कैसे कहे कि देश तरक्की कर रहा ? – डाॅ. रुपक कुमार

आजादी के 72 साल में जितनी भी राजनीतिक पार्टियाँ शासन सत्ता में आई सबने बड़े बड़े वादे किए, बड़े बड़े दावे किए कि हमने भारत को विकसित किया, तो हमने भारत को सशक्त बनाया, तो हमने संविधान की रक्षा की, तो हमने लोकतंत्र को और मजबूत किया, इतना ही नही स्वास्थ्य, शिक्षा और न्याय के क्षेत्र में भी व्यापक बदलाव के दावे किए गये। कुछ सरकारें ऐसी बनी कि उनके सत्ता में आते ही लोग कहने लगे अर्थव्यवस्था ठीक हो गया, विदेश नीति ठीक हो गया, देश की शरहद पर पड़ोसी राष्ट्र आँख नहीं उठाता बगैरह बगैरह।
पर सच इससे ठीक विपरीत हैं, आपको पता होना चाहिए यह देश भारत की सवा सौ करोड़ जनता का है, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री का नहीं! चुकी यहाँ लोकतंत्र हैं…


दुर्भाग्य यह कि जनता और देश के संसाधन का बहुत बड़ा हिस्सा राजनेता और नौकरशाह के वेतन, सुरक्षा और सुविधाओं पर खर्च किया जाता हैं। जानते है किसलिए क्योंकि ये देश की सवा सौ करोड़ लोगो की देखभाल करे, उनकी सुरक्षा की गारंटी ले, उनको अच्छा स्वास्थ्य, शिक्षा, न्याय और रोजगार दे सके। परंतु ये सब अब खोखले नजर आते है। इस देश में सत्ता तो बदला लेकिन व्यवस्था और हालात नहीं बदल सका। देश संकट में है, इस देश का लोकतंत्र फेल हो चुका हैं।
भारत के लगभग सभी राजनेता अपना इलाज विदेशों मे करवाते है, अपने बच्चों को विदेशों मे पढ़ाते है और खुद कहते है कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य हमने बेहतर कर दिया हैं। हम समझते है कि जो देश 72 साल में ऐसा मैकेनिज्म डेभलाॅप नहीं कर पाया कि वह आम जनता के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं न्याय दे सके तो समझिए उस देश में अब भी लूटप्रथा कायम हैं और लोकतंत्र की परिकल्पना साकार नहीं हुआ।
अब देखिए बिहार त्रासदी के दौर से गुजर रहा है। मुजफ्फरपुर सहित तिरहुत प्रमंडल के सटे इलाको में एक नहीं बल्कि 400 के लगभग बच्चे चमकी बिमारी से मर चुके है, जो आँकड़े मीडिया मे बताए गये वो केवल सरकारी अस्पताल से जारी किये गये है। एसकेएमसीएच की व्यवस्था यह है कि मरीजों को पीने का पानी नहीं मिल रहा। गंदगी इतनी कि कोई ज्यादा देर नहीं रुक सकता। आधुनिक तकनीको का अभाव है, डाॅक्टर अपने नीजी क्लिनिक से होकर कुछ समय के लिए अस्पताल में आकर हाजिरी बनाए 1 घंटे रुके और फिर चल दिए, ऐसे में गरीब बच्चों का जान की किसको परवाह? पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री आते है वो जो घोषणा करते है वही 2014 में भी मंत्री रहते कर चुके थे तब भी ऐसे ही सैकड़ों जान जा चुकी थी। मुख्यमंत्री जो न्याय के साथ विकास कर रहे है उनकी आंख तब खुलती है जब सैकड़ों जान चली जाती है और उनकी आलोचना समाचार पत्रो मे की जाती है। बड़े बडे एक्सपर्ट डाॅक्टरो की टीम बिमारी और उसका इलाज नहीं ढूँढ पा रहे तो कैसे कहे की हमारा देश तरक्की कर गया है? अभी भी वक्त है देश के प्रतिष्ठित अस्पताल से एक्सपर्ट डाॅक्टर बुलाए जाएं और जरुरत पड़ने पर विदेशों से भी मदद मांगी जाए ताकि इन बच्चों की मौत पर ब्रेक लगे। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो हम समझेंगे की यह बिमारी से मौत नहीं बल्कि सरकार प्रायोजित हत्या हैं।.
डाॅ रुपक कुमार सिंह

Ravi sharma

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