अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
अहमदाबाद -गुजरात में सूरत स्थित आश्रम में नारायण साईं द्वारा अपनी शिष्या के साथ बालात्कार करने के मामले आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया जिसमे नारायण साई को आज आजीवन कारावास तथा एक लाख तक के जुर्माने की सज़ा सुनायी । कोर्ट ने गत शुक्रवार को नारायण साईं को दोषी पाया था । इस मामले में IPC की धारा 376(बलात्कार),377(अप्राकृतिक दुराचार) 323(हमला)
506(अपराधिक धमकी)
120 ‘ब'(षडयंत्र) के तहत दोषी पाये गए हैं । गौरतलब है कि यह मामला 11 साल पुराना है सूरत की रहने वाली दो बहनों ने नारायण साईं और उनके पिता आशाराम बापू के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी एक बहन ने नारायण साईं पर 2002-2005 के बीच सूरत के आश्रम में रहने पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था पीड़िता की बहन ने अहमदाबाद में 1997-2006 में आश्रम में रहने के दौरान आशाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था दोनो बहनो ने आशाराम और नारायण साईं के खिलाफ कथित तौर पर शोषण की अलग अलग रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।नारायण साईं के खिलाफ कोर्ट ने अब तक 53 गवाहों के बयान दर्ज किया है जिसमे कई अहम गवाह भी शामिल है नारायण साईं सहित गंगा,जमुना, कौशल और रमेश मल्होत्रा भी हिरासत में है। नारायण साईं की पत्नी जानकी ने भी अपने पति औऱ ससुर के खिलाफ उनको प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था उन्होंने इंदौर के खजराना पुलिस थाने में 19 सितंबर को शिकायत दर्ज करवाई थी उनके अनुसार उनकी शादी नारायण साईं उर्फ नारायण हरपलानी( नारायण साई का असली नाम) के साथ होने के कुछ समय पश्चात ही उन्होंने कई लड़कियों से के साथ नाजायज संबंध बनाया। जिससे उनको काफी ठेस पहुंची औऱ मानसिक प्रताड़ना सहन करनी पड़ी। साई ने जानकी को अपनी पत्नी मानने से भी इंकार कर दिया।इनके पिता आशाराम को नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के केस में 2013 में इंदौर स्तिथ आश्रम से गिरफ्तार किया गया था। पिता के गिरफ्तारी के बाद नारायण साईं फरार हो गए थे जिसके बाद पुलिस ने उनको पुनः पकड़ा और आज कोर्ट ने उनको आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।