पटना-मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटीस से 146 बच्चों की मौत के बाद नीतीश सरकार एक्शन मे आ चुकी है.लापरवाही के आरोप मे एसकेएमसीएच के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन कुमार को निलंबित कर दिया गया है.
मुजफ्फरपुर में कथित चमकी बुखार की वजह से हो रही मासुमों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है.श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में ही अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है.ऐसे बिहार की नीतीश सरकार ने पहली बार चमकी बुखार के संबंध में कार्रवाई की है. प्रशासन का कहना है कि तैनाती के बाद भी बच्चों की मौत के मामले सामने आए और हालात पर काबू नहीं पाया जा सका इसलिए यह कारवाई हुई.
स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ भीमसेन कुमार को 19 जून को एसकेएमसीएच में तैनात किया गया था. उनकी तैनाती के बाद भी अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं रुका. बच्चों की मौत होती रही.मासुमों की मौत को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. लोगों का गुस्सा सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर फूट रहा है.गौरतलब है की बिते दिनों एसकेएमसीएच पहुंचने पर नीतीश कुमार को भी लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. सोशल मीडिया पर भी लोग तरह-तरह के पोस्ट कर के अपना रोष प्रकट कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार लगातार स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है.चिकित्सकों का कहना है कि चमकी बुखार से हो रही मासुमों की मौतों पर काबु पाया जा सकता हैं,अगर पीड़ित जिले में गरीब परिवारों के पास अच्छा खाना,साफ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें.इस बिमारी से बिहार के 16 जिलों में 600 बच्चे प्रभावित हैं. अब तक इससे 146 बच्चों की मौत हो चुकी है. लेकिन अस्पतालों का हाल, बेहाल है. मरीजों के उपचार के लिए अस्पताल प्रशासन के पास सही ढंग से बेड तक नहीं है.गौरतलब है की इंसेफेलाइटिस से बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोगों की मौतें हो गई थी. हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि इस बिमारी के फैलने का कारण क्या है.चिकित्सकों का कहना है की अधिकांशत: पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं.