पटना-लोकसभा चुनाव के चार चरणों के चुनाव खत्म हो चुके हैं,लेकिन जदयू ने अब तक अपना घोषणा पत्र जारी नहीं किया है. पहले जदयू ने कहा था कि वह अपना घोषणा पत्र जिसे वह ‘निश्चय पत्र’ कहती है, जारी करेगी और पहले चरण के चुनाव से पहले इसे घोषित कर दिया जाएगा.बाद में तारीख बदली गई और 14 अप्रैल को लाने का दावा किया गया. लेकिन अब जदयू अपने घोषणा पत्र से मुकर रही है.वर्तमान में ऐसा लग रहा है कि अब वह घोषणा पत्र जारी भी नहीं कर पाएगी. अगर जदयू चुनाव खत्म होने तक घोषणापत्र जारी नहीं करती है तो ऐसा 2003 में पार्टी के बनने के बाद से यह पहली बार होगा.मगर सवाल यह उठता है कि आखिर इसमें पेच क्या है?, मुश्किल क्या है?
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो भाजपा चाहती है कि जदयू अपने घोषणापत्र में कुछ मु्द्दों का जिक्र नहीं करे. हालांकि इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तैयार नहीं हैं. दरअसल जदयू धारा 370 की पक्षधर है, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है.
वहीं समान नागरिक संहिता पर भी जदयू की राय भाजपा से अलग है, जबकि राम मंदिर निर्माण को लेकर भी भाजपा और जदयू में मतभेद है. इतना ही नहीं हाल के दिनों में जदयू ने पूर्वत्तर में एनआरसी के मुद्दे पर भी भाजपा के स्टैंड का विरोध किया है.
दूसरी ओर भाजपा के दबाव की वजह से नीतीश की पार्टी इन तीनों मु्द्दों पर कोई बयान देने से बच रही है.जाहिर है जदयू नेताओं को यह चिंता सता रही है कि धारा 370, धारा 35ए, यूनिफॉर्म सिविल कोड और राम मंदिर पर उनकी राय भाजपा से अलग है. ऐसे में आमजनता को मतभेद दिखा तो राज्य में उनके गठबंधन (NDA) को नुकसान हो सकता है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 28 अप्रैल को इसपर चुटकी भी ली थी.
गौरतलब है कि दोनों ही पार्टियां बिहार में एकसाथ चुनाव तो लड़ रही हैं, लेकिन कई मुद्दों पर दोनों पार्टियों की राय बिल्कुल अलग है. इसका डर दोनों को सता भी रहा है. यही वजह है कि चार चरणों की वोटिंग होने के बावजूद जदयू ने अपना घोषणा पत्र जारी नहीं किया है. इस बीच केसी त्यागी और वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि पार्टी का इन तमाम मुद्दों पर रुख स्पष्ट है ऐसे में न तो कोई दबाव है और न ही कोई दुविधा.
बहरहाल जदै लगातार इस बात से इनकार भले करे, लेकिन अब सोमवार ( 6 मई) को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग होनी है. अगर जदयू ने तब तक अपना घोषणा पत्र जनता के सामने नहीं रखा तो यह साफ हो जाएगा कि जदयू भाजपा के दबाव में ही ऐसा कर रही है.