पटना–बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ द्वारा महीनों पूर्व सौंपे गए माँग पत्र के आलोक में माननीय मुख्यमंत्री,मंत्री एवं अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह आदि बिहार सरकार के आला अधिकारियों के आदेश निर्देशों के बावजूद दुर्भाग्य है कि पंचायती राज विभाग के कुछ आला अधिकारी विभाग में बैठे विशेष पदाधिकारी एवं संबंधित ज़िला पंचायत राज पदाधिकारी,नाजीर,कम्प्यूटर आपरेटर आदि के उदासीन रवैए के कारण ग्राम कचहरी प्रतिनिधि पंच,सरपंच,उपसरपंच सहित त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का अबतक का बकाया नियत-विशेष एवं यात्रा भत्ता पंचम तथा षष्टम वित्त आयोग से अनुशंसित फ़र्निचर मद एवं विविध खर्च आदि राशि का शत प्रतिशत भुगतान नहीं हो सका है। यह दर्द है बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला का। श्री निराला ने कहा कि ग्राम कचहरी के पंच परमेश्वरों ने सुविधाहीन होने के बावजूद अपने अथक प्रयास और परिश्रम से प्रति वर्ष माननीय अनुमंडल व्यवहार एवं उच्च न्यायालयों का लाखों मुक़दमे का बोझ कम कर रहे हैं। राज्य के समस्त ग्रामीण जन मानस को सस्ता सरल न्याय प्रदान कर रहे हैं अन्य सभी जन प्रतिनिधि मंत्री,विधायक,विधान परिषद सदस्य,आयोग सहित कर्मचारी पदाधिकारियों का वेतन,भत्ता,पेंशन आदि का भुगतान प्रतिमाह नियमित होता है, एक सप्ताह विलम्ब होने पर हायतौबा मच जाती है तो हम पंचायत प्रतिनिधियों को अपमान जनक अल्प मिलने वाली राशि भुगतान मासिक क्यों नहीं किया जाता।क्यों वर्षों वर्ष का राशि बकाया है।यह चिन्तनीय सोचने का विषय है। अगर सरकार सक्षम नहीं हैं तो सभी विधान मंडल सदस्य उक्त सुविधा लेना बंद करें, हम पंचायत प्रतिनिधि भी डिमांड नहीं करेंगे और यह बचत होने वाली महा राशि जन राज्य हित में खर्च हो। जनता जनार्दन का पैसों का लाभ जनता को मिले। बिहार लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ पूजा मना रहा है और इसी प्रदेश में एक तरफ ग्राम कचहरी प्रतिनिधि और त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि सरकार के रवैए से दुखी हैं।श्री निराला ने कहा कि विभागीय मंत्री श्री केदार प्रसाद गुप्ता से मुलाक़ात कर हमने संघ कि ओर से यह माँग किया था कि अविलंब वित्तीय वर्ष 2010 से अब तक के सभी मदों के बकाये एवं पिछले कार्य काल की छः माह कार्य काल बढ़ोतरी की राशि सहित समस्त बकाया आस्था का महापर्व छठ पूजा में भुगतान कराना सुनिश्चित करें,मगर इस अनुरोध के बावजूद यह नहीं कराया गया।अब तक राज्य में 20% प्रतिनिधीयों का भुगतान भी सही से नहीं हो सका है। अगर सरकार अब भी नहीं समझती है तो हम सब आंदोलन को बाध्य होंगे।