अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। इससे पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवम्बर को 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त हुये थे और उन्होंने ने ही जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित सादे और गरिमापूर्ण समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति खन्ना ने अंग्रेजी में ईश्वर के नाम पर भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ ली और यह सुनिश्चित किया कि वह बिना किसी भय या पक्षपात , स्नेह या दुर्भावना के अपने कार्यालय के कर्तव्यों का पालन करेंगे। बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हैं , इनकी विरासत वकालत की रही है। इनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं , वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे। उन्होंने इंदिरा सरकार द्वारा आपातकाल लगाये जाने का विरोध किया था। उन्होंने राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई के जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी। सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई 2025 को अपने 65 वें जन्मदिन से एक दिन पहले सेवानिवृत्त हो जायेंगे। आज हुये शपथग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , रक्षामंत्री राजनाथ सिंह , कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल , पूर्व सीजेआई डी० वाय० चंद्रचूड़ सहित कई अन्य केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी शामिल हुये।
संक्षिप्त परिचय जस्टिस संजीव खन्ना
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जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। दिल्ली के मॉडर्न स्कूल , बाराखंभा रोड से स्कूली शिक्षा पूरी कर वे वर्ष 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हुये और दिल्ली विश्वविद्यालय के ही कैंपस लॉ सेंटर यानि सीएलसी से कानून की डिग्री ली। वर्ष 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में उनका रजिस्ट्रेशन हुआ। दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में नामांकित हुये संजीव खन्ना ने शुरुआत में दिल्ली के तीसहजारी परिसर में स्थित जिला न्यायालय और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट और संवैधानिक कानून , प्रत्यक्ष कराधान , मध्यस्थता जैसे विविध क्षेत्रों में न्यायाधिकरणों में प्रैक्टिस की और वर्ष 2004 में उन्हें दिल्ली के लिये स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 2005 में वे दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने और वर्ष 2006 में परमानेंट जज बन गये थे। इसके बाद 18 जनवरी 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट कर दिया गया था। ये भी सुखद संयोग रहा कि जस्टिस संजीव खन्ना सीजेआई की कोर्ट में शपथ लेने के बाद अपना पहला दिन उसी न्यायालय कक्ष यानी दो नंबर कोर्ट से शुरू किया , जहां से उनके चाचा जस्टिस एच.आर. खन्ना ने इस्तीफा देकर रिटायरमेंट ली थी। जस्टिस एच.आर. खन्ना की तस्वीर भी कोर्ट रूम में लगी है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते संजीव खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना के उल्लेखनीय फैसलों में से एक है चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल को बरकरार रखना। तब उन्होंने फैसले सुनाते हुये यह कहा था कि ये उपकरण सुरक्षित हैं और बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान को खत्म करते हैं। जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर के संदेह को “निराधार” करार देते पुरानी पेपर बैलेट प्रणाली पर वापस लौटने की मांग को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में अपने केरियर में जस्टिस खन्ना सैकड़ों जजमेंट बेंच का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने खुद एक सौ से भी ज्यादा फैसले लिखे हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत जस्टिस संजीव खन्ना कई बड़े केस पर सुनवाई कर चुके हैं। जस्टिस खन्ना ईवीएम की विश्वसनीयता को बनाये रखने , चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने , अनुच्छेद 370 को हटाने और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा 08 नवंबर को एएमयू से जुड़े फैसले में जस्टिस खन्ना ने यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का समर्थन किया था। ये भी दिलचस्प तथ्य है कि जस्टिस खन्ना को उनके मूल उच्च न्यायालय – दिल्ली हाईकोर्ट से सीधे सुप्रीम कोर्ट पदोन्नत किया गया। वर्ष1997 से अब तक केवल छह जजों को उनके मूल उच्च न्यायालय से प्रोन्नत कर सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया है. उनमें जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर , जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई , जस्टिस लोकेश्वर सिंह पंटा , जस्टिस जीपी माथुर , जस्टिस रूमा पाल और जस्टिस एसएस कादरी शामिल हैं।