर डेढ़ लाख को पंद्रह हजार कर दिया गया। ईओडब्लू में इसकी शिकायत हुई। ईओडब्लू ने इसकी जांच कर 2015 में कोर्ट में चालान पेश किया। ईओडब्लू ने संतोष को बलौदाबाजार कलेक्टर के बंगले से गिरफ्तार किया था , बाद में वे जमानत पर बाहर आये। ट्रायल कोर्ट में संतोष के खिलाफ केस चला। जून 2017 में ट्रॉयल कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई। इसके कारण उनकी नौकरी भी चली गयी। सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
ट्रायल कोर्ट के फैसले के बाद वे दो महीने जेल में रहे। फिर हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी। उसके बाद से हाईकोर्ट में यह केस चल रहा था। आज जस्टिस सावंत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि नीचे के बाबुओं ने डेढ़ लाख रुपये फाईन को नोटशीट बदलकर पंद्रह हजार कर दिया था। इसमें संतोष की कोई भूमिका नहीं थी।