अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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बिलासपुर – उपचार के दौरान कई बार अस्पताल से फरार हुई विक्षिप्त महिला को पुलिस और आमजनों की सहयोग से पकड़कर बिलासपुर की निधि तिवारी ने अंतत: कोरबा स्थित अपना घर आश्रम में दाखिल कराने में सफलता हासिल कर ही ली। बहुत दिनों तक उनकी सेवा करने के बाद महिला को आश्रम में छोड़ते समय निधि जहां भावुक हो गई वहीं महिला ने भी भावुक होकर रूधे स्वर में गले लगाकर फिर देखने आने की बात कही। यह दृश्य देखकर आश्रम के पदाधिकारी और अन्य सेवकों के भी आंखों से आंसू निकल पड़े।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये जीव जंतुओं की सेवा करने वाली बिलासपुर की निधि तिवारी ने अरविन्द तिवारी को बताया कि पूछताछ में अपना नाम नत्थूबाई गोड़ पति मानसिंग गोंड़ निवासी पकरिया बताने वाली यह विक्षिप्त महिला इसी साल 31 जनवरी को तखतपुर मे मार्केट के पास दयनीय स्थिति में पड़ी हुई मिली थीं। जिसे कुत्ते नोच रहे थे और उसके शरीर से सड़न की बदबू आ रही थी। हिंदू युवा मंच के कोमल ठाकुर एवं अन्य भाईयों ने देखा तो तत्काल 112 की मदद से उन्हें बिलासपुर सिम्स भिजवाया एवं मुझे फ़ोन करके घटना की जानकारी दी। जैसे ही एम्बुलेंस तखतपुर से बिलासपुर सिम्स पहुंची , मैंने उसे तुरंत एडमिट करवाया। उनकी हालत देख डॉक्टर भी अचंभित हो गये थे ,क्योंकि उनके सिर का पिछला हिस्सा कीड़े खा चुके थे। अंदर उनकी खोपड़ी नज़र आ रही थी , जिसमें लाखों की तादाद में कीड़े थे। बदबू इतनी ज़्यादा थी की कोई भी पास जाने से कतरा रहा था वहाँ उनका प्राथमिक उपचार कराके वार्ड में एडमिट कराया। फिर रोज़ाना मैं सिम्स जाकर उन्हें भोजन व उनका उपचार करवाती थी। इसी तरह कुछ दिन बीत गये , घाव भरने लगा था और एक महीने बाद उनकी सर्जरी होनी थी। लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें दर्द से राहत मिला और वह थोड़ी सक्रिय होते ही हॉस्पिटल से भाग निकली। ढूँढने पर बिलासपुर मे देवकीनन्दन चौक पर मिली पुनः उन्हें सिम्स में भर्ती कराया गया। इसके बाद फिर भागी और सिरगिट्टी में मिली और उसे फिर भर्ती कराया गया। विक्षिप्त होने के कारण वह फिर भाग निकली और इस बार वह रतनपुर में मिली , जहां से उसे फ़ोन के ज़रिये थाने में बात करके उन्हें वापस मँगवाया। फिर मैं उन्हें 112 की सहायता से सेंद्री लेकर गयी ताकि वह अब कही जा ना सके। वहाँ घंटो तक खड़ी रही लेकिन उन्हें एडमिट नही किया गया। उन्होंने स्पष्ट जवाब दे दिया कि घाव वाले मरीज़ के लिये हमारे पास कोई डॉक्टर या ड्रेसिंग करने वाला नही है। इस कठिन परिस्थिति में मैंने तखतपुर विधायक रश्मि सिंह से बात किया उनके बोलने पर वो रखने को राज़ी हुये पर उन्होंने उनको दूसरे ही दिन फिर से सिम्स रिफ़र कर दिया। यहां से वह फिर भाग निकली और सेंद्री के पास दोबारा मिलने पर फिर सिम्स मे एडमिट करवाई। मैंने सिम्स में कई बार निवेदन किया कि सर्जरी होने तक इन्हें मानसिक रोगी वाले कक्ष में रखा जाये परंतु वहाँ ध्यान नही दिया गया। अब की बार जब वह फिर भागी तो मैं हिम्मत हार चुकी थी , कही से कोई मदद नही मिल रही थी। लेकिन पंद्रह दिन बाद जब वो चकरभांठा में दिखी तो राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक महोदय रतन लाल डांगी के मार्गदर्शन एवं बिल्हा थाना प्रभारी देवेश सिंह राठौर और गो सेवक प्रह्लाद के दो दिन के अथक प्रयास से एक बार फिर महिला को सिम्स लाया गया। लेकिन इस बार मुझमें इतनी हिम्मत नही थी कि फिर से सिम्स जाकर सारी प्रक्रिया दोहराकर उन्हें एडमिट कराऊं। इस बार मैंने राणा मुखर्जी , प्रभजोत कौर एवं टीम द्वारा संचालित कोरबा स्थित अपना घर आश्रम में बात की और उस महिला को वहीं एडमिट कर दी। अगर मैं हार मान जाती तो उसे कीड़े ज़िंदा खा जाते। निधि ने बताया कि महिला की मानसिक स्थिति सामान्य होते ही उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया जायेगा।
इस सम्पूर्ण सेवा में अभिषेक सोनी , अनुराग अग्रवाल , रौनक़ पांडेय , अभ्यूश्री श्रीवास्तव , नम्रता तिवारी का विशेष सहयोग रहा।
हम तो बस माध्यम हैं – निधि तिवारी
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निधि ने समाज के नाम अपने संदेश में कहा है कि अगर हमारा थोड़ा सा समय किसी के जीवन को बचा सकता है , तो अपना समय ज़रूर दें। किसी का जीवन बचाना बहुत बड़ी बात होती है , क्योंकि ये काम तो ईश्वर ही करते हैं जबकि हम तो केवल माध्यम बनते हैं। हम ईश्वर की शुक्रिया अदा करें कि उन्होंने हमें इस सेवा के लिये चुना है। उन्होंने कहा कि यदि हम सब संकल्प करके थोड़ा सा समय दें तो अब कोई भी विक्षिप्त भाई बहन सड़कों पर नही भटकेंगे बल्कि वे आश्रम में सुकून का जीवन व्यतीत करेंगे।