सोनपुर– विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर के प्रसिद्ध श्री गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर में मंगलवार को दोपहर बारह बजे श्री वामन भगवान का प्राकट्योत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया।
उक्त अवसर पर श्री गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् पीठाधिपति जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने आध्यात्मिक यात्रा हरिद्वार प्रवास से दूरभाष माध्यम से श्रद्धालुओं को संबोधित करते श्री वामन भगवान के कथा का विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सभी दुःखी देवता अपनी माता अदिति के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई। इसके बाद अदिति ने पति कश्यप ऋषि के कहने पर एक व्रत किया, जिसके शुभ फल से भगवान श्री विष्णु ने श्री वामन भगवान के रूप में अवतार लिया और छोटी उम्र में ही दैत्यराज बलि को पराजित किया। बलि अहंकारी था, उसे लगता था कि वह सबसे बड़ा दानी है। श्री विष्णु भगवान वामन भगवान के रूप में उसके पास पहुंचे और दान में तीन पग धरती मांगी।
अहंकारी बलि ने सोचा कि ये तो छोटा सा काम है।मेरा तो पूरी धरती पर अधिकार है, मैं इसे तीन पग भूमि दान कर देता हूं। बलि वामन भगवान को तीन पग भूमि दान देने के लिए संकल्प कर रहे थे,उस समय दैत्यराज के गुरु शुक्राचार्य ने उसे रोकने की कोशिश की। दरअसल, शुक्राचार्य जान गए कि वामन रूप में स्वयं श्री विष्णु हैं । प्रह्लाद पौत्र बलि बड़ा ही घमंडी और महाभिमानी था परन्तु बहुत बड़ा ही दानी भी था। उसने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी और दान देने के लिए संकल्प करने लगा और शुक्राचार्य छोटे रूप धारण कर जलप्रात्र कमण्डलु के टोटी में आ गए जिससे संकल्प के लिए जल ही नहीं प्राप्त हो। भगवान श्री वामन समझ गए और एक पतली लकड़ी कुशा कमण्डलु के टोटी में डाल दिया। जिससे शुक्राचार्य की आंख फुट गई और वे तुरंत ही कमण्डलु से बाहर निकल आए। इसके बाद बलि ने श्री वामन भगवान को तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। श्री स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने आगे बताया कि राजा बलि के संकल्प लेने के बाद श्री वामन भगवान ने अपने विराट रूप में आकर एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया और बलि से तीसरे पग की मांग रखे।राजा बलि का अहंकार टूट गया और अपने सिर पर तीसरे पग रखने की विनती कर श्री वामन भगवान को प्रसन्न किया। बलि की दान वीरता देखकर भगवान श्री वामन उसे पाताल लोक का राजा बना दिया। इस प्रकार सभी देवताओं ने इन्द्र के साथ खुशी से अपने अपने स्थान पर प्रतिष्ठित हो गए। उपर्युक्त अवसर पर मन्दिर प्रबंधक नन्द कुमार बाबा ने कहा कि भगवान के अवतार और उनके द्वारा किए गए कार्य से हमारे जीवन प्रबन्धन की शिक्षाएं मिलती है। उन्होंने आगे कहा कि इस कहानी की सीख यह है कि जब कोई व्यक्ति अच्छा काम कर रहा हो तो उसे रोकना नहीं चाहिए तभी तो कहानी में शुक्राचार्य राजा बलि को दान करने से रोका और अपनी एक आंख गंवा दिया। इस प्रकार जब जब हम किसी को अच्छे काम करने से रोकते हैं तो हमारी परेशानियां बढ़ती है।
इस अवसर पर मन्दिर मीडिया प्रभारी समाजसेवी लाल बाबू पटेल ने सभी श्रद्धालुओं को सेवा व्यवस्था देते हुए महाप्रसाद वितरण किया। राजीव नयन सिंह, सत्येन्द्र सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वनाथ सिंह, अधिवक्ता अभय कुमार सिंह,अवध किशोर शर्मा, कुसुम देवी, सुनैना देवी,गंगाजली देवी, संजू सिंह, ममता पटेल सहित दर्जनों श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक भाग लिया।