अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली — आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आज भारत को बहुत बड़ी सफलता मिली है । संयुक्त राष्ट्र संघ ने पाकिस्तान के जैश- ए- मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया है । संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैय्यद अकबरूद्दीन ने इसकी पुष्टि की है। इस कदम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बड़ी जीत माना जा रहा है क्योंकि यह उनके कार्यकाल में हुआ । अजहर पर बैन लगाने के मामले में भारत को सभी ताकतवर देशों का समर्थन प्राप्त है । लेकिन चीन के अलावा पाकिस्तान पर स्पीच सहमति नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की पिछले 10 साल में यह चौथी कोशिश थी । आईये इस पर भी एक नजर डालते हैं –
मार्च 2019 : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुये हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की तरफ से संयुक्त राष्ट्र की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के समक्ष नया प्रस्ताव लाया गया लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव पर तकनीकी पहलू का हवाला देकर वीटो कर दिया । पुलवामा हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है ।
2017 : मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिये अमेरिका ने 2017 में संयुक्त राष्ट्र की समिति के समक्ष प्रस्ताव पेश किया लेकिन चीन ने अपना अड़ंगा लगा दिया । जबकि अमेरिका के इस प्रस्ताव का समर्थन ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने भी किया था ।
2016 : मसूद को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने के लिये भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र की अल कायदा प्रबंध समिति के समक्ष प्रस्ताव पेश किया लेकिन चीन ने अपना टेक्निकल होल्ड लगा दिया । जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने यह प्रस्ताव पेश किया था ।
2009 : मसूद पर प्रतिबंध लगाने के लिए यूपीए सरकार ने प्रस्ताव पेश किया था । विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘साल 2009 में यूपीए सरकार मसूद अजहर पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्ताव पेश किया उस समय प्रस्ताव पेश करने वाला भारत अकेला था । साल 2016 में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर भारत प्रस्ताव लाया. जबकि 2017 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस प्रस्ताव लेकर आये थे ।