अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर — छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पहला गांधी स्मृति कार्यान्जली सम्मान पाने वाले लगभग एक वर्ष से बीमार चल रहे प्रसिद्ध गांधीवादी एवं बैगा आदिवासियों के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले गांधीवादी प्रोफेसर डॉक्टर प्रभुदत्त खेड़ा का आज अपोलो अस्पताल बिलासपुर में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार कल 24 सितंबर को प्रातः11:00 बजे ग्राम लमनी अचानकमार में सम्मान के साथ किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने किया शोक व्यक्त
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अचानकमार के जंगलों में बैगा आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिये लंबे समय से कार्य कर रहे प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेड़ा के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट संदेश में कहा है कि अचानकमार के घने जंगलों के बीच 30 साल तक कुटिया बनाकर बैगा आदिवासियों के बीच शिक्षा का उजियारा फैलाने वाले, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेड़ा के निधन की खबर सुनकर मन दुखी है। डॉ. खेड़ा त्याग, संकल्प और निःस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति थे। बघेल ने स्वर्गीय प्रोफेसर खेड़ा के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुये दिवंगत आत्मा की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना की है।